बक्सर के हाई स्कूल में पढ़ाते थे शारदा सिन्हा के पिता, लोक गायिका ने कहा था- यह मेरे लिए तीर्थ से भी बड़ा
शारदा सिन्हा बक्सर को तीर्थ से भी अधिक पवित्र मानती थीं। उन्होंने 13 अप्रैल 2022 को बक्सर में आयोजित अखिल भारतीय संत समागम में अपनी यादों को साझा किया। उन्होंने बताया कि उनके पिता बक्सर के रामरेखा घाट के पास स्थित हाई स्कूल में प्रधानाध्यापक थे। उन्होंने भगवान श्री राम से जुड़े बक्सर के इतिहास का जिक्र करते हुए कई भक्ति गीत प्रस्तुत किए।
शुभ नारायण पाठक, बक्सर। लोक गायन में अप्रतिम ऊंचाई तक पहुंचने वाली शारदा सिन्हा बक्सर को तीर्थ से भी अधिक पवित्र और महत्वपूर्ण मानती थीं। 13 अप्रैल 2022 की रात जिला मुख्यालय से सटे अहिरौली में आयोजित अखिल भारतीय संत समागम के मंच से उन्होंने बक्सर से जुड़ी अपनी यादों को साझा किया था।
उन्होंने बताया था कि उनके पिता बक्सर के रामरेखा घाट के पास स्थित हाई स्कूल में प्रधानाध्यापक थे। उनकी मां भी तब बक्सर में रहा करती थीं। उनकी मां बक्सर में रहते हुए प्रतिदिन गंगा में स्नान करती थीं।
उन्होंने भगवान श्री राम से जुड़े बक्सर के इतिहास का जिक्र करते हुए कहा था कि अन्य लोगों के लिए यह जगह एक तीर्थ है लेकिन मेरे लिए यह तीर्थ से भी बड़ा है।
शारदा सिन्हा ने क्या कहा था?
कार्यक्रम के मंच से उन्होंने कई भक्ति गीत प्रस्तुत किए थे। जगदंबा घर में दियरा बार अइनी हो... गीत गुनगुनाते हुए उन्होंने कहा था कि चौथी पीढ़ी को ये पंक्तियां सुनने का मौका उन्हें मिल रहा है।
उन्होंने प्रसिद्ध छठ गीत केलवा के पात पर उगेले सूरज मल..., लड्डू सबरी के भी खईलन, टुटली मड़ईया महल हो जाला..., मोहे रघुवर की सुध आई... जैसे एक के बाद एक कई भक्ति गीत सुनकर उन्होंने जनमानस को भाव -विभोर कर दिया था।
इस कार्यक्रम में उनके बहू और बेटा भी शामिल हुए थे। तब उनकी आवाज में जो जोर था, उसको सुनकर कहीं से इस बात का एहसास नहीं होता था कि इतनी बड़ी लोक गायिका इतनी जल्दी हम सभी के बीच से कहीं दूर चली जाने वाली हैं।
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