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Buxar News: खून बनाने की फैक्ट्री... 70 बार रक्तदान कर चुके हैं बक्सर के प्रियेश, अब तक तीन बार किया गया सम्मानित

बक्सर के 33 वर्षीय प्रियेश को लोग खून बनाने का कारखाना के तौर पर जानते हैं।वह खुद अब तक 70 बार रक्तदान कर चुके हैं। कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के वक्त एक साल में उन्होंने सात बार रक्तदान कर लोगों की जान बचायी। रक्तदान करने के लिए राज्य सरकार ने उन्हें अब तक तीन बार सम्मानित किया है। इस बार तेजस्वी यादव ने उन्हें सम्मानित किया है।

By Shubh Narayan Pathak Edited By: Mukul KumarUpdated: Tue, 09 Jan 2024 02:55 PM (IST)
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प्रियेश को सम्मानित करते स्वास्थ्य मंत्री तेजस्वी यादव

दिलीप कुमार ओझा, बक्सर। खून की कमी से देश में औसतन 12 हजार लोग हर साल अपनी जान गंवाते हैं। समस्या यह है कि खून किसी कारखाने में नहीं बनता और इसका एकमात्र समाधान रक्तदान है। यही वजह है कि बक्सर के 33 वर्षीय प्रियेश को लोग खून बनाने का कारखाना के तौर पर जानते हैं।

वह 18 वर्ष की उम्र से रक्तदान करने में जुटे हैं। अब उनके साथ 83 युवाओं का एक समूह बन गया है। इनमें 23 ऐसे हैं, जो एक कॉल पर रक्तदान करने को तैयार रहते हैं।

इनकी पहचान केवल बक्सर में ही नहीं, बल्कि आरा, रोहतास, कैमूर, पटना और उत्तर प्रदेश के बलिया, गाजीपुर सहित कई जिलों तक है। उनके पास हर दिन औसतन से तीन से चार फोन खून की जरूरत के लिए आते हैं।

सत्यदेव गंज मुहल्ले के रहने वाले प्रियरंजन के पुत्र प्रियेश इसे काफी नेक काम मानते हैं। विधि स्नातक और पंजाब नेशनल बैंक का सीएसपी चलाने वाले प्रियेश बताते हैं कि रात के 12 बजे भी रक्तदान करने में उनके दोस्तों को कोई हिचकिचाहट नहीं रहती है। वह खुद अब तक 70 बार रक्तदान कर चुके हैं।

कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के वक्त एक साल में उन्होंने सात बार रक्तदान कर लोगों की जान बचायी। ओ पॉजिटिव समूह का खून होने के कारण सभी के काम आने का भाग्य उन्हें भगवान से ही मिला हुआ है।

राज्य सरकार ने तीन बार किया सम्मानित

रक्तदान करने के लिए राज्य सरकार ने उन्हें अब तक तीन बार सम्मानित किया है। वर्ष 2022 में तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय एवं 2023 में उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने सम्मान देकर प्रोत्साहित किया है। प्रियेश ने बताया कि बीते वर्ष पूरे शाहाबाद में केवल दो लोगों को राज्य स्तर पर सम्मानित किया गया।

इसमें वे और बजरंगी मिश्रा शामिल हैं। दोनों ही बक्सर के रहने वाले हैं। उन्हें रक्तदान करने की प्रेरणा पंजाब नेशनल बैंक के तत्कालीन अग्रणी बैंक प्रबंधक एसएन भांजा एवं रेडक्रास के दिनेश जायसवाल से मिली थी।

धमकी भी मिली, लाठी भी खाई

आश्चर्य कि बात तो यह है कि इतना नेक काम करने वाले प्रियेश को इसके लिए धमकी भी मिली और लाठी भी खाई। वह बताते हैं कि एक बार चार-पांच यूनिट रक्त के लिए उन्हें फोन पर धमकी भी दी गई। कोविड लाकडाउन के दौरान थैलेसिमिया पीड़ित की स्थिति गंभीर हो गई। संबंधित लोग 24 घंटे से कोशिश में लगे थे।

जब प्रियेश को इसकी जानकारी मिली, तो वह सख्त लाकडाउन के बावजूद बाहर निकले। इसका नतीजा हुआ कि चौराहे पर पुलिस ने उन्हें लाठी से पीट डाला। बाद में वरीय अधिकारी तक मामला पहुंचा। इसके बाद भी उन्होंने अस्पताल जाकर रक्तदान किया।

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