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प्रखंड पर्यटन दर्शनीय बिहार : दरभंगा में चिता भूमि पर बना श्यामा माई मंदिर, दूर-दूर से दर्शन को आते भक्त

Bihar Tourism बिहार के दरभंगा जिले में माता काली का एक ऐसा मंदिर है जो कि श्मशान में बना हुआ है। इसे महाराजा रामेश्वर सिंह की चिता भूमि पर बनाया गया था। यहां वैदिक और तांत्रिक दोनों विधि से माता की पूजा होती है। यह जगह पर्यटकों को भी अपनी ओर आकर्षित करती है। कारण कि हरे-भरे पेड़ों के बीच लोग तालाब में नौकायन का आनंद ले सकते हैं।

By Mrityunjay Bhardwaj Edited By: Yogesh Sahu Updated: Fri, 27 Sep 2024 02:09 PM (IST)
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दरभंगा स्थित श्यामा माई मंदिर और माता की प्रतिमा।

मृत्युंजय भारद्वाज, दरभंगा। नवरात्र या अन्य दिनों में बहुत से मंदिरों और शक्तिपीठों के दर्शन किए होंगे, लेकिन श्मशान में चिता भूमि पर बने मंदिर एवं उसमें विराजमान मां काली के अद्भुत स्वरूप का दर्शन करना चाहते हैं तो दरभंगा के माधेश्वर मंदिर परिसर स्थित मां श्यामा मंदिर जरूर आएं।

हरे-भरे पेड़ों के बीच तालाब में नौकायन का आनंद लेने के साथ यहां माता के दिव्य और अलौकिक स्वरूप के दर्शन होंगे। श्यामा माई का मंदिर श्मशान घाट में महाराजा रामेश्वर सिंह की चिता भूमि पर बनाया गया है। मंदिर के गर्भगृह में मां काली की भव्य प्रतिमा स्थापित है। यह प्रतिमा एक ही पत्थर को तराश कर बनाई गई है।

इस मंदिर में वैदिक और तांत्रिक दोनों विधि से मां काली की पूजा की जाती है। भक्त यहां आकर सच्चे मन से जो भी मांगते हैं मां उनकी कामना पूरी करती हैं। मनोकामना पूर्ति के अलावा श्रद्धालु यहां शुभ कार्य जैसे मुंडन, उपनयन एवं मांगलिक कार्य भी करने आते हैं। वर्ष 1933 में महाराजा कामेश्वर सिंह ने श्यामा माई मंदिर की स्थापना की थी।

यहां की आरती में शामिल होने के लिए भक्त घंटों इंतजार करते हैं। ऐसा माना जाता है कि मां की आरती में जो साक्षी बनते हैं, उनकी मनोकामना पूरी होती है। शारदीय नवरात्र हो या काली पूजा अथवा नवाह यज्ञ, यहां रोजाना आठ से दस हजार की संख्या में श्रद्धालु आते हैं।

शादी के अलावा यहां हर तरह का शुभ कार्य करने के लिए दरभंगा, मधुबनी, सुपौल, सहरसा, मुजफ्फरपुर के अलावा उत्तर बिहार के अन्य जिलों व नेपाल से भक्त आते हैं। वास्तुकला की दृष्टि से भी मंदिर का भवन अनुपम है। यहां स्थापित देवी के विविध रूपों की प्रतिमा व निर्मित मंदिरों का ऐतिहासिक महत्व है।

पूरे परिसर में राज परिवार के दो दर्जन लोगों की चिता भूमि है। उनमें से दो पर महादेव और चार पर देवी के मंदिर बने हैं। एक चिता पर अर्द्धर्निमित मंदिर है। महाराजा कामेश्वर सिंह की दूसरी पत्नी महारानी प्रिया के चिता स्थल पर एक कमरे का निर्माण कराया गया है जो आज भी बंद है।

कहा जाता है कि चिता स्थल को देख महाराजा भावुक हो जाते थे, इसलिए वहां एक कमरे का निर्माण करा उसे बंद कर दिया गया। शेष चिता भूमि पर पेड़ लगे हैं। दरभंगा आने वाले पर्यटकों की यात्रा इस मंदिर के दर्शन के बगैर अधूरी मानी जाती है।

