Buxar News: ओहदे के लिए कोर्ट में पूरी नौकरी सरकार के खिलाफ लड़ी लड़ाई, रिटायरमेंट के बाद आया हक में फैसला
बक्सर जिले से एक अजीबोगरीब खबर सामेन आई है। बताया जा रहा है कि एक व्यक्ति नौकरी के दौरान खास ओहदे के लिए लड़ते रहे फिर भी उन्हें नसीब नहीं हुई लेकिन रिटायरमेंट के बाद कोर्ट के आदेश पर सरकार वह ओहदा देने को तैयार हो गई है। यहां ध्यान देने वाली यह है कि कई ऐसे लोगों के हक में भी फैसला आया है जो गुजर चुके हैं।
जागरण संवाददाता, बक्सर: जिस ओहदे के लिए नियुक्त हुए, वह पूरी नौकरी में नहीं मिला। पूरी नौकरी अपना हक पाने की लड़ाई लड़ते हुए गुजर गई। आखिर में जब सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद सरकार ओहदा देने को तैयार हुई, तो इसके हकदार नौकरी से रिटायर हो चुके हैं।
नियुक्ति की तारीख से होगी वेतन की गणना
एमपी हाई स्कूल में प्लस टू व्याख्याता के पद से सेवानिवृत बबन राय इस सूची में अकेले नहीं हैं। वे बताते हैं कि यह लड़ाई 224 प्लस टू व्याख्याताओं की थी, जिनको अब जाकर उनका हक मिला है। लेकिन ऐसी स्थिति में जब ज्यादातर नौकरी से रिटायर हो चुके हैं और कुछ तो ये दुनिया भी छोड़ चुके हैं।
सरकार ने इन सभी व्याख्याताओं को अब बिहार शिक्षा सेवा संवर्ग में समायोजित किया है। इसी के अनुसार योगदान की तिथि से इनके वेतन, प्रोन्नति और पेंशन की गणना की जाएगी। राय ने बताया कि राज्य सरकार के शिक्षा विभाग ने वर्ष 1987 में इन पदों के लिए विज्ञापन प्रकाशित किया था।
आखिरकार हुई जीत
निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार वर्ष 1989-90 में सभी चयनित उम्मीदवारों को प्लस टू व्याख्याताओं को योगदान कराया गया। तब से ये लोग खुद को बिहार शिक्षा सेवा संवर्ग के तहत लाने के लिए मांग करते रहे। मामला न्यायालय में गया। आखिरकार सर्वोच्च न्यायालय से भी इनकी जीत हुई।
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हालांकि इन सबके बीच इतनी देर हुई कि 224 में से केवल 27 प्लस टू व्याख्याता ही अब सेवा में बचे हैं। इनमें 13 का निधन हो गया, जबकि शेष सेवानिवृत होने के बाद बिहार शिक्षा सेवा के अधिकारी कहलाएंगे। यह अलग बात है कि अधिकारी के रूप में कार्य करने का मौका उन्हें एक दिन के लिए भी नहीं मिल सका।