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KK Pathak के प्रयासों के बाद भी नहीं हो रहा सुधार! आज भी इस स्कूल को भवन नसीब नहीं, ऐसे पढ़ाई करते हैं बच्चे

केके पाठक और बिहार सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद सरकारी स्कूलों की स्थिति में कोई भी सुधार देखने को नहीं मिल रहा है। लचर शिक्षा व्यवस्था का एक और उदाहरण सामने आया है। विद्यालय को अपना भवन मुहैया नहीं हो पाया। एक ही कमरे में 10 वीं एवं 12 वीं की कक्षा संचालित होती है। पूरब दिशा में मुंह करके 10 वीं के बच्चे बैठते हैं।

By Mrityunjay Bhardwaj Edited By: Mukul KumarUpdated: Thu, 22 Feb 2024 01:47 PM (IST)
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राजा खरवार उत्क्रमित माध्यमिक उच्च विद्यालय में एक ही कक्षा में पूरब पश्चिम बैठे छात्र-छात्राएं
संवाद सहयोगी, तारडीह। गांव के बच्चों को गांव में ही बेहतर और उच्च शिक्षा मिलने की कवायद सरकारी स्तर पर हो रही है। इसके लिए सभी माध्यमिक विद्यालय को अपग्रेड कर उच्च विद्यालय एवं उच्चतर विद्यालय में अपग्रेड किया गया, लेकिन बुनियादी सुविधाएं अब तक मयस्सर नहीं हो पाई है।

प्रखंड के राजाखरवार पंचायत के प्लस टू उत्क्रमित माध्यमिक विद्यालय वर्ष 2012 में 10 वीं तक अपग्रेड हुई। 2020 में इसे प्लस टू का दर्जा भी मिल गया। 14 साल बाद भी विद्यालय को अपना भवन मुहैया नहीं हो पाया। एक ही कमरे में 10 वीं एवं 12 वीं की कक्षा संचालित होती है।

पूरब दिशा में मुंह करके 10 वीं और पश्चिम में 12 वीं कक्षा के बच्चे बैठते हैं। विद्यालय में 10वीं और 12वीं की कक्षा एक ही कमरे में ही संचालित होती है। नौवीं से लेकर 12वीं तक के बच्चों को एक ही कमरे में शिक्षा प्रदान करना शिक्षकों की मजबूरी है।

ज्यादा विद्यार्थियों के पहुंच जाने पर ऊहापोह की स्थिति हो जाती है। तब पूरब की ओर मुंह करके नौवीं, 10 वीं के बच्चों को बैठाया जाता है वहीं पश्चिम की ओर 11वीं 12वीं के बच्चे बैठकर पढ़ते हैं।

कमरे की अनुपलब्धता से प्रैक्टिकल और स्मार्ट क्लास प्रभावित

बच्चों को विज्ञान के तौर तरीकों से अवगत कराने के लिए प्रैक्टिकल रूम की आवश्यकता होती है। सरकार द्वारा आधुनिक शिक्षा से जोड़ने के लिए विद्यालयों में स्मार्ट क्लास चलाने की सुविधा प्रदान की गई है। कमरे और विज्ञान के शिक्षकों की कमी से प्रैक्टिकल की महज खानापूरी ही हो रही है। स्मार्ट क्लास का संचालन भगवान भरोसे है।

उच्च विद्यालय के नौवीं कक्षा में नामांकित 46 छात्र छात्रों के लिए महज एक शिक्षक मनीष कुमार हैं। उन्हीं पर पिछले 10 वर्षों से पठन-पाठन सुनिश्चित कराने का जवाबदेही है। वहीं, 11वीं में आर्ट व साइंस में नामांकित 43 बच्चों में पूर्व के चार एवं वर्तमान में चार शिक्षकों के आने से पठन-पाठन का कार्य संपादित किया जा रहा है।

कमरों की कमी के कारण ना तो सही से स्मार्ट क्लास ही संचालित हो रही है न विज्ञान की प्रयोगशाला। लाइब्रेरी एवं अन्य गतिविधियों की व्यवस्था का सहज अनुमान लगाया जा सकता ळै।

वर्ष 2019 में अंचल प्रशासन की ओर से दी गई थी अनापत्ति प्रमाण पत्र

विद्यालय के प्रधानाचार्य दिनेश साहू कहते हैं वर्ष 2019 में ही विद्यालय के भवन को लेकर अंचल प्रशासन द्वारा भूमि की एनओसी प्रदान की गई है। राशि के अभाव में निर्माण कार्य अब तक नहीं हो पाया है। एक ही कक्षा में नौवीं से 12वीं के बच्चों को पढ़ाया जा रहा है।

वर्तमान में 10वीं एवं 12वीं के बच्चे एग्जाम के कारण विद्यालय नहीं आ रहे हैं। ग्रामीण विजय यादव, हुकुमदेव यादव, नीतीश सिंह, गुड्डू सिंह कहते हैं गांव में स्थित उच्च एवं उच्चतर विद्यालय है।

गांव के गरीब किसान मजदूर के बच्चे पढ़ते हैं। समृद्ध लोग अपने बच्चों को झंझारपुर या दरभंगा में रखकर पढ़ाई कराते हैं। बुनियादी सुविधाओं के अभाव में ज्यादातर बच्चे महज डिग्री के लिए ही विद्यालय में अब नामांकन करवा रहे हैं।

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