Move to Jagran APP

Pitru Paksha Dates 2024: पितृपक्ष कब से हो रहा शुरू? श्राद्ध को लेकर अभी से नोट कर लें ये जरूरी बातें

इस बार पितृपक्ष 18 सितंबर (बुधवार) से शुरू हो रहा है। तिथियों को लेकर इस बार कोई परेशानी नहीं होगी। सभी तिथियां क्रमवार हैं। 15वें दिन यानी दो अक्टूबर दिन बुधवार को अमावस्या एवं अज्ञात तिथिनाम श्राद्ध के तर्पण के साथ पितृ विसर्जन का समापन होगा। ज्योतिषाचार्य पंडित नरोत्तम द्विवेदी के अनुसार पितृपक्ष में पितरों का तर्पण करने से पितृ दोष दूर होते हैं।

By Girdhari Agrwal Edited By: Rajat Mourya Updated: Mon, 09 Sep 2024 02:30 PM (IST)
Hero Image
पितृपक्ष में श्राद्ध के लिए तिथि, वार (दिन) का आधार मध्य ग्राह्य के समय पर निर्भर है।
गिरधारी अग्रवाल, बक्सर। पितृपक्ष में जो पूर्वज अपनी देह का त्याग कर चले जाते हैं, उनकी आत्मा की शांति के लिए हिंदू धर्म में तर्पण का विधान है, जिसे श्राद्ध कहते हैं। हिंदू धर्म में पितृपक्ष (महालया) का विशेष महत्व है, जो 18 सितंबर दिन बुधवार से आरंभ हो रहा है। पहले दिन पितृपक्ष प्रतिपदा तिथि (प्रथम) का श्राद्ध तर्पण किया जाएगा।

मनीषियों के मुताबिक, पितृपक्ष में श्राद्ध के लिए तिथि, वार (दिन) का आधार मध्य ग्राह्य के समय पर निर्भर है। इस बार तिथियों को लेकर कोई परेशानी वाली बात नहीं है। सभी तिथियां क्रमवार हैं और 15वें दिन यानी दो अक्टूबर दिन बुधवार को अमावस्या एवं अज्ञात तिथिनाम श्राद्ध के तर्पण के साथ पितृ विसर्जन का समापन होगा।

श्राद्ध यानी श्रद्धा पूर्वक किया जाने वाला कार्य। मान्यता है कि मृत्युलोक के देवता यमराज इस दौर में आत्मा को मुक्त कर देते हैं, ताकि वे अपने परिवार जन के यहां जाकर तर्पण ग्रहण कर सकें। पितृपक्ष में पितरों को याद किया जाता है। इसके महत्व के बारे में पुराणों में भी वर्णन मिलता है।

ज्योतिषाचार्य पंडित नरोत्तम द्विवेदी के अनुसार, पितृपक्ष में पितरों का तर्पण करने से पितृ दोष दूर होते हैं। कर्मकांडी अमरेंद्र कुमार मिश्र का कहना है कि जन्म कुंडली में पितृ दोष होने से व्यक्ति को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। जिन लोगों की कुंडली में यह दोष पाया जाता है, उन्हें हर कार्य में बाधा का सामना पड़ता है। मान-सम्मान में भी कमी बनी रहती है। जमा पूंजी नष्ट हो जाती है, रोग आदि भी घेर लेते हैं।

श्राद्ध का क्या है महत्व?

पंडित शैलेंद्र कुमार मिश्र का कहना है कि पितृपक्ष में श्राद्ध और तर्पण करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इससे जीवन में आने वाली परेशानियों से मुक्ति मिलती है। ऐसा माना जाता है कि श्राद्ध नहीं करने की स्थिति में आत्मा को पूर्ण रूप से मुक्ति नहीं मिल पाती है। इस स्थिति में आत्मा भटकती रहती है।

पितृ पक्ष में पूजा और याद करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और उनकी आत्मा को शांति मिलती है। इसमें नियम और अनुशासन का पालन करने से इसका पूर्ण लाभ प्राप्त होता है।

अनंत चतुर्दशी 17 को

वाराणसी पंचांग के अनुसार, बुधवार को उदय व्यापनी पूर्णिमा तिथि है और प्रतिपदा तिथि का आगमन भी इसी दिन सुबह 8:42 बजे हो जा रहा है। जो दूसरे दिन सुबह 6:17 बजे तक रह रही है।

प्रसिद्ध कर्मकांडी अमरेंद्र कुमार शास्त्री उर्फ साहेब पंडित का कहना है कि पितृपक्ष में श्राद्ध के लिए तिथि, वार (दिन) का आधार मध्य ग्राह्य के समय पर निर्भर है, सो प्रतिपदा में श्राद्ध का तर्पण बुधवार को ही करना श्रेयस्कर होगा।

गुरुवार को द्वितीया तिथि का श्राद्ध तर्पण करना उचित होगा। 17 सितंबर को अनंत चतुर्दशी एवं विश्वकर्मा पूजा है। इसी दिन व्रत की पूर्णिमा और नान्दी मातामह का भी श्राद्ध होगा।

इस बार तिथियों के लिए कोई माथापच्ची नहीं करनी है, सभी तिथियां क्रमवार हैं। पितृपक्ष का समापन दो अक्तूबर दिन बुधवार को आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि पर होगा।

ये भी पढ़ें- Parivartini Ekadashi 2024: परिवर्तिनी एकादशी के दिन इस कथा का जरूर करें पाठ, तभी मिलेगा व्रत का फल

ये भी पढ़ें- Radha Ashtami 2024: मोक्ष प्रदान करती हैं भगवान श्रीकृष्ण की दुलारी राधा रानी

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।