Darbhanga News: अदालत में 'मैथिली' में बहस की हुई शुरुआत, वकीलों ने जताई खुशी; कहा- हमारी भाषा और मजबूत होगी
Darbhanga News देसिल बयनासब जन मिठ्ठा की तर्ज पर मैथिली भाषा की मधुरता अब व्यवहार न्यायालय में भी गूंज रही है। जिससे संविधान की अष्टम अनुसूची में शामिल मैथिली भाषा के दिन बहुरने की संभावना बलवती होने लगी है। न्यायिक कार्यों में मैथिली के प्रयोग से जहां क्षेत्रीय वकीलों को सुविधा होगी। वहीं साथ अन्य कार्यों के लिए भी मैथिली भाषीय लोगों की जरूरत होगी।
सुधीर कुमार चौधरी, दरभंगा। Darbhanga News: ''देसिल बयना,सब जन मिठ्ठा " की तर्ज पर मैथिली भाषा की मधुरता अब व्यवहार न्यायालय में भी गूंज रही है। जिससे संविधान की अष्टम अनुसूची में शामिल मैथिली भाषा के दिन बहुरने की संभावना बलवती होने लगी है। न्यायिक कार्यों में मैथिली के प्रयोग से जहां क्षेत्रीय वकीलों को सुविधा होगी। वहीं साथ अन्य कार्यों के लिए भी मैथिली भाषीय लोगों की जरूरत होगी।
गुरुवार को दरभंगा व्यवहार न्यायालय में पहली बार मैथिली भाषा में अधिवक्ताओं ने बहस किया। बताया जाता है कि एक फौजदारी मामले के तीन अधिवक्ताओं ने अपने-अपने पक्षकारों की बात न्यायाधीश के समक्ष मैथिली में प्रस्तुत किया।
बहस की अनुमति न्यायिक दंडाधिकारी राघव ने दी और फिर तीनों अधिवक्ताओं ने मुकदमे से जुड़े तथ्यों को मैथिली भाषा में व्यक्त किया। अपनी मातृभाषा में बहस होते देख पक्षकार भी संतुष्ट दिखे जबकि अधिवक्ता में प्रसन्नता की लहर दौड़ गई। सर्वप्रथम मैथिली में बहस की शुरुआत करनेवाले वरीय अधिवक्ता शशिकांत झा ने बताया कि जब न्यायिक दंडाधिकारी राघव ने मेरे अनुरोध को मान लिया तो मेरी अंतर आत्मा प्रसन्न हो उठी।
इसके बाद अपनी बहस मैथिली में की। जिसे न्यायाधीश ने गंभीरता से सुना और उन्होंने मुस्कुराकर मैथिली की मधुरता को स्वीकार किया। इसके बाद एक जमानत याचिका पर अधिवक्ता अरुण कुमार चौधरी ने भी मातृभाषा मैथिली में ही बहस किया।
जबकि तीसरी बहस फौजदारी मुकदमा में जमानत याचिका फर अधिवक्ता पवन कुमार चौधरी ने किया। इस दौरान न्यायालय प्रकोष्ठ में मौजूद पक्षकारों के चेहरे खुशी से सराबोर दिखा।बता दें कि वर्ष 1906 में स्थापित दरभंगा व्यवहार न्यायालय में मुकदमों की पैरवी अधिवक्ता हिन्दी या अंग्रेजी में करते रहे हैं। वर्तमान में भी अधिकांश मामलों में हिन्दी या अंग्रेजी में ही बहस होती हैं।
जबकि भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में मैथिली भाषा को वर्ष 2003 में शामिल किया गया था। जिसके बाद मैथिली भाषा का दायरा बढ़ गया। जानकारों की माने तो अगर सभी अधिवक्ता मैथिली में बहस करने लगेंगे तो ड्राफ्टिंग,आवेदन आदि लेखन कार्य भी होती है तो मैथिली भाषियों के लिए रोजगार की संभावना भी बढ़ जाएगी। न्यायिक कार्यों में मैथिली के प्रयोग से पक्षकारों को भी अपने मामलों को समझने में आसानी होगी। साथ ही मैथिली भाषा को भी एक नया आयाम मिलेगा।
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