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Bihar News : बस-ट्रक चालकों की हड़ताल ने बढ़ाई मुश्किल, शव लेकर सुपौल के लिए चली एंबुलेंस को लौटाया

हिट एंड रन के नए कानून के विरोध में बस-ट्रक चालकों की हड़ताल का असर दिखना शुरू हो गया है। इसकी वजह से लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। मंगलवार को एक युवक के शव को ले जा रही एंबुलेंस को बीच रास्ते से लौटना पड़ा। वहीं यात्रियों को भी मुश्किल झेलनी पड़ी। पेट्रोल की किल्लत बढ़ने का अंदेशा है।

By Mrityunjay Bhardwaj Edited By: Yogesh Sahu Updated: Wed, 03 Jan 2024 01:04 PM (IST)
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दरभंगा-समस्तीपुर एसएच-50 में पोअरिया चौक पर जाम में फंसी एंबुलेंस।
संवाद सहयोगी, दरभंगा। निजी एंबुलेंस से मंगलवार की सुबह शव लेकर सुपौल के लिए चले स्वजन को लौटकर डीएमसीएच आना पड़ा। अब उन्हें सूझ नहीं रहा है कि शव को लेकर कैसे गांव पहुंचें।

चालकों की हड़ताल की वजह से फोरलेन पर जगह-जगह जाम लगा हुआ है। जब तक दाह संस्कार नहीं होगा, खाना भी नहीं खा सकते। भूख से उनकी हालत खराब है। रो-रोकर आंख के आंसू सूख गए हैं।

मारपीट में घायल युवक की हुई थी मौत

जानकारी के अनुसार, सुपौल जिले के सुपौल थाना क्षेत्र बसबिठ्ठी निवासी छोटकन मुखिया का पुत्र मिथुन मुखिया (29) मारपीट के दौरान गंभीर रूप से घायल हो गया था।

उसे 20 दिसंबर को सुपौल सदर अस्पताल से डीएमसीएच लाया गया। जहां उसका इलाज चल रहा था। मंगलवार की सुबह करीब नौ बजे उसकी मौत हो गई।

डीएमसीएच में शोकाकुल सुपौल निवासी मां-भाई।

एंबुलेंस को आगे नहीं बढ़ने दिया

कागजी प्रक्रिया के बाद साथ आए बड़े भाई तबेश्वर मुखिया और मां शाति देवी निजी एंबुलेंस से शव को लेकर गांव के लिए चले। दिल्ली मोड़ के पास पहुंचने के बाद वहां हंगामा कर रहे चालकों ने एंबुलेंस को आगे नहीं बढ़ने दिया।

करीब एक घंटे बाद एंबुलेंस चालक डीएमसीएच में ले आया। सीसीडब्ल्यू वार्ड के पास शव को उतारकर चला गया। मां-भाई हड़ताली चालकों को कोसते हुए आरोप लगाया कि 0हमारी क्या गलती है, जो हमें ऐसी सजा मिल रही है।

उन्होंने कहा कि हड़तालियों को मानवता का तो ख्याल रखना चाहिए। स्वजन हर आने-जाने वाले को अपनी पीड़ा बताकर शव को गांव लेकर पहुंचने का उपाय खोज रहे हैं।

हड़ताल से परिचालन ठप, जगह-जगह सड़क जाम कर नारेबाजी की

हिट एंड रन के नए कानून के विरोध में वाहन चालक दूसरे दिन मंगलवार को भी हड़ताल पर डटे रहे। चक्का जाम करने से सड़कों पर परिचालन पूरी तरह से ठप रहा। ट्रक और भारी वाहनों के अतिरिक्त बस और टेंपो भी सड़कों पर दौड़ती हुई कहीं नजर नहीं आई। जगहा-जगह चालकों ने अपनी वाहनों से सड़क पर लगाकर जाम कर दिया।

सभी केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी कर रहे थे। नए कानून को वापस लेने की मांग कर रहे थे। उधर, कड़ाके की ठंड के बीच सफर करने वाले लोग हड़ताल को देखते हुए सुबह-सुबह बस स्टैंड पहुंच गए।

हालांकि, एक भी बस के परिचालन नहीं होने से सभी मायूस हो गए। दिल्ली मोड़ बस स्टैंड से सभी भागे-भागे कादिराबाद स्थित पथ परिवहन बस स्टैंड पहुंचे। यहां भी यात्रियों को मायूस होकर लौटना पड़ा। टेंपो के नहीं चलने से सभी पैदल चलते रहे।

हालांकि, लोग जैसे-तैसे स्टेशन पहुंचे। इसके बाद लोगों को राहत मिली। आस-पास के जिलों में सफर करने वाले लोग जैसे-तैसे ट्रेन से आना-जाना कर रहे थे। हालांकि, स्टेशन से घर अथवा घर से स्टेशन पहुंचने में लोगों को फजीहत का सामना करना पड़ा।

पैदल ही एक साधन था। ऐसी स्थिति में लोग अपने सामान को लेकर हांफते हुए पैदल चलने को विवश थे। यही कारण था दरभंगा स्टेशन पर अन्य दिनों की तुलना में अचानक भीड़ में वृद्धि हो गई।

