Bihar Teachers: राजभवन और शिक्षा विभाग के बीच अब इस मुद्दे पर मची रार, 5 हजार शिक्षकों को पड़ेंगे वेतन के लाले!
शिक्षा विभाग की बैठक में कुलपतियों के जाने और नहीं जाने के मुद्दे पर रार ठनी हुई है। राजभवन और शिक्षा विभाग के बीच उत्पन्न इस विवाद की आग तपिश अभी ठंडी भी नहीं हुई कि गेस्ट टीचर के मानदेय भुगतान को लेकर नई रार छिड़ गई है। अगर इसे शीघ्र नहीं सुलझाया गया तो प्रदेश के 5000 से गेस्ट टीचर्स को एक बार फिर वेतन के लाले पड़ जाएंगे।
प्रिंस कुमार/जागरण संवाददाता, दरभंगा। शिक्षा विभाग की बैठक में कुलपतियों के जाने और न जाने के मुद्दे पर राजभवन और राज्य सरकार के बीच उत्पन्न विवाद की आग तपिश अभी ठंडी भी नहीं हुई कि अतिथि शिक्षकों के मानदेय भुगतान को लेकर नई रार छिड़ गई है।
अगर इस रार को शीघ्र ही नहीं सुलझाया गया तो ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय सहित प्रदेश के एक दर्जन से अधिक विश्वविद्यालय में कार्यरत पांच हजार से अधिक अतिथि शिक्षकों को एक बार फिर वेतन के लाले पड़ जाएंगे।
बुधवार को ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय की सीनेट बैठक में राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने कुलपति को सीधे-सीधे मना कर दिया कि विश्वविद्यालय के खाते में संचित अरबों की राशि उसकी अपनी सुविधा के लिए है। इस राशि से शिक्षा विभाग के निर्देश पर अतिथि शिक्षकों के वेतन का भुगतान नहीं किया जाए।
कुलाधिपति जिस सीनेट की बैठक में यह बोल रहे थे, उसी बैठक में प्रस्तुत वार्षिक बजट में वित्तीय सलाहकार डॉ. दिलीप कुमार ने विश्वविद्यालय में कार्यरत 851 अतिथि शिक्षकों के वेतन की भी चर्चा की थी।
विभाग ने मानदेय देने से किया मना
बता दें कि मिथिला विश्वविद्यालय सभी अतिथि शिक्षकों को मानदेय के रूप में प्रति माह लगभग साढ़े चार करोड़ रुपये भुगतान करता है। हाल ही में सभी विश्वविद्यालयों के कुलपति को उच्च शिक्षा विभाग की निदेशक डॉ. रेखा कुमारी ने पत्र भेजा है।
डॉ. रेखा कुमारी ने पत्र में बताया है कि विश्वविद्यालय स्नातकोत्तर विभागों एवं इसके अधीन अंगीभूत महाविद्यालयों में कार्यरत अतिथि शिक्षकों के मानदेय का भुगतान अब सरकार नहीं करेगी। अतिथि शिक्षकों के मानदेय का भुगतान विश्वविद्यालय को अपने आंतरिक स्रोत से करना होगा।
विभाग ने कहा- आंतरिक स्रोत से करें भुगतान
पत्र में कहा गया है कि विश्वविद्यालय अपने आंतरिक स्रोत से अतिथि शिक्षकों के मानदेय का भुगतान करें। शिक्षा विभाग ने विश्वविद्यालय को भेजे पत्र में यह भी जानकारी दी है कि मिथिला विश्वविद्यालय के खातों में दो अरब 70 करोड़ 96 लाख 22 हजार रुपये हैं। इन राशि से विश्वविद्यालय अतिथि शिक्षकों का भुगतान कर सकती है।
9 माह से लंबित है अतिथि शिक्षकों का मानदेय
ललित नारायण मिथिला समेत संस्कृत विश्वविद्यालय में कार्यरत अतिथि शिक्षकों का मानदेय पिछले आठ-10 माह से लंबित है। सीनेट की बैठक में जब कुलाधिपति ने स्पष्ट कर दिया कि अतिथि शिक्षकों को विश्वविद्यालय अपने आंतरिक स्रोतों से भुगतान नहीं करेगा।
राज्य सरकार पर टिकी अतिथि शिक्षकों की निगाहें
इसके बाद अतिथि शिक्षकों की निगाहें अब पूरी तरह से राज्य सरकार पर जाकर टिक गई है। अतिथि शिक्षकों ने बताया कि राज्य सरकार और राजभवन की टकराहट की वजह से हमलोगों का मानदेय बाधित हो रहा है। सरकार और राजभवन को अविलंब आपस में वार्ता कर इस स्थिति को स्पष्ट करना चाहिए।
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