श्यामा माई मंदिर में माता की प्रतिमा।

महाराजा रूद्र सिंह की चिता पर है रुद्रेश्वरी काली मंदिर

इस परिसर में पहली चिता भूमि महाराजा माधव सिंह के पोते रुद्र सिंह की है, जो दक्षिण दिशा में है। उनके चिता स्थल पर रुद्रेश्वरीकाली मंदिर है। पूरब दिशा में महाराजा लक्ष्मीश्वर सिंह के चिता स्थल पर लक्ष्मीश्वरी तारा मंदिर है।

वर्ष 1933 में तंत्र साधक महाराजा रामेश्वर सिंह की चिता पर रामेश्वरी श्यामा मंदिर का निर्माण हुआ, जो श्यामा मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है।

उत्तर दिशा में राज माता रामेश्वरी लता की चिता भूमि पर अन्नपूर्णा मंदिर है। यहां अन्नपूर्णा के साथ ही पृथ्वी व माता लक्ष्मी की प्रतिमाएं स्थापित हैं।

महाराजा लक्ष्मेश्वर सिंह की पहली पत्नी लक्ष्मेश्वरी की चिता भूमि पर महादेव मंदिर का निर्माण कराया गया। महारानी रामेश्वरी की चिता भूमि पर अर्द्धनिर्मित मंदिर है।

परिसर के दक्षिण व पश्चिम कोने पर महाराजा कामेश्वर सिंह की चिता भूमि पर कामेश्वरी श्यामा मंदिर है। इसका निर्माण महारानी राजलक्ष्मी ने वर्ष 1965 में अपने आभूषण बेचकर कराया था।

माधेश्वर परिसर में राज परिवार के शव रखने की परंपरा

वर्ष 1762 में महाराजा माधव सिंह ने महादेव मंदिर की स्थापना कर अपने निजी श्मशान का नाम माधेश्वर परिसर रखा था। परिसर का एकमात्र माधेश्वर मंदिर ही है जो चिता भूमि पर नहीं है।

माधेश्वर महादेव मंदिर परिसर में ही राजा माधव सिंह का अस्थि कलश रखा है। उनका निधन दरभंगा में नहीं होने के कारण ऐसा किया गया था। इसी अस्थि स्थल पर राज परिवार के शव को अंतिम संस्कार से पूर्व रखने की परंपरा आज भी बरकरार है।

दरभंगा स्थित श्यामा माई मंदिर।

25 रुपये में श्यामा थाली का स्वाद

माधेश्वर मंदिर परिसर स्थित सभी मंदिरों व परिसरों की देखरेख का जिम्मा 1949 में निर्मित कामेश्वर सिंह धार्मिक न्यास के जिम्मे है, जबकि रामेश्वरी श्यामा मंदिर का प्रबंधन मां श्यामा मंदिर न्यास बोर्ड के माध्यम से कराया जा रहा है।

इन मंदिरों के जीर्णोद्धार की पहल दरभंगा राज के कुमार कपिलेश्वर सिंह ने की है। महाराजा लक्ष्मेश्वर सिंह की चिता भूमि पर स्थापित भगवती लक्ष्मीश्वरी तारा मंदिर के जीर्णोद्धार कार्य शुरू किया गया है।

न्यास समिति के उपाध्यक्ष प्रो. जयशंकर झा कहते हैं कि यहां आने वाले श्रद्धालुओं के लिए महज 25 रुपये में श्यामा थाली की व्यवस्था है। हर दिन के लिए अलग-अलग मेन्यू निर्धारित है। सुबह 10 से शाम चार बजे तक यहां भोजन कर सकते हैं।

इसके अलावा मासिक भजन संध्या, श्यामा संदेश पत्रिका, सत्संग आदि का आयोजन होता है। परिसर में श्रद्धालुओं के ठहरने की व्यवस्था अभी नहीं है। शहर में आसपास होटल हैं, जहां लोग ठहरते हैं।

ऐसे पहुंचें

दरभंगा रेलवे स्टेशन से करीब एक किलोमीटर, दिल्ली मोड़ बस स्टैंड से तीन किलोमीटर और दरभंगा एयरपोर्ट से करीब चार किलोमीटर की दूरी पर मां श्यामा मंदिर परिसर स्थित है। यहां आटो एवं अन्य वाहनों से पहुंचा जा सकता है।

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