UPSC CSE 2nd Topper Interview: बिहार की 'गरिमा' का Exclusive इंटरव्यू; होम कैडर की इच्छा, अब ये है प्लान
Exclusive Interview of UPSC CSE 2022 Second Topper Garima Lohia संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा परीक्षा में बक्सर की गरिमा लोहिया ने दूसरा स्थान हासिल किया है। दैनिक जागरण के लिए शुभ नारायण पाठक ने गरिमा से बातचीत की। प्रस्तुत हैं उनके प्रमुख अंश...
By Shubh Narayan PathakEdited By: Prateek JainUpdated: Tue, 23 May 2023 07:32 PM (IST)
बक्सर, शुभ नारायण पाठक: संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा परीक्षा में बक्सर की गरिमा लोहिया ने दूसरा स्थान हासिल किया है।
बक्सर में उनका घर पीपरपाती रोड से जुड़ी बंगला घाट वाली गली में पतित पावनी नदी गंगा के बिल्कुल किनारे पर है, जहां से नदी की कल-कल बहती धारा को देखा-सुना जा सकता है।छोटे शहर की पतली सी गली में रहने वाली गरिमा की यह कामयाबी एकबारगी अविश्वसनीय लगती है। खासकर तब, जब बक्सर से केवल उनका नाम का नाता नहीं है, बल्कि इसी जगह रहकर उन्होंने अपने सपने को पूरा किया है। जब परिणाम आया, तब वह अपने इसी घर में अपने परिवार के साथ हैं।
वह भारतीय प्रशासनिक सेवा में जाना चाहती हैं, उन्होंने जो रैंक हासिल किया है, उसके मुताबिक उन्हें उनकी पसंदीदा सेवा और पसंदीदा कैडर मिलना तय है।उनका कहना है कि छोटे शहर में रहने वाले युवाओं के ख्वाब भी बड़े होते हैं। दैनिक जागरण के लिए शुभ नारायण पाठक ने गरिमा से बातचीत की। प्रस्तुत हैं उनके प्रमुख अंश...
सवाल : एक औसत भारतीय युवा अपने करियर में सबसे ऊंचा मुकाम भारतीय प्रशासनिक सेवा में जाने का देखता है। यह मुकाम आपने लगभग हासिल भी कर लिया है। आपका अगला लक्ष्य क्या होगा?
जवाब : मेरी पूरी कोशिश रहेगी कि समाज से जो कुछ हासिल किया, उसे वापस लौटा सकूं। मैं शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण के क्षेत्र में समाज की बेहतरी के लिए काम करना पसंद करूंगी।सवाल : आपने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कहां से की?जवाब : मैंने बक्सर में रहकर ही यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी की। कोविड लॉकडाउन के दौरान मैं दिल्ली से घर चली आई। इसके बाद मैंने पढ़ाई घर पर रहकर ही जारी रखी। कॉमर्स से ग्रेजुएशन पूरा करने के बाद मैंने यूपीएससी की पूरी तैयारी बक्सर में ही रहकर की। शुरू में कुछ किताबें मैं साथ लेकर आयी थी।
बाद में मैंने ऑनलाइन ऐप्स से किताबें भी मंगायी। थोड़ा-बहुत यूट्यूब और दूसरे ऑनलाइन माध्यमों से भी मदद ली। जब मैं दिल्ली से लौटी, तो सारे कोचिंग बंद थे। पढ़ाई के लिहाज से मुश्किल दौर था। इसलिए मैं ऑनलाइन माध्यमों से जुड़ी और इसका पूरा इस्तेमाल किया। मैं समाचार पत्र और उनका विश्लेषण भी ऑनलाइन माध्यमों पर ही देखा करती थी।सवाल : आपकी पढ़ाई की शुरुआत कहां से हुई?
जवाब : मैंने बक्सर के ही वुड स्टॉक स्कूल से 10वीं तक की पढ़ाई की। इसके बाद 12वीं के लिए वाराणसी के सनबीम स्कूल में एडमिशन लिया। स्नातक की पढ़ाई मैंने दिल्ली के किरोड़ीमल कॉलेज से की।सवाल : आपने दूसरे प्रयास में यह कामयाबी हासिल की। क्या कभी आपको असफलता का डर लगा?जवाब : यूपीएससी की तैयारी इतनी कठिन है कि इसमें असफलता की संभावना भी बनी रहती है, लेकिन असफलता का मतलब यह नहीं कि आप निराश हो जाएं। अगर असफलता का अनुभव आपके सामने आता है, तो दोबारा और लगन से अपने लक्ष्य को हासिल करने में जुट जाना चाहिए।
सवाल : छोटे शहरों खासकर हिंदी भाषी क्षेत्र का सिविल सेवाओं में प्रतिनिधित्व कम हो रहा है? आप क्या कहना चाहेंगी?जवाब : छोटे शहरों के लोगों के भी ख्वाब बड़े होते हैं। इंटरनेट के जमाने में गरीब और धनी, छोटे और बड़े शहरों का फासला कम हुआ है। आप यूट्यूब और ऑनलाइन माध्यमों की मदद ले सकते हैं। बेसिक किताबों को पूरी लगन से पढ़ना आपको कामयाबी दिलाएगा।
सवाल : बतौर प्रशासक बिहार जैसे पिछड़े राज्य और बक्सर जैसे छोटे शहरों के प्रति आपकी क्या सोच रहेगी?जवाब : मैं चाहूंगी कि बतौर आईएएस अफसर मुझे बिहार कैडर ही मिले। मैं बिहार में ही आकर वापस काम करना चाहती हूं। गरीब राज्यों और छोटे शहरों की बेहतरी के लिए कुछ अच्छा करने की कोशिश करूंगी।सवाल : आपको यूपीएससी में इतनी बड़ी कामयाबी के लिए प्रेरणा कहां से मिली?
जवाब : मेरे जीवन में सबसी बड़ी प्रेरणा मेरी मां हैं। वह चाहती थीं कि मैं आईएएस बनूं। वह परीक्षा की तैयारी के दौरान पूरी रात मेरे साथ जगती थीं। इसके बाद सुबह मुझे नाश्ता कराने के बाद ही सुलाती थीं। यूपीएससी में इतनी बेहतर रैंक आने का श्रेय मेरी मां को ही जाता है।
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