Parliament Security Breach: मास्टरमाइंड के पिता बोले- मेरा बेटा आरोपी नहीं, 250 रुपये लेकर दिल्ली गया था ललित
संसद भवन की सुरक्षा में सेंध मामले में आत्मसमर्पण करने वाले ललित झा अपने पिता से ढाई सौ रुपये आशीर्वाद में लेकर 10 दिसंबर को दिल्ली गया था। इसकी पुष्टि ललित के पिता अलीनगर प्रखंड के अधलोआम पंचायत के रामपुर उदय गांव निवासी देवानंद झा ने की है। उन्होंने कहा कि कोलकाता से जब अपनी पत्नी मंजुला देवी और छोटे पुत्र शंभू झा के साथ गांव आ रहे थे
संवाद सहयोगी, अलीनगर (दरभंगा)। संसद भवन की सुरक्षा में सेंध मामले में आत्मसमर्पण करने वाले ललित झा अपने पिता से ढाई सौ रुपये आशीर्वाद में लेकर 10 दिसंबर को दिल्ली गया था। इसकी पुष्टि ललित के पिता अलीनगर प्रखंड के अधलोआम पंचायत के रामपुर उदय गांव के वार्ड संख्या चार निवासी देवानंद झा ने की है।
उन्होंने कहा कि कोलकाता से जब अपनी पत्नी मंजुला देवी और छोटे पुत्र शंभू झा के साथ गांव आ रहे थे तो ललित उसी स्टेशन से दिल्ली जा रहा था। उस दौरान उसने प्रणाम किया, प्रथा के तहत अपने पुत्र आशीर्वाद के रूप में ढाई सौ रुपये दिया।
उस दौरान ललित ने अपने माता-पिता को यह बताया था कि वह चार दिनों में दिल्ली से लौट जाएगा। ललित के माता-पिता ने कहा कि उनका बेटा आरोपी नहीं है।
'किस काम से दिल्ली गया इसकी नहीं दी जानकारी'
हालांकि, वह किस काम से दिल्ली गया इसकी कोई जानकारी नहीं दी। पिता का कहना है कि वह अक्सर दिल्ली आता-जाता रहा है। हमेशा नौकरी की खोज में जाने की बात कहता था। इस कारण से ज्यादा सवाल करना उचित नहीं समझा।
राजनीतिक संगठनों से जुड़े होने की बात पर उन्होंने कहा कि कभी उनके आवास पर कोई बड़ा नेता तो नहीं आया। हालांकि, ललित कुछ छुट्टभैया नेताओं के साथ जरूर रहता था। इस पर कभी विशेष ध्यान नहीं दिया।
बताया कि गांव में सातवीं तक की पढाई करने के बाद उसे कोलकाता ले गए, जहां कोलकाता के बड़ा बाजार में किराए के मकान में रहकर मंदिरों और घरों में पूजा-पाठ कराकर जो आमदनी होती थी, उससे अपने बच्चों को शिक्षा दिलाने का काम किए।
ललित मैट्रिक में प्रथम स्थान लाया, इस सूचना पर मिथिलांचल परिषद ने उसे मेडल से सम्मानित किया था। उसके बाद महेश्वरी कॉलेज से उसने बीए तक की पढ़ाई की। दो बार मेडिकल की परीक्षा में भी शामिल हुआ।
दूसरी बार बताया कि परीक्षा में पास हो गए हैं, आगे की पढ़ाई जारी रखने के लिए सात लाख रुपये दो किस्त में जरूरत है, जिसे देने में असमर्थता व्यक्त किए। इसके बाद से वह कोचिंग और होम ट्यूशन पढ़ाने लगा। कहा कि बड़ा पुत्र शंभू झा कोलकता में ही कपड़ा दुकान में सेल्समैन का काम करता और सबसे छोटा बिजली मिस्त्री है।
गरीबों की सेवा करना बचपन से थी आदत
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