IPS अनुसूया रणसिंह साहू का विवादों से है नाता, भ्रष्टाचार के 9 साल पुराने इन मामलों में बढ़ सकती हैं मुश्किलें
DIG Anusuya। डीआईजी अनुसूया का डीजी शोभा ओहटकर से विवाद फिर गृह रक्षा वाहिनी एवं अग्निशमन सेवा से तबादला जरूर हो गया है लेकिन चर्चा में लगातार रह रही हैं। डीआईजी अनुसूया का विवादों से पुराना नाता रहा है। डुमरांव स्थित बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस (बीएसएपी-04) में डीआईजी के पदस्थापन के दौरान साल 2014 में वित्तीय अनियमितता उजागर हुई थी।
रंजीत कुमार पांडेय, डुमरांव (बक्सर): डीजी शोभा ओहटकर से विवाद और तबादले के बाद डीआईजी अनुसूया रणसिंह साहू चर्चा में आ गई हैं। उनके साथ विवादों का नाता नया नहीं है।
डुमरांव स्थित बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस (बीएसएपी-04) में उनके पदस्थापन के दौरान वर्ष 2014 में वित्तीय अनियमितता उजागर हुई थी। इसमें जो तथ्य सामने आए थे, उससे पुलिस महकमे की बदनामी हुई थी।
दरअसल, अनुमंडल मुख्यालय के हरियाणा पशु प्रजनन प्रक्षेत्र की जमीन पर बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस बल- 04 की स्थापना 26 सितंबर 2012 को हुई।
2013 में कमांडेंट के तौर पर पदभार ग्रहण किया
एक अप्रैल 2013 को यहां कमांडेंट सह प्राचार्य के तौर पर महिला आईपीएस अनुसूया ने पदभार संभाला और सितंबर 2014 तक कमांडेंट के पद पर बनी रहीं।
इनके कार्यकाल के दौरान लेखा रिपोर्ट और डीजी ट्रेनिंग की जांच के मुताबिक भारी वित्तीय अनियमितता हुई। जांच में यह उभरकर सामने आया था कि कार्यालय के लिए कई सामान की खरीदारी केवल फाइलों में कर ली गई है और ये सामान कभी परिसर में आए ही नहीं।
विभाग के वरिष्ठ अधिकारी ने अपनी जांच रिपोर्ट में सारे तथ्यों का उल्लेख करते हुए रिपोर्ट भी दे दी, लेकिन इस गड़बड़ी के लिए जिम्मेदार अधिकारी पर करीब नौ साल गुजरने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई।
वर्ष 2006 बैच की महिला आईपीएस अनुसूया रणसिंह साहू गुरुवार तक होमगार्ड और फायर सर्विस में डीआईजी के पद पर थीं, लेकिन विभागीय डीजी से विवाद के बाद उन्हें नागरिक सुरक्षा विभाग में भेज दिया गया है।
कैसे हुआ था खरीदारी में गड़बड़झाला
किसी भी सरकारी संस्थान में सामान की खरीदारी क्रय समिति के माध्यम से होती है, लेकिन यहां आईपीएस अनुसूया ने अपने निजी बैंक खाते में रुपये ट्रांसफर कर कार्यालय के कम्प्यूटर एवं अन्य सामग्री की खरीदारी की। जब यह मामला विभाग के संज्ञान में आया तो दो अलग-अलग टीमों का गठन कर मामले की जांच कराई गई।
उस समय जांच के दौरान न तो खरीदा गया कोई सामान मिला एवं न ही खरीदारी का कोई विपत्र ही उपलब्ध हुआ था। इस मामलें में गृह विभाग ने डीजीपी एवं निगरानी अन्वेषण ब्यूरो को जांच कर प्रतिवेदन प्रस्तुत करने का आदेश दिया था।
डीजी ट्रेनिंग ने की थी जांच
मामला उजागर होने के बाद 18 सितंबर 2015 को तत्कालीन डीजी ट्रेंनिंग केएस द्विवेदी ने बीएसएपी-4 में पहुंचकर जांच की थी। इस दौरान पता चला कि आईपीएस अनुसूया द्वारा कार्यालय के नाम पर पटना में ही सामग्रियों की खरीदारी की गई थी, जो डुमरांव पहुंची ही नहीं।
उन्होंने 50,601 रुपये में कम्प्यूटर एवं 14,982 रुपये में टेबल खरीदा था। डीजी प्रशिक्षण ने 22 सितंबर 2015 को विभाग के महालेखाकार से संस्थान में क्रय किए गए सभी सामग्रियों के भौतिक सत्यापन एवं अद्यतन अंकेक्षण करने का अनुरोध किया।
इसके अलावे एक तीन सदस्यीय जांच टीम गठित की गई, जिसमें तत्कालीन पुलिस महानिरीक्षक प्रशिक्षण मो. मंसूर अहमद को अध्यक्ष बनाया गया था। टीम में प्रशिक्षण निदेशालय पटना के पुलिस निरीक्षक निर्मल कुमार तिवारी और लेखापाल देवेन्द्र कुमार शर्मा को सदस्य बनाया गया था।
इस टीम ने नौ अक्टूबर 2015 को जांच प्रतिवेदन वरीय अधिकारियों को सौंप दिया था। इसमें खरीदे गए उपकरण उपलब्ध नहीं होने के साथ ही भंडारण पंजी एवं वितरण पंजी को गायब करने का भी गंभीर आरोप लगा था।
यह भी पढ़ें: 'प्रधानमंत्री फिर चूक गए...', RJD सांसद का महिला आरक्षण विधेयक के बहाने तंज, रमेश बिधूड़ी को लेकर कही ये बात