Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

Pitru Paksha 2024: श्राद्ध कर्म के लिए कौन-सा समय सबसे ज्यादा शुभ है? पुरोहितों ने बताई एक-एक बात

श्राद्ध कर्म के लिए सबसे शुभ समय जानिए। सुबह 11 बजकर 36 मिनट से दोपहर 12 बजकर 27 मिनट के बीच कुतप काल में श्राद्ध करने से पितरों को विशेष संतुष्टि मिलती है। पुरोहितों ने बताया कि यह एक ऐसा पक्ष है जिसका उद्देश्य परिवार को एकसाथ बनाए रखना है। श्राद्ध कर्म का एक समुचित उद्देश्य है दिवंगत पूर्वजों के आदर्श व कार्यकलापों को अपनों के बीच जीवित रखना।

By Girdhari Agrwal Edited By: Rajat Mourya Updated: Thu, 19 Sep 2024 02:56 PM (IST)
Hero Image
श्राद्ध कर्म के लिए 11:36 से 12:27 का समय विशेष शुभ।

जागरण संवाददाता, बक्सर। Pitru Paksha 2024 पितृपक्ष यानी श्राद्ध पक्ष शुरू हो गया है। यह दो अक्टूबर तक चलेगा। यही वो पक्ष है, जो आने वाली संतति को अपने पूर्वजों से परिचित करवाता है। यह एक भावना प्रधान पक्ष है और इसके बहाने लोग अपने पूर्वजों को याद करते हैं।

श्राद्ध कर्म से जुड़े पुरोहितों ने बताया कि इसके लिए दिन में अपराह्न 11:36 बजे से 12:27 बजे का समय विशेष शुभ होता है। दिन के इस आठवें मुहूर्त के समय को कुतप काल कहते हैं। वैसे तो श्राद्ध कर्म श्रद्धा का पर्व है, लेकिन समायाभाव या धन के अभाव में आकाश की ओर मुख करके दोनों हाथों द्वारा आह्वान करके पितृगणों को नमस्कार कर सकते हैं।

'बच्चों को दादा-दादी का नाम तक नहीं मालूम'

पुरोहितों ने बताया कि यह एक ऐसा पक्ष है जिसका उद्देश्य परिवार को एकसाथ बनाए रखना है। शिक्षाविद् श्री भगवान पांडेय का कहना है कि बहुतेरे आधुनिक युगीन बच्चे श्राद्ध का नाम आते ही इसे अंधविश्वास से जोड़कर देखने लगते हैं। तरह-तरह के प्रश्न करने लगते हैं, जिसका उत्तर तर्क से देना कठिन होता है, परंतु ऐसे ही कुछ बच्चों से परदादा तो छोड़ ही दीजिए दादा-दादी एवं नाना-नानी का नाम पूछो तो बगलें झांकने लगते हैं।

क्या है श्राद्ध कर्म का उद्देश्य?

उन्होंने बताया कि यह धार्मिक कृत्य से जुड़ा वो पक्ष है, जिसकी प्रत्येक तिथियों पर पूर्वजों को याद करके उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व से बच्चों को परिचित कराया जा सकता है। सेवानिवृत बैंक अधिकारी सह अधिवक्ता ईश्वर चंद्र शर्मा का कहना है कि श्राद्ध कर्म का एक समुचित उद्देश्य है दिवंगत पूर्वजों के आदर्श व कार्यकलापों को अपनों के बीच जीवित रखना।

उन्होंने बताया कि जिन दिवंगत आत्माओं के कारण पारिवारिक वृक्ष खड़ा है उनके योगदान को स्मरण करना। प्रोफेसर राजेश कुमार का मानना है कि हमारे समाज में हर सामाजिक व वैज्ञानिक अनुष्ठान को धर्म से जोड़ दिया गया है, ताकि परंपराएं चलती रहें।

इसके अलावा, ज्योतिषियों द्वारा पितृ दोष को सबसे जटिल कुंडली दोषों में से एक माना गया है। इसके कारण मनुष्य को जीवन में कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसके सहारे कुटुंब की स्वस्थ परंपराओं का निर्वाह संभव है।

आपके शहर की तथ्यपूर्ण खबरें अब आपके मोबाइल पर