स्कूलों में कक्षा से नदारद हैं शिक्षक; बोर्ड शुल्क के नाम पर छात्रों से कर रहे चार से पांच हजार की वसूली
बिहार में इंटरमीडिएट परीक्षा के प्रपत्र भरने में छात्रों के पसीने छूट रहे हैं। उनसे तय रकम से ज्यादा वसूली की जा रही है। बताया जा रहा है कि इंटरमीडिएट परीक्षा का प्रपत्र भरने के लिए बोर्ड की तरफ से 1400 रुपये की राशि निर्धारित है। लेकिन इसके बदले शिक्षक कहीं चार तो कहीं पांच हजार तक वसूल रहे हैं।
संवाद सहयोगी, दरभंगा : बिहार के दरभंगा जिले में पहले मारवाड़ी कॉलेज, सीएम साइंस कॉलेज, इसके बाद सुंदरपुर बेला उच्च विद्यालय और अब शहर के प्रतिष्ठित जिला स्कूल से भी इंटरमीडिएट परीक्षा के प्रपत्र भरने में छात्रों से निर्धारित रकम से अधिक की वसूली का मामला तूल पकड़ने लगा है।
विडंबना तो यह है कि विद्यालयों में जो काम लिपिक को करना होता है, वह कार्य शिक्षक कर रहे हैं। वह भी ऐसे समय में जब विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक, डीएम सहित बिहार लोक सेवा आयोग तक से इस बात पर लड़ रहे हैं कि उनके शिक्षक गैर शैक्षणिक कार्य नहीं करेंगे।
कक्षा की जगह काउंटर संभाल रहे टीचर
जिला स्कूल में शिक्षक अपनी अपनी कक्षा छोड़ काउंटर संभाल रहे हैं। बता दें कि 12वीं कक्षा का प्रपत्र एवं शुल्क जमा करने के लिए बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने 18 सितंबर तक की तिथि निर्धारित कर रखी है। ऐसे में कॉलेज और विद्यालयों में इसको लेकर भीड़ चल रही है।
चार दिन पहले ही बेला सुंदरपुर उच्च विद्यालय में परीक्षा फॉर्म भरने के नाम पर अधिक राशि की वसूली से छात्र इतने आक्रोशित हो गए थे कि उन्होंने हवाई अड्डा की ओर जाने वाली सड़क को ही जाम कर दिया था।
अधिक वसूली को लेकर फूटा छात्रों का गुस्सा
विभाग के जिला स्तरीय पदाधिकारी अपने कार्यालय में बैठे-बैठे विद्यालयों के निरीक्षण, शिक्षकों और बच्चों की उपस्थिति के मामले में व्हाट्सऐप का खेल खेल रहे हैं। इस काम से उनको फुर्सत मिले तब तो वह देखें कि कहां व किस छात्र का किस मामले में शोषण किया जा रहा है।
कई संस्थानों में इंटरमीडिएट परीक्षा का प्रपत्र भरने के नाम पर बोर्ड द्वारा निर्धारित 1400 के बदले कहीं चार तो कहीं पांच हजार तक वसूले जा रहे हैं। जिला स्कूल में भी अधिक वसूली को लेकर शुक्रवार को दोपहर बाद छात्रों का आक्रोश फूट पड़ा।
अटेंडेंस के लिए पैसा मांग रहे हैं शिक्षक
रोचक बात यह है कि परीक्षा प्रपत्र एवं शुल्क सारा काम ऑनलाइन किया जाना है, लेकिन सारे काम का ठेका जिला स्कूल में बैठे लिपिक के नाम पर कुछ शिक्षक ले रहे हैं। छात्रों का साफ कहना था कि उपस्थित 75 प्रतिशत करने के लिए भी उनसे शिक्षक राशि मांग रहे हैं। नहीं देने पर तरह-तरह की धमकियां देते हैं।
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छात्रों ने यह भी कहा कि प्लस टू स्तर के कुछ शिक्षक वर्षों से इस विद्यालय में लिपिकों का काम कर रहे हैं। उनको कभी कक्षाओं में नहीं देखा गया। जबकि जिला स्कूल में एक नहीं दो-दो लिपिक पदस्थापित हैं।