भारत को चीन से डरने की जरूरत नहीं : परमानंद
नेपाल के पूर्व उपराष्ट्रपति परमानंद झा ने कहा है कि भारत को नेपाल से संबंध और प्रगाढ़ हो इस पर ध्यान देने की जरूरत है। आज कल भारत के दूतावास नेपाल में राजनीति कर रहे हैं। इसे बंद करना चाहिए।
दरभंगा। नेपाल के पूर्व उपराष्ट्रपति परमानंद झा ने कहा है कि भारत को नेपाल से संबंध और प्रगाढ़ हो इस पर ध्यान देने की जरूरत है। आज कल भारत के दूतावास नेपाल में राजनीति कर रहे हैं। इसे बंद करना चाहिए। जबकि, दूसरे देशों के दूतावास केवल विकास की बात करते हैं। भारत को खासकर के तराई इलाके यानी मधेशी क्षेत्र के विकास पर विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए। पूर्ववर्त्ती छात्र सम्मेलन में भाग लेने एलएन मिथिला यूनिवर्सिटी आए पूर्व उपराष्ट्रपति ने दैनिक जागरण से एक भेंट में ये बातें कही। उन्होंने कहा कि भारत को मधेशी के विकास के लिए नेपाल सरकार से भी बातचीत करने की जरूरत है। क्योंकि, तराई इलाके के कारण ही भारत और नेपाल का संबंध बेटी- रोटी का रहा है। कई कारणों से इसमें अब कमी आ रही है। इसमें नेपाल के संविधान, भारत में दहेज प्रथा की वृद्धि के साथ- साथ एसएसबी के जवानों द्वारा सघन जांच पड़ताल के कारण परेशानी बढ़ी है। लोग संबंध करने से अब हिचकने लगे हैं। जन- जन का संबंध कैसे बरकरार रहे इसके लिए बिहार सरकार को भी दिल्ली के सरकार से बात करनी चाहिए। नेपाल को आए दिन चीन से बढ़ रहे नजदीकी और भारत के साथ बढ़ रहे दूरी के संबंध में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि यह भ्रम पैदा करने वाली सोच है। इसमें कहीं कोई सच्चाई नहीं है। कोई भी देश अपना विकास चाहता है। नेपाल भी विकास करना चाहता है। इसमें जो देश उसको जितना मदद करेगा उसको वह स्वीकार करने से कभी नहीं हिचकेगा। क्योंकि नेपाल एक मंगनिया यानी मांगने वाला राष्ट्र है। जो देश जितना देगा उसके प्रति उतना आकर्षण होना स्वाभाविक है। भारत को चीन से आए दिन बढ़ रहे तनाव के संबंध में पूछे जाने पर पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि इससे भारत को बिल्कुल डरने की जरूरत नहीं है। क्योंकि नेपाल को अपने कब्जे में करने के बाद ही चीन भारत पर कुछ कर सकता है। जो कि बिल्कुल संभव नहीं है। भरत आए दिन नेपाल के माध्यम से आइएसआइ एजेंट की घुसपैठ की बात कह रही है। इसमें सच्चई कितना है वह नहीं पता। लेकिन, अगर घुसपैठ हो रही है तो उसे पकड़ने की जिम्मेदारी भी भारत का ही है। भारत आज कल मधेशी क्षेत्र को छोड़कर पहाड़ी इलाके को विकास करने अभिरूचि दिखा रहा है। इससे मधेशी को भी भारत के प्रति सहानुभूति कम हो रहा है। करीब 25 साल पहले भारत ने मधेशी क्षेत्र को पूरब से पश्चिम तक जोड़ने वाले हुलाकी राजमार्ग बनाने का समझौता किया था। लेकिन, उस पर अभी तक कोई काम नहीं हो रहा है। इसमें नेपाल सरकार को भी भारत से बात करने की जरूरत है। यह राजमार्ग करीब 17-18 सौ कि.मी. का है। पूरे तराई यानी मधेशी क्षेत्र को यह जोड़ता है। इसी क्षेत्र से भारत को बेटी- रोटी का संबंध रहा है जो अब सिर्फ कहने का रह गया है। पहले की तरह अपना समाज की तरह लगे इस पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। क्योंकि, भाषा से लेकर सामाजिक व सांस्कृतिक परिस्थिति समान है। आज भारत के साथ खुला बॉर्डर होने के बावजूद भी परेशानियां बढ़ रही हैं। संबंध में फर्क पड़ रहा है। इसे डिप्लोमेटिक स्तर पर ठीक करने की जरूरत है। थम सा पर गए मधेशी आंदोलन के बारे में जिज्ञासा करने पर कहा कि जब आप सोचेंगे कि मेरा कोई सुनने वाला नहीं है तो फिर मन को मनाना पड़ता है। हालांकि, यह आंदोलन मरा नहीं है। अंदर ही अंदर यह सुलग रहा है।