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Jitiya Vrat 2024: जितिया कब है, 24 या 25 सितंबर को? जानें पारण का सही टाइम; ये है व्रत रखने की सबसे उत्तम विधि

Jitiya Paran Time 2024 आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को जितिया या जीवित्पुत्रिका व्रत मनाया जाता है। यह व्रत माताएं अपने पुत्रों की सुरक्षा और स्वास्थ्य के लिए रखती हैं। व्रत की विधि में नहाय-खाय पूजन कथा श्रवण और दान पुण्य शामिल है। व्रत 24 घंटे का निर्जला होता है और अगले दिन सूर्योदय के बाद पारण किया जाता है।

By Girdhari Agrwal Edited By: Sanjeev Kumar Updated: Fri, 20 Sep 2024 01:46 PM (IST)
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जितिया व्रत को लेकर सटीक जानकारी (जागरण फोटो)
जागरण संवाददाता, बक्सर। Jitia Vrat 2024 Date and Time: शास्त्रों में आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को जितिया, जीमूत वाहन अथवा जीवित्पुत्रिका व्रत करने का विधान है। कर्मकांडियों के अनुसार पहला दिन नहाय-खाय कहलाता है, दूसरे दिन खर जितिया कहलाता है। आचार्य अमरेंद्र कुमार शास्त्री उर्फ साहेब पंडित, पंडित शैलेंद्र कुमार मिश्र आदि का कहना है कि अपने यहां कोई भी पर्व-त्योहार वाराणसी पंचांग के अनुसार मनाया जाता है।

जिसके तहत अष्टमी तिथि मंगलवार (24 तारीख) की शाम 5:58 बजे से प्रारंभ होकर बुधवार (25 तारीख) की शाम 4:47 बजे तक रह रही है। जीवित्पुत्रिका व्रत का मान सूर्योदय ग्राह्य तिथि में होने से माता और पुत्र के इस अगाध प्रेम का पर्व 25 तारीख दिन बुधवार को मनाया जाएगा।

व्रत का पारण गुरुवार सूर्योदय के बाद

इसी दिन माता-बहनों द्वारा संतान की सुरक्षा एवं स्वास्थ्य कल्याण के लिए 24 घंटे का निर्जला उपवास रखा जाएगा। पहले दिन मंगलवार (24 तारीख) को व्रती नहाय-खाय की विधि पूरा करेंगी। व्रत का पारण गुरुवार को सूर्योदय के बाद करना सही होगा।

व्रत रखने की विधि

आचार्यों ने बताया कि सबसे पहले व्रती महिलाएं पवित्र होकर संकल्प के साथ प्रदोष काल में गाय के गोबर से पूजन स्थल की लिपाई करें। फिर, शालीवाहन राजा के पुत्र धर्मात्मा जीमूतवाहन की कुछ निर्मित मूर्ति स्थापित कर पीली व लाल रूई से उसे अलंकृत करें। मिट्टी या गाय के गोबर से चिल्होरिन (मादा चील) और सियारिन की मूर्ति बनाकर उसका मस्तिष्क लाल सिंदूर से विभूषित कर दें।

तत्पश्चात धूप, अक्षत, फूल, माला व विविध प्रकार की नैवेद्य सामग्री से पूजन प्रारंभ करें। आचार्य ने कहा कि पूजन के बाद व्रत महत्व की कथा श्रवण करनी चाहिए और दान पुण्य के साथ अगले दिन सूर्योदय बाद व्रत का पारण कर लें।

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