जमकर की नारेबाजी

उधर, दिल्ली मोड़ बस स्टैंड, शिवधारा चौक और सिमरी में चालकों ने दरभंगा-मुजफ्फरपुर फोरलेन पर वाहनों को लगाकर मांगों के समर्थन में जमकर नारेबाजी की। इस दौरान निजी वाहनों के आने-जाने से रोक दिया।

यहां तक कि आवश्यक सामग्री वाले वाहनों को भी नहीं आने दिया गया। बाइक चालकों को भी जाम से निकलने के लिए काफी मशक्कत का सामना करना पड़ा। उधर, शहर के अंदर भी कई जगहों पर चालकों ने सड़क को जाम कर दिया।

देखत ही देखते ही दर्जनों की संख्या में चालक एकजुट होकर समाहरणालय के समक्ष पहुंच गए। जहां मांगों के समर्थन में प्रदर्शन कर जमकर नारेबाजी की। लगातार दूसरे दिन चालकों की मनमानी से आम लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा।

पुलिस ने नहीं की कोई कार्रवाई

निजी वाहनों के परिचालन पर रोक लगाने वालों के खिलाफ पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। कहीं ना तो पुलिस की तैनाती थी और ना ही संबंधित अधिकारियों ने कोई वैकल्पिक व्यवस्था की थी।

उधर, केवटी के ननौरा स्थित दरभंगा-जयनगर एनएच-527बी पर चालकों ने सड़क जाम कर दिया। इस बीच सभी आगजनी कर जमकर नारेबाजी की।

इससे निजी वाहन और बाइक से सफर करने वाले लोग भी जाम में फंस गए। उधर, दरभंगा-सम्तीपुर पथ एसएच-50 के पोअरिया चौक स्थित चालकों ने सड़क को जाम कर परिचालन को ठप कर दिया। इससे एंबुलेंस, स्कूल बस आदि वाहनों के फंसने से लोग परेशान रहे।

लंबी दूरी तय करने वाले ट्रक चालक भी परेशान

हड़ताल को लेकर चालक सड़क पर नजर आ रहे हैं। हालांकि, लंबी दूरी तय करने वाले चालक इस हड़ताल से काफी परेशान हैं।

कई को सामान की चिंता है तो कई की जेब खाली हो चुकी है। ऐसी स्थिति में चालक लाइन होटल व ढाबों की जगह सड़क पर जैसे-तैसे खाना बनाने को मजबूर हैं।

शहर में यातायात व्यवस्था बंद रही। दिल्ली मोड़ बस स्टैंड पर भी ठप पड़ा रहा।

अयोध्या से नेपाल जा रहे यात्री दिल्ली मोड़ पर फंसे

केवटी के बिक्की कुमार अपनी बाइक के साथ जाम में फंसा हुआ था। अपनी बहन के घर से वापस घर जा रहा था, लेकिन किधर से जाया जाए, यह उसे समझ में नहीं आ रहा था।

वहीं, धोई घाट जा रहे महमदपुर भरौल निवासी रविकांत कुमार यादव घंटों गलियां में भटकते रहे। मनीगाछी जा रही मब्बी निवासी अभिषेक कुमार भी फोरलेन पर भटक रहा था।

उधर, दूसरे राज्य में मजदूरी करने जा रहे मधुबनी के झंझारपुर निवासी राम चंद्र मुखिया थकहार दिल्ली मोड़ से पैदल अपने घर के लिए वापस हो गए। अयोध्या से नेपाल जा रहे मनोज कुमार दास दिल्ली मोड़ बस स्टैंड पर एक चाय की दुकान में बैठकर हड़ताल टूटने का इंतजार कर रहा था।

पटना से बाइक से झंझारपुर जा रहे धीरेंद्र झा को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। अपनी चाची के श्राद्धकर्म में भाग लेने के लिए हड़ताल पर डटे चालकों से बगल से जाने देने के लिए प्रार्थना करनी पड़ी।

पेट्रोल पंप पर उमड़ी भीड़

चालकों के हड़ताल पर रहने और चक्का जाम करने का असर बुधवार से पेट्रोल पंप पर सकता है। हालांकि, पंप मालिकों का कहना है कि उन लोगों के पास पेट्रोल पूरी तरह से स्टाक है। कोई कमी नहीं होगी।

हालांकि, जिन पंप मालिकों ने हड़ताल को देखते हुए पहले से स्टाक नहीं किया है, वहां अब दिक्कत होने की बात तय मान रहे हैं। यही कारण है कि शहर के कई पेट्रोल पंप पर अधिक भीड़ देखी गई।

वहीं, पेट्रोलियम डीलर एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक मित्तल ने कहा कि जिले में 65 पेट्रोल पंप हैं। जहां रोजाना दस हजार लीटर पेट्रोल की खपत है। कंपनी ने पेट्रोल का स्टाक करने के लिए पहले ही सतर्क कर दिया था।

इसे देखते हुए अधिकांश जगहों पर पेट्रोल की कोई किल्लत नहीं है। उधर, मंगलवार को जगह-जगह वेंडर ठेला गाड़ी से उपभोक्ताओं के घर गैस सिलेंडर पहुंचाते हुए देखा गया। हालांकि, पूछने पर कई ने बताया कि अगर हड़ताल का यही हाल रहा तो बहुत जल्द इसका असर किचन पर भी पड़ना तय है।

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