प्रखंड पर्यटन दर्शनीय बिहार: प्रकृति की छटा बिखेरता कुशेश्वरस्थान लुभाता देसी-विदेशी पक्षियों का कलरव
Darbhanga Tourist Places बिहार के दरभंगा जिले में पर्यटकों को शिव गंगा घाट पर प्रवासी पक्षियों की चहचहाहट खासा आकर्षित करती है। ये पक्षी दूर देश से उड़कर यहां आते हैं। इसके अलावा यह जगह धार्मिक महत्व वाली भी है। मान्यता है कि भगवान राम और माता सीता के पुत्र कुश ने यहां कुशेश्वरस्थान शिव मंदिर में शिवलिंग की स्थापना की थी।
अरुण कुमार राय, कुशेश्वरस्थान (दरभंगा)। कलकल बहती नदियों की धार, पेड़-पौधों की हरियाली, देसी-विदेशी पक्षियों का कलरव। हर तरफ नदी, नाले, पोखर और झीलों का जाल...। दरभंगा जिले के कुशेश्वरस्थान की धरा पर प्रकृति ने कुछ इसी तरह अपना प्यार लुटाया है।
ग्रामीण जीवन का शांत परिवेश। शरद ऋतु में यहां की धरा जन्नत से कम नहीं होती। अगर आप प्रकृति प्रेमी हैं, ग्रामीण परिवेश के साथ वहां के पारंपरिक खान-पान का आनंद उठाना चाहते हैं तो कुशेश्वरस्थान जरूर आएं। यहां के पक्षी विहार में देसी-विदेशी पक्षी देख सकते हैं।
हालांकि, उपेक्षा के चलते पक्षियों के आने की संख्या कम हुई है। दरभंगा जिला मुख्यालय से पूरब 61 किलोमीटर दूर कुशेश्वरस्थान का यह सुदूरवर्ती इलाका कोसी, कमला बलान और करेह नदियों की बाढ़ का शिकार होता है।
वर्ष 1995 में कुशेश्वरस्थान के आसपास के चौरों को बर्ड सेंचुरी घोषित किया गया था। वर्ष 2005 में वन विभाग ने यहां के एक हजार हेक्टेयर से अधिक चौर की जमीन का पक्षी विहार के लिए अधिगृहीत किया।
यूनेस्को क्लब मुंबई ने वर्ष 2005 में कुशेश्वरस्थान शिव गंगा घाट के उत्तरी महार पर चौरों में जलक्रीड़ा करने वाले प्रवासी पक्षियों के मनोहर दृश्य का दीदार करने के लिए 45 फीट ऊंचा वाच टावर एवं सामुदायिक भवन का निर्माण कराया।
शरद ऋतु के आगमन के साथ रूस, चीन सहित अन्य देशों से विभिन्न प्रजातियों के प्रवासी पक्षी आते हैं। यहां गडवाल, लालसर, मल्लार्ड, नीलसर, मुर्गाबी, कामन टील, सेलडक, डूंगरी, कोईरा और रेड मल्लार्ड सहित चार दर्जन से अधिक प्रजातियों के देसी-विदेशी पक्षी प्रतिवर्ष आते हैं।
गर्मी शुरू होते ही लौटने लगते हैं। हालांकि, यहां उचित व्यवस्था नहीं होने और उपेक्षा के चलते प्रवासी पक्षियों के आने की संख्या में अब कमी आई है। पक्षी विशेषज्ञ डा. विद्यानाथ झा कहते हैं कि हर साल बाढ़ की वजह से सिल्ट जमा होने के कारण चौरों की जलग्रहण क्षमता सिकुड़ती जा रही।इससे चौरों में पानी का अभाव हो गया है। पक्षियों के भोजन फाइटोप्लांकटन और प्लैंकटन की मात्रा भी समाप्त हो गई। कमला बलान नदी के पश्चिमी और करेह नदी के उत्तरी तटबंध को बढ़ाकर फुहिया में मिला देने से बाढ़ का पानी आना बंद हो जाने से पक्षी कम ही आते हैं।
प्रवासी पक्षियों को आकर्षित करने के लिए पक्षी विहार के लिए अधिगृहीत जमीन की उड़ाही एवं सुंदरीकरण के लिए वर्ष 2023 में डीएफओ ने 80 लाख रुपये का प्रस्ताव वन विभाग को भेजा था। रकम मिले तो इस पर काम हो। इससे पक्षी विहार की रौनक लौटेगी।कुशेश्वरस्थान में शिव गंगा घाट पर प्रवासी पक्षियों को देखने के लिए बना वाच टावर।
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