रूढ़ीवादी परंपरा से निकलकर गांव को शिक्षित बनाने की राह पर निकली आधी आबादी
दरभंगा। गांव की हरियाली और गेहूं की बालियों के बीच से गुजरने वाली पगडंडियों के बीच से आती चूड़ी व पायल की आवाज मानों मतदान के निर्धारित समय का आभास करा रही थी।
By JagranEdited By: Updated: Thu, 25 Nov 2021 12:23 AM (IST)
दरभंगा। गांव की हरियाली और गेहूं की बालियों के बीच से गुजरने वाली पगडंडियों के बीच से आती चूड़ी व पायल की आवाज मानों मतदान के निर्धारित समय का आभास करा रही थी। हल्की-हल्की सर्द हवा और गुनगुनाती धूप के बीच सर पर पल्लू और हाथों में वोटर आइकार्ड लिए यह तस्वीर बिरौल के ग्रामीण इलाके भवानीपुर के अल्पसंख्यक बाहुल इलाके की है। जिले में आठवें चरण में बिरौल की विभिन्न पंचायतों में विभिन्न पदों के लिए हुई वोटिग में अल्पसंख्यक समुदाय की महिलाओं ने यह आभास करा दिया कि वो भी शिक्षित हैं और अपने मताधिकार का प्रयोग करना जानती है। महिलाएं एक साथ झुंड में मतदान करने को बेकरार दिख रही थी।
कोई बच्चे को गोद में लिए था तो कोई अपने बुजुर्ग स्वजनों का हाथ पकड़कर उन्हें मतदान केंद्र ले जा रहा था। मानों स्वच्छ लोकतंत्र की बुनियाद गढ़ी जा रही हो। खेतों से गुजरकर जब ये महिलाएं मतदान केंद्र पहुंची तो इनमें से एक सबीता खातून ने बताया कि पहले के जमाने में महिलाओं के घर से निकलने पर भी पाबंदी हुआ करती थी। वे अपने मताधिकार से वंचित रहा करती थी। लेकिन, समय के साथ-साथ परंपराओं ने भी करवट ली। रूढ़ीवादी परंपराओं की जंजीर में जकड़ी महिलाओं को घर के शिक्षित लोगों ने हौंसला दिया, उनका साथ दिया। आज महिलाएं भी शिक्षित हो रही है। अपने अधिकारों के प्रति सजग है। सो, पंचायत सरकार चुनने के लिए पुरूषों से साथ कदमताल कर चल रही है। वहीं, रुकसाना ने बताया कि घर की दहलीज से बाहर निकलना पहले गुनाह की श्रेणी में हुआ करता था। लेकिन, समय के साथ-साथ पुरूषों की मानसिकता बदली। इसी के साथ अब गांव की तस्वीर भी बदलने लगी है। सरकार ने इसमें एक कदम बढ़ाकर महिलाओं को सीटों में आरक्षण दिया। इसका फायदा तो निश्चित रूप से महिलाओं को मिलना ही चाहिए। यह तस्वीर ना केवल एक पंचायत में देखने को मिली, बल्कि बिरौल की कई पंचायतों में आधी आबादी ने मतदान करने में पुरूषों को पछाड़ दिया। यहीं कारण था कि बिरौल में वोटिग के कुल प्रतिशत में महिलाओं की भागीदारी पुरूषों की अपेक्षा अधिक थी। मतदान केंद्रों पर महिलाओं की भीड़ यह साबित कर रही थी कि आज की महिलाएं पुरूषों से किसी भी मामले में पीछे नहीं है। मौका मिला तो वे घर के साथ-साथ गांव की तस्वीर भी बदल सकती है। -
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