Pitru Paksh 2023: इस तिथि से शुरू हो रहा पितृ पक्ष मेला, जानिए हिंदू धर्म में पिंडदान का क्या है महत्व
गयाजी में पितृपक्ष मेले की शुरुआत होने जा रहा है। ऐसे में पिंडदानियों का गयाजी आना शुरू हो गया। पिंडदानी अपने पितरों के मोक्ष की कामना को लेकर पहुंचने लगे हैं। वहीं इस पिंडदान की महत्व को लेकर कई आचार्यों ने अपनी राय लोगों के समक्ष रखी है। आइए जानते हैं पिंडदान करने का क्या महत्व है और किस तिथि में पिंडदान करने पर विशेष पुण्य मिलेगा।
By Girdhari AgrwalEdited By: Shashank ShekharUpdated: Fri, 22 Sep 2023 03:26 PM (IST)
गिरधारी अग्रवाल, बक्सर: हिंदू धर्म में पितृपक्ष (महालया) का विशेष महत्व है और यह 29 सितंबर दिन शुक्रवार से आरंभ हो रहा है। ऐसे में इस दिन पूर्णिमा का श्राद्ध तर्पण किया जाएगा और अगले दिन यानी शनिवार को पितृपक्ष प्रतिपदा तिथि (प्रथम) का श्राद्ध तर्पण किया जाएगा।
मनीषियों के मुताबिक, पितृपक्ष में श्राद्ध के लिए तिथि और वार (दिन) का आधार मध्य ग्राह्य के समय पर निर्भर है। इसके कारण द्वितीया एवं तृतीया तिथि का श्राद्ध एक ही दिन एक अक्टूबर (रविवार) को होगा।
वहीं, 14 अक्टूबर दिन शनिवार को अमावस्या एवं अज्ञात तिथिनाम श्राद्ध के तर्पण के साथ पितृ विसर्जन का समापन होगा।
पितृपक्ष के महत्व पर आचार्यों का क्या कहना
आचार्यों ने बताया कि पितृपक्ष में जो पूर्वज अपनी देह का त्याग कर चले जाते हैं, उनकी आत्मा की शांति के लिए तर्पण का विधान है, इसे श्राद्ध कहते हैं। श्राद्ध यानी श्रद्धा पूर्वक किया जाने वाला कार्य।इसमें मान्यता है कि मृत्युलोक के देवता यमराज आत्मा को मुक्त कर देते हैं ताकि वे अपने परिजन के यहां जाकर तर्पण ग्रहण कर सकें। पितृपक्ष में पितरों को याद किया जाता है। इसके महत्व के बारे में पुराणों में भी वर्णन मिलता है।
ज्योतिषाचार्य पंडित नरोत्तम द्विवेदी के अनुसार, पितृपक्ष में पितरों का तर्पण करने से पितृ दोष दूर होते हैं। वहीं, कर्मकांडी अमरेंद्र कुमार मिश्र ने कहा कि जन्म कुंडली में पितृ दोष होने से व्यक्ति को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है।उन्होंने कहा कि जिन लोगों की कुंडली में यह दोष पाया जाता है, उन्हें हर कार्य में बाधा का सामना पड़ता है। मान-सम्मान में भी कमी बनी रहती है। जमा पूंजी नष्ट हो जाती है, रोग आदि भी घेर लेते हैं।
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