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Bihar Bhumi Survey: दादा-परदादा के खतियान निकालने में छूट रहे पसीने, केवाला-वंशावली के लिए भी भटक रहे लोग

बिहार भूमि सर्वेक्षण 2024 के मद्देनजर जमीन मालिकों (Bihar Bhumi Survey) में अपने दादा-परदादा के खतियान निकालने की होड़ मची हुई है। दरभंगा जिला अभिलेखागार में प्रतिदिन 1400 से 2000 खतियान के चिरकुट दाखिल हो रहे हैं। पुराने जमाने के लाखों अभिलेखों के होने के कारण लोगों को अपने पूर्वजों के नाम का खतियान खोजने में काफी परेशानी हो रही है।

By Vinay Kumar Edited By: Rajat Mourya Updated: Fri, 20 Sep 2024 03:22 PM (IST)
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दादा-परदादा के खतियान की तलाश में दरभंगा अभिलेखागार में उमड़ रही भीड़। जागरण
जागरण संवाददाता, दरभंगा। Bihar Bhumi Survey 2024 लगातार बढ़ते भूमि विवाद और इससे उपजी आपराधिक घटनाओं पर लगाम लगाने और सही व्यक्ति को उसका वाजिब हक दिलाने के लिए सरकार ने राज्य में विशेष भूमि सर्वेक्षण (Bihar Land Survey) का काम शुरू किया है। इसमें जमीन मालिकों से खतियान, लगान रसीद, जमीन रजिस्ट्री दस्तावेज के साथ वंशावली लेना अनिवार्य है।

जिसे लेकर लोगों में कागजात जुटाने की होड़ लगी हुई है। हर काम को छोड़कर लोग राजस्व कर्मचारी से लेकर जिला मुख्यालय तक दौड़ लगा रहे हैं। अंचल कार्यालय में जहां रसीद कटाने की भीड़ लगी रहती है। वहीं, अभिलेखागार में बाप-दादा-परदादा के खतियान निकालने लिए लोगों का पसीना छूट रहा है।

किसान और जमीन मालिक परेशान

किसान व भू-स्वामियों को आर्थिक, मानसिक और शारीरिक तीनों तरह की परेशानियों को झेलना पड़ रहा है। इसके अलावा, जमीन के दस्तावेज दुरुस्त कराने में पसीना छूट रहा है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक, जिला अभिलेखागार में पहले प्रतिदिन 100 से 200 लोग खतियान का नकल निकालने के लिए पहुंचते थे, लेकिन वर्तमान समय में औसतन प्रतिदिन 1400 से 2000 खतियान के चिरकुट दाखिल हो रहे हैं।

खतियान के साथ ही एसडीओ, डीसीएलआर, एडीएम के यहां के निर्णय की कॉपी निकालने के लिए भी लोग फॉर्म जमा कर रहे हैं। पिछले तीन-चार दिनों में 5000 से अधिक खतियान के नकल के लिए फॉर्म भरे गए हैं। दरभंगा काफी पुराना जिला है। जिससे कट कर चार जिले बनाए गए थे।

पूर्व में सरकार के निर्देश पर दरभंगा से कटे मधुबनी, समस्तीपुर, बेगूसराय को दरभंगा अभिलेखागार से लाखों अभिलेख सौंप दिए गए थे। बावजूद अभी भी इन चार जिलों के लाखों अभिलेख यहां पड़े हुए हैं। जिस कारण लोग अपने दादा-परदादा के नाम का खतियान खोजने के लिए आवेदन कर रहे हैं। एक कर्मचारी ने बताया कि यहां पर वर्ष 1908 के खतियान को लेकर भी आवेदन प्राप्त हुआ है।

दादा-परदादा के खतियान निकालने में छूट रहा पसीना

जमीन सर्वे का काम शुरू होने से जिला अभिलेखागार पर दबाव बढ़ गया है। जिसके कारण रैयत और वहां तैनात कर्मचारियों के पसीने छूट रहे हैं। दरभंगा अभिलेखागार में 18 पदाधिकारी व कर्मी का पद स्वीकृत था। जिसके विरुद्ध मात्र 6 कर्मचारी ही मौजूद हैं। जिसमें एक पदाधिकारी, एक सहायक प्रशासी पदाधिकारी, एक बड़ा बाबू, एक उच्चवर्गीय लिपिक, दो निम्नवर्गीय लिपिक और एक कार्यालय प्रचारी शामिल है।

दस लाख फोल्डर का हो चुका डिजिटलाइजेशन

जिला अभिलेखागार के 10 लाख फोल्डर का डिजिटलाइजेशन हो चुका है, लेकिन जांच के अभाव में मात्र चार से पांच लाख फोल्डर ही सही रूप से इस पर हैं। अगर डिजिटलाइजेशन वाला फोल्डर पकड़ता है तो एक-दो दिनों में खतियान का नकल दे दिया जाता है, लेकिन लाखों फोल्डर नष्ट हैं। जिसके कारण उसकी नकल देना असंभव है।

हजारों दस्तावेज पुराने होने के कारण वह छूते ही चूर हो जा रहे हैं। यही कारण है कि बाप, दादा और परदादा के खतियान निकालने में लोगों का पसीना छूट रहा हैं।

जमीन मालिकों को देने होंगे ये डाक्युमेंट्स

सर्वे के लिए जमीन मालिकों को अपने स्व. घोषणा पत्र के साथ भूमि के स्वामित्व संबंधी दस्तावेज जैसे जमाबंदी रजिस्टर, लगान रसीद, एलपीसी, वासगीत परचा, दान, विनिमय, जमीन का खतियान, केवाला, वंशावली, बंटवारा के कागज आदि डाक्युमेंट्स संलग्न करने होंगे।

विशेष सर्वे का काम शुरू होने के बाद से खतियान का नकल पाने के लिए लोगों की भीड़ बढ़ी है। प्रतिदिन 1500 के करीब फॉर्म जमा हो रहे हैं। एक सप्ताह में 2000 से 3000 लोगों को इसका दस्तावेज उपलब्ध कराया जाता है। - प्रशांत कुमार, अभिलेखागार प्रभारी पदाधिकारी सह डीपीआरओ पंचायत।

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