जागरण विशेष: घरों में प्रयोग हो चुके पानी से खोली आत्मनिर्भरता की राह, दरभंगा की नरमा नवानगर पंचायत में नवाचार
दरभंगा की नरमा नवानगर पंचायत में नवाचार किया जा रहा है। यहां पारंपरिक तरीके को आधुनिक रूप देकर पानी को साफ किया जा रहा है। इसके माध्यम से साफ पानी के साथ रोजगार भी उपलब्ध कराया जा रहा है।
By Jagran NewsEdited By: Yogesh SahuUpdated: Sun, 18 Dec 2022 06:51 PM (IST)
दरभंगा, लालटुना झा। पानी की कीमत समझी तो गांव वालों ने मुखिया के निर्देशन में ऐसा नवाचार कर दिया कि न केवल जल का सदुपयोग हो रहा है बल्कि रोजगार सृजन भी हुआ है। यह सब संभव हुआ है बिहार के दरभंगा जिले में नरमा नवानगर पंचायत में। यहां देसी तकनीक से घरों के प्रयोग हो चुके पानी को साफ कर तालाबों में एकत्र किया जाता है। इससे मखाना उत्पादन किया जाता है, मछली पालन होता है और सूखे जैसी स्थिति में खेतों की सिंचाई भी हो जाती है। जल-जीवन-हरियाली योजना के तहत दो वर्ष पहले शुरू हुए इस काम के चलते गांव को जलजमाव की समस्या से भी मुक्ति मिली है।
पानी की कमी हुई तो आया विचार
दरभंगा जिले के अलीनगर प्रखंड के नरमा गांव में हर वर्ष गर्मी में जलस्तर इतना नीचे चला जाता था कि हैंडपंप पानी देना बंद कर देते थे। सिंचाई के लिए भी परेशानी का सामना करना पड़ता था। वर्षा में पानी बहकर बर्बाद हो जाता था। ऐसे में गांव की मुखिया अनुराधा देवी ने वर्षा और घरों से निकलने वाले पानी को संरक्षित करने की योजना बनाई। वर्ष 2020 में इस पर काम शुरू हुआ। तीन-तीन एकड़ के दो तालाबों की सफाई कराकर उन्हें जल संचय के लायक बनाया गया है।
इस तरह साफ करते गंदा पानी
तालाबों की सफाई के बाद गांव के करीब 1,500 से अधिक घरों से निकलने वाले पानी को 4,292 फीट लंबी नालियों के माध्यम से जोड़ा गया। इसके लिए हर गली से निकली नाली के अंतिम छोर पर चैंबर बनाया गया है। इसमें जाली लगाई गई है, जिससे पानी में जमा बड़ी गंदगी अलग हो जाती है। यहां से पहले चरण में पानी साफ होकर करीब आधा दर्जन मुख्य चैंबरों में पहुंचता है। यहां भी पानी साफ करने की व्यवस्था है।सबसे पहले महीन छिद्र वाली जाली लगी है जिससे पानी में मिले कचरे के टुकड़े रुक जाते हैं। इसके बाद चैंबर में बालू और कोयला चरणबद्ध तरीके से रखा जाता है। इसमें से जो पानी छनकर निकलता है, वह काफी हद तक साफ हो चुका होता है। इन चैंबरों से पानी पहले तालाब में पहुंचता है और फिर यहां से बगल में बने दूसरे तालाब में पहुंचाया जाता है।तालाबों में समय-समय पर चूना व ब्लीचिंग पाउडर भी डाला जाता है, ताकि पानी साफ रहे। एक तालाब में मछली पालन तो दूसरे में मखाना की खेती होती है। साथ ही, इसके पानी से करीब 100 एकड़ खेत में सिंचाई भी होती है। इसके लिए पंपसेट या मोटर का इस्तेमाल किया जाता है। पूरी योजना पर करीब 69 लाख 832 रुपये खर्च किए गए हैं।
कचरा प्रबंधन पर भी हो रहा काम
3,600 जनसंख्या वाले इस गांव में अन्य सुविधाएं भी ग्रामीणों को उपलब्ध हैं। यहां पंचायत सरकार भवन, अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, प्लस टू उच्च विद्यालय, हर घर में शौचालय, पक्की गली-नालियां,नल का जल, स्वच्छ भारत मिशन के तहत कचरा प्रबंधन के लिए ठोस एवं तरल अपशिष्ट के निस्तारण पर काम हो रहा है। घर-घर से निकले कचरे को एक जगह जमा करने के लिए शेड का निर्माण हो चुका है।
जल्द ही गीले कचरे से खाद बनाने का काम शुरू होगा। वार्ड संख्या चार के दिनेश मंडल बताते हैं कि जलजमाव की समस्या से निजात मिली है। पानी बर्बाद नहीं होता है। वार्ड संख्या पांच के अभय कुमार झा बताते हैं कि पहले नाला नहीं होने के कारण लोग घर के आसपास गड्ढा कर गंदा पानी इकट्ठा करते थे। अब यह संकट दूर हुआ है।लगातार दूसरी बार मुखिया बनीं स्नातक पास अनुराधा सिंह का कहना है कि जल संचय की यह पहल अन्य पंचायतों के लिए मिसाल बन गई है। इस बार वर्षा नहीं होने से जहां आसपास की पंचायतों में सिंचाई की समस्या थी, यहां ऐसा नहीं था। पंचायत के अन्य पांच गांवों में भी इसी तरह की व्यवस्था करने की योजना है। श्यामपुर गांव में काम शुरू हो चुका है।
नरमा गांव में जल संरक्षण का काम काबिलेतारीफ है। घरों के साथ बरसात का पानी भी बर्बाद नहीं होता। अन्य पंचायतों में भी यह कार्य हो, इसका प्रयास होगा। -उमेश नंदन सिंह, प्रखंड कृषि पदाधिकारी, अलीनगर, दरभंगा
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