Bihar: '50 से 55 प्रतिशत लोग चाहते हैं नया विकल्प', 6 महीने में एक करोड़ लोगों को साथ जोड़ेंगे Prashant Kishor
राजनीति के चाणक्य कहे जानेवाले प्रशांत किशोर ने दावा किया कि एक सर्वे के अनुसार बिहार के 50 से 55 प्रतिशत लोग राज्य में एक नया राजनीतिक विकल्प चाहते हैं। इन लोगों को ये नहीं पता है कि वो दल कौन होना चाहिए लेकिन उन्हें ये पता है कि वर्तमान में जो दल हैं उनसे बिहार सुधरने वाला नहीं है।
संवाद सहयोगी ,कमतौल (दरभंगा)। जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर इन दिनों दरभंगा जिले के कमतौल में पदयात्रा कर रहे हैं। कमतौल मिडिल स्कूल में शनिवार को पत्रकारों से बातचीत करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि पदयात्रा का यह भी उद्देश्य है कि ऐसे सारे लोगों को एकजुट करें, जो नया दल बनाना चाहते हैं।
नया विकल्प तलाश रहे 50 से 55 प्रतिशत लोग
राजनीति के चाणक्य कहे जानेवाले प्रशांत किशोर ने दावा किया कि एक सर्वे के अनुसार, बिहार के 50 से 55 प्रतिशत लोग राज्य में एक नया राजनीतिक विकल्प चाहते हैं। इन लोगों को ये नहीं पता है कि वो दल कौन होना चाहिए, लेकिन उन्हें ये पता है कि वर्तमान में जो दल हैं; उनसे बिहार सुधरने वाला नहीं है।
संस्थापक सदस्य चुनने के लिए चलाएंगे अभियान
उन्होंने कहा कि जब पदयात्रा शुरू की तो हमारा लक्ष्य था कि हर प्रखंड से 20 लोगों को चुनकर निकालेंगे तो बिहार में करीब 15 हजार लोग हो जाएंगे। वर्तमान में हर प्रखंड से दो से ढाई हजार लोग हमसे जुड़ते हैं। इस चीज को व्यवस्थित करने के लिए हम संस्थापक सदस्य बनाने का अभियान शुरू कर रहे हैं, जो लोग भी संस्थापक सदस्य बनना चाहते हैं वे बन सकते हैं।
6 महीने में 1 करोड़ संस्थापक सदस्य जोड़ने का लक्ष्य
प्रशांत किशोर ने कहा कि हमारा मानना है कि अगले छह महीने में करीब एक करोड़ लोगों को संस्थापक सदस्य के रूप में जोड़ा जाएगा। अभी तक 15 महीनों का मेरा अनुभव है कि हर प्रखंड से करीब दो हजार से ढाई हजार लोग जुड़ रहे हैं। जब पदयात्रा खत्म होगी, तब तक हमारा अनुमान है कि करीब एक करोड़ तक लोग संस्थापक सदस्य के रूप में जुड़ जाएंगे।
प्रशांत किशोर ने 10.4 किलोमीटर की पदयात्रा
प्रशांत किशोर ने कमतौल में शनिवार को 10.4 किलोमीटर की पदयात्रा की। इस दौरान पांच पंचायतों के आठ गांवों में गए। कमतौल के मिडिल स्कूल ग्राउंड से पदयात्रा शुरू होकर देवरा बंधौली पंचायत के दीघोपट्टी, काजी बहेरा पंचायत के बड़ी महुली, छोटी महुली, भवरपुरा, खजूरवाड़ा, जहांगीर टोला, नरौछ गांव से होते हुए राढ़ी दक्षिणी पंचायत के बेदा पोखरा तक गई।
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