अब आम लोगों तक पहुंचेगा संग्रहालय, योजना पर चल रहा काम
दरभंगा। हर साल 18 मई को अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय दिवस मनाया जाता है।
दरभंगा। हर साल 18 मई को अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय दिवस मनाया जाता है। इसे मनाने का उद्देश्य समाज को संग्रहालय के महत्व से अवगत कराना है। कई संगठन ऐसे हैं जो इस दिन संग्रहालयों का मुफ्त ट्रिप आयोजित करते हैं। लोग दोस्त, परिवार और रिश्तेदारों के साथ संग्रहालय देखने जाते हैं। लेकिन, लॉकडाउन के इस दौर में अधिकतर संग्रहालय बंद हैं। जो खुले भी हैं, वहां आंतरिक कार्य हो रहे हैं, आमलोगों के प्रवेश पर फिलहाल प्रतिबंध है। नतीजा, इस बार अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय दिवस के अवसर पर लोग यहां आकर दुर्लभ वस्तुओं का अवलोकन नहीं कर सकेंगे। संग्रहालय का प्रबंधन भी इस बात को लेकर चितित है और आगे की योजनाओं पर काम कर रहा है। शहर में 1979 में राज दरभंगा परिवार द्वारा करीब पंद्रह सौ कलावस्तुओं को दान देकर महाराजा लक्ष्मेश्वर सिंह संग्रहालय की स्थापना की गई थी। यहां की कई कलावस्तुएं अत्यंत दुर्लभ हैं। यहां हड़प्पा काल की प्रतिमाएं, हाथी दांत से निर्मित कलाकृतियां, काष्ठ निर्मित बड़ी संख्या में सामग्रियां उपलब्ध हैं। कई वस्तुओं का काफी समय से संरक्षण नहीं हो सका था। इसे देखते हुए वर्तमान में भारत सरकार के धरोहर संरक्षण विषयक सबसे प्रतिष्ठित संस्थान राष्ट्रीय सांस्कृतिक संपदा संरक्षण अनुसंधानशाला, लखनऊ के विशेषज्ञ यहां की वस्तुओं का संरक्षण कर रहे हैं। संग्रहालयाध्यक्ष डॉ. शिव कुमार मिश्रा कहते हैं कि वर्तमान परिस्थिति ने हमें सोचने के लिए मजबूर कर दिया है। संरक्षण का कार्य पूरा होने के साथ ही हम सभी कलाकृतियों की डिजिटल कॉपी वेबसाइट पर अपलोड करने जा रहे हैं, ताकि आम लोगों को इसका सीधा लाभ मिल सके। हम वीडियो भी तैयार कर रहे हैं, ये भी अपलोड होंगे। हाल ही में मिथिला क्षेत्र की मूर्तियों का सर्वे कराया गया है। इसे प्रकाशित करने की योजना है। इन्हें भी वेबसाइट पर डाला जाएगा। साथ ही संग्रहालय में मौजूद प्रमुख कलाकृतियों का ब्रॉशर तैयार करने की योजना है जिसे आम लोग ऑनलाइन देख सकेंगे। शहर में स्थापित चंद्रधारी संग्रहालय में भी इसी प्रकार की योजनाओं पर काम चल रहा है। इसके अलावा दो संग्रहालय शहर में ऐसे हैं जो आम लोगों की पहुंच से फिलहाल दूर हैं। ये दोनों संग्रहालय दोनों विश्वविद्यालयों के अधीन हैं। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के नरगौना में महाराजा कामेश्वर सिंह संग्रहालय स्थित है। यहां महाराजा के उपयोग किए हुए कई वस्तुओं, हथियारों व तस्वीरों का संग्रह है। हाल ही में इसे व्यवस्थित किया गया है और इसे संग्रहालय का रूप देने और आम लोगों की पहुंच में लाने की योजना पर काम चल रहा है। वहीं, कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के पास भी एक संग्रहालय है जो आम लोगों की पहुंच से दूर है। यहां कई प्राचीन तैलचित्र, कलाकृतियां, हथियार, हाथी दांत के सामान व कई प्राचीन पांडुलिपियां मौजूद हैं। इनके संरक्षण की दिशा में काम चल रहा है। लॉकडाउन ने हमारी व्यवस्थाओं में कई परिवर्तन लाए हैं। आने वाले समय में इसी के तहत संग्रहालय भी आम लोगों तक पहुंचने वाला है।
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