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Bihar Land Survey: सरकारी जमीन पर कब्जा करने वालों की खैर नहीं, सर्वे में रद्द हो जाएगी अवैध जमाबंदी

बिहार में भूमि सर्वेक्षण का कार्य जारी है। भूमि विवादों को सुलझाने में यह कदम अहम साबित होगा। वहीं सरकारी जमीन से कब्जा भी छुड़वाया जा सकेगा। जिस भी व्यक्ति ने सरकारी जमीन पर कब्जा किया होगा उसका खाता नहीं खोला जाएगा। भूमि सर्वे में कब्जे की जमीन की जमाबंदी भी मान्य नहीं होगी। वहीं जो मामला न्यायालय में होगा उस जमीन पर विवादित लिखा जाएगा।

By Shubh Narayan Pathak Edited By: Rajat Mourya Updated: Thu, 05 Sep 2024 02:07 PM (IST)
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सरकारी जमीन पर गलत तरीके से रसीद काटने या जमाबंदी की कार्रवाई भी मान्य नहीं होगी।

जयमंगल पांडेय, ब्रह्मपुर (बक्सर)। भूमि सर्वेक्षण करने के लिए सरकारी भूमि के संबंध में विभाग द्वारा इस बार काफी पुख्ता नियम कानून बनाए गए हैं। सर्वेक्षण में सरकारी जमीन पर अवैध तरीके से कब्जा करने, मकान या अन्य संरचना करने वाले व्यक्ति या संस्था के नाम से खाता नहीं खोला जाएगा और खतियान में बिहार सरकार का नाम दर्ज कर दिया जाएगा।

इतना ही नहीं, सरकारी जमीन पर गलत तरीके से रसीद काटने या जमाबंदी की कार्रवाई भी मान्य नहीं होगी। जाहिर है कि इस बार के सर्वेक्षण से हर तरह के सरकारी भूमि पर अवैध कब्जे की पहचान आसानी से हो जाएगी।

बक्सर जिले के विभिन्न अंचलों में पिछले कुछ वर्षों से बड़े पैमाने पर सरकारी भूमि पर अवैध कब्जे का खेल चल रहा है और खुद उस विभाग को भी अपनी भूमि के बारे में जानकारी नहीं है। बड़े पैमाने पर मकान और अन्य संरचना का निर्माण भी कर लिया गया है और कई मामलों में भ्रष्ट तरीके से लगान रसीद भी काट दिया गया है, लेकिन इस बार के सर्वेक्षण में सरकारी जमीन पर कब्जे की सच्चाई सामने आ जाएगी।

बिहार सरकार की जमीन गैर मजरूआ खास या अनाबाद सर्वसाधारण, तालाब, आहर, पइन या परती जमीन पर किसी व्यक्ति द्वारा अवैध तरीके से कब्जा कर लिया गया हो, मकान या किसी तरह की संरचना का निर्माण किया गया हो। वैसे सरकारी जमीन पर उस व्यक्ति के नाम से खाता नहीं खुलेगा, बल्कि बिहार सरकार के नाम से खाता खुलेगा और खतियान के अभियुक्ति कालम में अतिक्रमण लिख दिया जाएगा।

न्यायालय में मामला होने पर लिखा जाएगा विवादित

गैर मजरूआ खास भूमि पर किसी जमींदार द्वारा एक जनवरी 1946 के पूर्व हुकमनामा का रसीद रैयत के नाम से दिया गया है। सरकारी लगान रसीद जमींदारी उन्मूलन के वर्ष से कट रही है, तब कागजात उपलब्ध कराने के बाद रैयत के नाम खाता खोला जाएगा। यदि ऐसा नहीं है, तो रैयत के नाम खाता नहीं खुलेगा और जमीन सरकारी खाते में चली जाएगी।

किसी गैर मजरूआ खास भूमि पर 1970 के खतियान में किसी व्यक्ति का नाम दर्ज है और दखल कब्ज में है, तो उसके नाम पर खाता खुलेगा। इस तरह के जमीन पर सिविल कोर्ट द्वारा दिया गया आदेश मान्य होगा। सरकारी या रैयती जमीन पर न्यायालय में मामला लंबित होने पर अभियुक्ति कालम में विवादित लिखा जाएगा। बाद में न्यायालय के निर्णय का पालन किया जाएगा।

सरकारी भूमि पर मान्य नहीं होगी अवैध जमाबंदी

यदि किसी गैर मजरूआ आम भूमि पर किसी सरकारी कर्मचारी या अधिकारी द्वारा अवैध तरीके से लगान रसीद काट दिया गया है या अवैध जमाबंदी खोल दिया गया है, तो सर्वेक्षण में उसकी मान्यता नहीं दी जाएगी और खाता उस व्यक्ति या संस्था के नाम पर नहीं खुलेगा। इसके लिए विभाग के अधिकारी अंचल कार्यालय से प्राप्त जरूरी कागजातों का अवलोकन भी करेंगे। सक्षम न्यायालय के आदेश पर की गई जमाबंदी मान्य होगी।

अंचल अभिलेख के जमाबंदी में की गई गड़बड़ी सरकारी जमीन पर जमाबंदी खोलने या रसीद काटने में अंचल कार्यालय में भी बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की गई। इस तरह के मामले में अधिकारियों द्वारा वर्षों पूर्व दिए गए दाखिल खारिज के आदेश, जमाबंदी आदेश, त्रुटि सुधार या लगान रसीद आदि के कागजात गायब कर दिए गए या उपलब्ध ही नहीं है। जमीन की हेरा फेरी पर पर्दा डालने के लिए रजिस्टर टू के पन्ने भी फाड़ दिए गए हैं। ऐसी स्थिति में सर्वेक्षण के दौरान कई तरह की समस्याएं भी उत्पन्न होगी।

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