Ayushman Card के नामपर गोरखधंधे की ये सच्चाई जान चौंक जाएंगे आप! इन 142 अस्पतालों पर जल्द होगा बड़ा एक्शन
बिहार सरकार के निगरानी विभाग ने स्वास्थ्य विभाग से 142 अस्पतालों को अवैध घोषित कर इनके खिलाफ एक्शन लेने की अनुमति मांगी है। इस लिस्ट में में दरभंगा के दर्जनों अस्पताल शामिल हैं जो अपने रसूख की बदौलत अवैध इलाज के गोरखधंधे को अंजाम दे रहे हैं। ऐसे अस्पतालों के संचालकों ने काली कमाई के कई रास्ते बना रखे हैं जिनमें से एक आयुष्मान कार्डधारकों का इलाज भी शामिल है।
संवाद सहयोगी, दरभंगा। बिहार सरकार के निगरानी विभाग ने दरभंगा 142 अस्पतालों को अवैध घोषित कर इनके विरुद्ध कार्रवाई करने की अनुमति स्वास्थ्य विभाग से मांगी है। इस सूची में दरभंगा के दर्जनों नामी-गिरामी अस्पताल शामिल हैं, जो अपने रसूखदार पृष्ठभूमि की बदौलत अवैध इलाज के गोरखधंधे को अंजाम दे रहे हैं।
ऐसे अस्पतालों के संचालकों ने कमाई करने के लिए कई रास्ते बना रखा है, जिनमें से एक आयुष्मान कार्डधारकों का इलाज भी शामिल है। बताया जाता है पिछले दरवाजे से अधिकारियों की मदद हासिल कर मेडिकल माफिया ने प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना में भी सेंध लगा दी है।
यही कारण है कि जिले के जिन 26 निजी अस्पतालों में आयुष्मान भारत योजना के लाभार्थियों का इलाज हो रहा है। इनमें से तीन का नाम निगरानी द्वारा सौंपे गये अवैध अस्पतालों की सूची में शामिल है।
इसमें से एक का संचालन शहर के दारूभट्टी चौक,बाकरगंज में हो रहा है, तो दूसरे का अल्लपट्टी दोनार में और तीसरा अस्पताल रत्नोपट्टी मुहल्ले में चल रहा है।
इसके साथ ही आयुष्मान इलाज के लिए सूचीबद्ध निजी अस्पतालों में से दो ऐसे भी है जिनका नाम अवैध अस्पताल की लिस्ट में है पर इनका पता बदल गया है।
विभागीय अधिकारियों से भी मिलीभगत?
बताते हैं कि कई चालाक लोकसेवक समय-समय पर अपने अस्पताल का नाम-पता बदल लेते हैं। इस स्थिति से यह साफ हो जाता है कि अवैध अस्पतालों को आयुष्मान कार्डधारकों के इलाज के लिए टैग विभागीय अधिकारियों की मदद से ही मिली है।
बता दें कि आयुष्मान कार्डधारकों के इलाज के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया है। इसके तहत इच्छुक आवेदक द्वारा दिये गये विवरणों की जांच भौतिक सत्यापन के माध्यम से होती है। इसके बाद संबंधित अस्पताल को आयुष्मान इलाज की पात्रता हासिल होती है।
मेडिकल माफियाओं का इंश्योरेंस कंपनियों से भी गठजोड़
क्या कहते हैं अधिकारी?
आयुष्मान योजना में वैसे ही निजी अस्पतालों को संबद्धता मिली हुई है जिनके पास सभी आवश्यक प्रमाणपत्र मौजूद हैं। अगर किसी गलत अस्पताल का नाम सामने आता है तो नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। डॉ. सत्येंद्र कुमार, प्रभारी सिविल सर्जन।