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Bihar Bhumi Survey 2024: जमीन सर्वे में सबसे बड़ी बाधा दूर, नीतीश सरकार ने निकाली गजब की स्कीम

बिहार में चल रहे भूमि सर्वेक्षण में कैथी लिपि अब बाधा नहीं रहेगी। सरकार हर जिले में प्रशिक्षण कार्यक्रम चला रही है। दरभंगा में 23 से 26 सितंबर तक और समस्तीपुर में 26 से 28 सितंबर तक प्रशिक्षण होगा। इस प्रशिक्षण में अमीनों और कानूनगो को कैथी लिपि सिखाई जाएगी। यह प्रशिक्षण बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के रिसर्च स्कॉलर प्रीतम कुमार और छपरा के मो. वकार अहमद देंगे।

By Vinay Kumar Edited By: Rajat Mourya Updated: Thu, 19 Sep 2024 05:51 PM (IST)
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कैथी लिपि की चुनौती दूर करने के लिए नीतीश सरकार का अनोखा कदम।

जागरण संवाददाता, दरभंगा। बिहार में चल रहे जमीन सर्वे (Bihar Land Survey 2024) के काम में 'कैथी' लिपि अब बाधा नहीं रहेगी। सरकार इसे सिखाने के लिए हर जिले में क्रम से प्रशिक्षण कार्यक्रम चला रही है। इसमें अमीनों और कानूनगो को प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

दरभंगा में ऐसा ही तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम 23 से 26 सितंबर तक चलेगा, जबकि समस्तीपुर में यह कार्यक्रम 26 से 28 सितंबर तक चलेगा। इस बारे में गुरुवार को राज्य के भू-अभिलेख व परिमाप विभाग की निदेशक जे प्रियदर्शनी ने इन दोनों जिलों के बंदोबस्त पदाधिकारियों को निर्देश जारी कर दिया है।

दरभंगा में यह कार्यक्रम जिला बंदोबस्त कार्यालय में चार पालियों में चलेगा। पहली पाली साढ़े दस बजे से 12 बजे, दूसरी पाली 12 से डेढ़ बजे, तीसरी पाली ढाई से चार बजे और चौथी पाली चार से साढ़े पांच बजे तक की होगी।

यह प्रशिक्षण बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के रिसर्च स्कॉलर प्रीतम कुमार और छपरा के मो. वकार अहमद देंगे। प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए सभी जरूरी सुविधाएं जिला बंदोबस्त कार्यालय उपलब्ध कराएगा।

चुनौती ही चुनौती

भाषा वैज्ञानिकों की मानें तो इसे अच्छी तरह सीखने में तीन महीने का समय लग सकता है, लेकिन राज्य सरकार ने प्रशिक्षण के लिए तीन दिन का समय ही निर्धारित किया है। यह सिखानेवालों के अलावा सीखनेवालों के लिए भी बड़ी चुनौती होगी।

कैथी लिपि के बारे में जानिए

बता दें कि पुरानी कैथी लिपि में खतियान होने से इसे पढ़ पाना कठिन हो रहा था। ऐतिहासिक ब्राह्मी लिपि कैथी को कायथी या कायस्थी भी कहा जाता है। इसका उपयोग 600 ईसवी से शुरू होने का अनुमान है। देश में मुस्लिम शासकों के समय कायस्थ समुदाय के लोग कैथी में ही जमीन संबंधी दस्तावेज लिखते थे।

इनके अलावा, मुस्लिम उर्दू-फारसी में लिखते थे। इस तरह अंग्रेज शासनकाल से लेकर आजादी के बाद भी जमीनी दस्तावेज लेखन कैथी में चलता रहा। कैथी लिपि में अक्षरों के ऊपर शिरोरेखा नहीं होती है। इसमें सभी अक्षर एक साथ लिखे जाते हैं। इसमें हर्स्व ''इ'' और दीर्घ ''ऊ'' की मात्रा भी नहीं लगाई जाती।

इसमें संयुक्त अक्षर जैसे– ऋ, क्ष, त्र, ज्ञ, श्र आदि का प्रयोग नहीं किया जाता है। इतना ही नहीं, शब्द या वाक्य भी नहीं बनाया जाता है, इसीलिए आज इसे पढ़ने में कठिनाई आती है।

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