कभी पंजाब मेल और तूफान जैसी ट्रेनें होती थी रेलवे की शान, अब वंदे भारत की स्पीड दे रही नया अहसास
Bihar News in Hindi पटना से अयोध्या होकर लखनऊ के बीच चल रही वंदे भारत एक्सप्रेस यात्रियों को एक नया अनुभव दे रही है। लालकिला और तूफान एक्सप्रेस जैसी ट्रेनों का दौर गुजरने के बाद रेलवे खुद को नए स्वरूप में ढाल रहा है। इसमें विश्व स्तरीय सुविधाएं समय पर परिचालन और कम समय में यात्रा जैसी बुनियादी बातें शामिल हैं।
शुभ नारायण पाठक, बक्सर। पटना से अयोध्या होकर लखनऊ के बीच चल रही 22345-6 वंदे भारत एक्सप्रेस (Patna Lucknow Vande Bharat Train) स्थानीय रेल यात्रियों को एक नया अनुभव दे रही है। लालकिला और तूफान एक्सप्रेस जैसी ट्रेनों का दौर गुजरने के बाद रेलवे खुद को नए स्वरूप में ढालने लगा है। इसमें विश्व स्तरीय सुविधाएं, समय पर परिचालन, कम समय में यात्रा जैसी बुनियादी बातें शामिल हैं।
इस मुकाम तक पहुंचने में रेलवे को काफी वक्त लगा है। नई पीढ़ी को पुराने जमाने की ट्रेन सेवाओं की जानकारी नहीं है। गत 10-15 साल के अंदर जन्म लेने वाले बच्चों को उन ट्रेनों का नाम तक पता नहीं होगा, जो एक वक्त इस रेलखंड की शान हुआ करती थीं।बक्सर में रेल सुविधाओं का विकास वर्ष 1862 में ही हो चुका था। आजादी के वक्त इस मार्ग से चलने वाली सबसे महत्वपूर्ण और लंबी दूरी की ट्रेन पंजाब मेल हुआ करती थी।
आजादी के पहले यह ट्रेन मौजूदा पाकिस्तान के शहर लाहौर से खुलकर हावड़ा के बीच चलती थी। वर्ष 1943 की समय सारिणी के मुताबिक, यह ट्रेन बक्सर में रुकती थी।लखनऊ में 20 मिनट ठहराव के बाद वहां से यह ट्रेन दिन के 1.55 बजे खुलती थी और रात को 10.16 बजे बक्सर पहुंचती थी। इस तरह इस ट्रेन को लखनऊ से बक्सर आने में आठ घंटे 21 मिनट का वक्त लगता था। वंदे भारत यह दूरी छह घंटे 34 मिनट में ही पूरी कर लेती है।
पंजाब मेल से तब दानापुर, पटना और हावड़ा जाने में क्रमश: दो घंटे चार मिनट, दो घंटे 24 मिनट और 14 घंटे 59 मिनट लगते थे।तब इस ट्रेन का मुगलसराय नया नाम डीडीयू से दानापुर के बीच केवल बक्सर में ही ठहराव था। एक और जानकारी आपके लिए नई हो सकती है कि तब तूफान एक्सप्रेस पटना की बजाय गया के रास्ते चला करती थी।
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