Bihar Police: अपराधियों से पुलिस कैसे ले लोहा, मौके पर कारतूस दे रहा धोखा; ट्रेनिंग और हथियार मेंटेनेंस पर उठे सवाल
Bihar News बिहार पुलिस इन दिनों एक बड़ी मुश्किल से जूझ रही है। पुलिस अपराधियों से जब लोहा लेने जाती है तो मौके पर कारतूस धोखा दे रहा है। जान की बाजी लगाने वाले पुलिस कर्मचारी हथियारों के मामले में अपराधियों से पिछड़ते जा रहे हैं। ऐसे कई घटनाएं सामने आई हैं जब पुलिस कर्मचारी बदमाशों पर फायर करते हैं। लेकिन कारतूस धोखा दे देता है।
By Mrityunjay BhardwajEdited By: Rajat MouryaUpdated: Tue, 10 Oct 2023 05:27 PM (IST)
जागरण संवाददाता, दरभंगा। पुलिस को हाइटेक किया जा रहा है। अत्याधुनिक हथियार मुहैया कराए जा रहे हैं। एक से बढ़कर एक उपकरण की खरीद भी हो रही है। ताकि बदमाशों का समूल सफाया किया जा सके। इस संकल्प के साथ पुलिस पदाधिकारी व पुलिस कर्मी भी बदमाशों से लोहा लेने में पीछे नहीं हट रहे हैं। जान की बाजी लगाकर सामना करते हैं। इसके बावजूद, बदमाश भारी पड़ रहे हैं।
दरअसल, पुलिस वालों को कारतूस ही धोखा दे रहा है। समस्तीपुर जिले में 14 अगस्त 2023 की रात्रि में मवेशी तस्करों को पकड़ने के दौरान हुई मुठभेड़ में मोहनपुर ओपी प्रभारी नंद किशोर यादव बलिदान हो गए। मवेशी तस्करों ने उनके सिर और आंख के बीच में गोली मार दी। लेकिन ओपी प्रभारी के पिस्टल से गोली नहीं चल पाई।
बंदूकें नहीं उगल रही गोलियां
अब इससे पुलिस महकमा सबक लेता उससे पहले शनिवार की रात मधुबनी जिले के साहरघाट बाजार के नेताजी चौक स्थित दवा व कपड़ा व्यवसायी राजकुमार गामी के घर हुई डकैती दौरान पुलिस पुलिस की बंदूकें गोलियां उगलने में नाकामयाब रहीं। हालांकि, जवान ट्रिगर तो दबा रहे थे, मगर गोलियां सारी मिसफायर हो जा रही थीं।ऐसी स्थिति में हालात पुलिस के लिए फजीहत कराने और मजाक उड़ाने वाले थे। पुलिसिया व्यवस्था भी कटघरे में आ गई। बताया जाता है कि हथियार चलाने की ट्रेनिंग, बंदूकों के मेंटेनेंस और एक्सपायर्ड कारतूस के प्रति गंभीर नहीं होने के कारण ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ता है।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, दरभंगा में 2021 के बाद से अब तक फायरिंग प्रैक्टिस नहीं कराई गई है। जानकार बताते हैं कि 2021 में मुजफ्फरपुर के सीआरपीएफ कैंप में सिपाही से लेकर पुलिस पदाधिकारियों को बारी-बारी से फायरिंग कराई गई थी।
फायरिंग कराने से पुराने कारतूस की होती खपत व जांच
रिटायर्ड डीआइजी बहेड़ी निवासी अरविंद ठाकुर ने बताया कि प्रति वर्ष जिला पुलिस की ओर से फायरिंग रेंज में सिपाही से लेकर वरीय पदाधिकारियों को प्रैक्टिस कराई जाती है। इसमें जिनके पास जो हथियार होता है उससे 20 राउंड फायरिंग कराई जाती है। यह वहीं कारतूस होता है जो हथियार के साथ उपलब्ध कराया जाता है। इससे पुराने कारतूस की खपत ही नहीं होती बल्कि, चेक भी हो जाता है।
उन्होंने बताया कि मिस फायर होने की स्थिति में उस बैच के कारतूस को हटा दिया जाता है। फायरिंग रेंज की तिथि का निर्धारण संबंधित जिले के एसपी तय करते हैं। इससे हथियार और कारतूस के साथ-साथ निशाने को चेक किया जाता है। उन्होंने कहा कि पुराना कारतूस मिस फायर होता है। इसके अतिरिक्त पुलिस लाइन के मेजर की जिम्मेदारी होती है कि वह थानास्तर पर आर्मेचर हवलदार व जमादार को भेजकर हथियार को चेक कराएं।
अब सवाल उठता है कि सारा काम पुलिस अधिनियम के साथ होता है अथवा की नहीं। इसे लेकर समय-समय पर एसपी और आइजी इसका निरीक्षण करते हैं। इसमें खराब हथियार, एक्सपायर्ड कारतूस, प्रैक्टिस आदि को चेक किया जाता है।
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