Bihar Police बिहार में असामाजिक तत्वों का मनोबल तेजी से बढ़ता ही जा रहा है। उन्होंने दरभंगा के एक थाने में आग लगा दी। इसके साथ उन्होंने पुलिस वालों को जिंदा जलाने की कोशिश भी की। पुलिस कर्मियों की सजकता के कारण समय रहते आग पर काबू पा लिया गया। असामाजिक तत्वों की करतूत सीसीटीवी कैमरा में कैद हो गई है।
जागरण संवाददाता, दरभंगा/हनुमाननगर। दरभंगा जिले के मोरो थाने को कुछ असामाजिक तत्वों ने रविवार की रात आग लगा दी। पुलिस वालों को थाने के अंदर ही जलाने की कोशिश की गई। हालांकि, पुलिस कर्मियों की सजकता के कारण समय रहते आग पर काबू पा लिया गया।
जानकारी के अनुसार, असामाजिक तत्वों ने रविवार रात मोरो थाने व पुलिस बैरक में आग लगी दी। लपटें उठती देख पुलिसकर्मियों ने आग पर काबू पा लिया, नहीं तो बड़ी घटना हो सकती थी। आग से थाने के अंदर पदाधिकारियों व पुलिसकर्मियों की बैरक का किवाड़ जल गया।
थाने के बगल में स्थित प्लस टू हाई स्कूल, बसुआरा के पीछे स्थित पुलिस बैरक में रखे सोफा सेट व अन्य फर्नीचर सहित बर्तन, गैस चूल्हा आदि सामान जल गए। रात 11.30 बजे पुलिसकर्मियों को जिंदा जलाने की कोशिश की खबर मिलते ही आला अधिकारियों में हड़कंप मच गया।
नगर एसपी सागर कुमार और प्रभारी सदर एसडीपीओ इमरान अहमद ने देर रात थाने पहुंचकर जांच की। आसपास के कई थानों की पुलिस भी पहुंच गई। थाने में लगे सीसी कैमरे को नगर एसपी ने रात में ही खंगाला। इसमें आग लगाते एक युवक की तस्वीर कैद थी।
सर्किल इंस्पेक्टर ललन कुमार के नेतृत्व में थानाध्यक्ष प्रियंका सिंह ने उसके नाम व पता का सत्यापन किया। सुबह गिरफ्तार कर लिया। एसएसपी अवकाश कुमार ने बताया कि मोरो थाने के खपरपुरा निवासी धर्मेंद्र कुमार ठाकुर को गिरफ्तार किया गया है। घटना में इस्तेमाल बाइक, माचिस व डंडे को जब्त किया गया है।
घटना के समय मौजूद ओडी पदाधिकारी और सिपाही आग लगाने से क्यों नहीं रोक पाए, सदर एसडीपीओ को इसकी जांच का आदेश दिया गया है। 24 घंटे में रिपोर्ट मांगी गई है। मामले में धर्मेंद्र ठाकुर, अरुण यादव सहित अन्य अज्ञात के खिलाफ प्राथमिकी की गई है। अरुण धर्मेंद्र के गांव का है। उसकी तलाश में छापेमारी की जा रही है।
मोरो थाने पर जिम्मेवारी भारी सुविधाओं की बनी लाचारी
तीन जिलों के सीमाक्षेत्र से जुड़े मोरो थाने का संचालन किराये के भवन में किया जा रहा है। दरभंगा, समस्तीपुर और मुजफ्फरपुर जिला क्षेत्र की सीमाओं पर अवस्थित इस थाने को महज 400 रुपये मासिक किराये के जीर्णशीर्ण भवन में गत 50 वर्षों से संचालित हो रहा है।इस क्षेत्र के लोगों की सुरक्षा, बागमती की धारा द्वारा विभाजित तीन जिलों का सीमा क्षेत्र और नेपाल से सीधे तौर पर जुड़े इस भू-भाग के लोगों की सुरक्षा और अपराधियों, तस्करों की गतिविधियों पर रोक लगाने के उद्देश्य से यहां 1970 के दशक में ओपी के रूप में स्थापित की गई थी।
विधि व्यवस्था, लोगों की सुरक्षा व क्षेत्रीय शांति के मद्देनजर कालांतर में इसे थाना बना तो दिया गया, लेकिन इस थाने का अपना भवन हो इसका कोई सार्थक प्रयास कभी नहीं किया गया। इस दौरान जब-कभी भी संवेदनशील थानाध्यक्ष का पदस्थापना की गई, तो नये थाना भवन के निर्माण के लिए भूमि चिह्नित करने की कवायद होती रही, जो संबंधित थानाध्यक्ष के स्थानांतरण के साथ ही स्थगित होती रही।वर्तमान में इस थाना भवन में कैदियों को रखने के लिए न तो हाजत है और न ही जब्त सामग्री को सुरक्षित रखने हेतु मालखाना ही है। वहीं जीर्णशीर्ण हालत में खुद असुरक्षित पुलिसकर्मी लोगों की सुरक्षा कर रहे हैं।
वहीं, बाढ़ग्रस्त क्षेत्र में अवस्थित यह थाना बाढ़ आने पर खुद विस्थापित रहता है। हालत यह है कि 50 वर्षों से अधिक बीत जाने के बाद भी इस थाने को अपना भवन और भूमि मयस्सर नहीं हो पाई है। इसका जवाब किसी के पास नहीं है।
आग लगाने के आरोपित की बात पर नहीं हो रहा यकीन
मोरो थाने व पुलिस बैरक में आग लगाने के मामले में एसएसपी अवकाश कुमार ने बताया कि खपरपुरा निवासी धर्मेंद्र कुमार ने छोटे भाई को अपने ऊपर केस करने से रोकने के लिए थाने में आग लगाने की बात कही है। इससे स्पष्ट नहीं हो रहा कि उसकी मंशा क्या थी।
धर्मेंद्र का एक भाई शराब के धंधे में जेल जा चुका है। मधुबनी में भी उस पर मामला दर्ज है। इसकी जांच की जा रही है। गिरफ्तार धर्मेंद्र ने पूछताछ में जो कुछ भी बताया, उस पर किसी को यकीन नहीं हो रहा।धर्मेंद्र ने पुलिस को बताया कि वह तीन भाइयों में मंझला है। छोटे भाई से उसका विवाद हुआ। नाराज छोटे भाई ने 112 नंबर पर फोन कर पुलिस बुला ली। इसके बाद पुलिस पदाधिकारी के आदेश पर छोटा भाई उसकी शिकायत करने थाने चला गया।
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