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शाही हत्याकांड में पुलिस को मिली सफलता

दरभंगा। सदर थाने क्षेत्र के रानीपुर स्थित एनएच 57 पर 22 दिसंबर को दिनदहाड़े एसके कंस्ट्रक्शन के मालिक कुशेश्वर प्रसाद शाही उर्फ गोरे शाही (48) को गोलियों से भून डालने के मामले में पुलिस को काफी हद तक सफलता मिली है।

By JagranEdited By: Updated: Tue, 25 Dec 2018 01:05 AM (IST)
शाही हत्याकांड में पुलिस को मिली सफलता

दरभंगा। सदर थाने क्षेत्र के रानीपुर स्थित एनएच 57 पर 22 दिसंबर को दिनदहाड़े एसके कंस्ट्रक्शन के मालिक कुशेश्वर प्रसाद शाही उर्फ गोरे शाही (48) को गोलियों से भून डालने के मामले में पुलिस को काफी हद तक सफलता मिली है। पुलिस के नजरों के सामने अब हत्यारा आ चुका है। जरूरत है सिर्फ उसे दबोचने की। पुलिस ने जब नीरज की खोजते हुए उसके सीतामढ़ी जिले के रूनीसैदपुर थाने क्षेत्र स्थित रैन विशुनी गांव में छापेमारी की तो वह नहीं मिला। इसके बाद पुलिस ने उसके सबसे अधिक करीबी बेलसंड थाने क्षेत्र के डुमरा गांव निवासी दीपक ¨सह के घर छापेमारी कर उसे दबोच लिया। उसे जब बंदूक के साथ पकड़ा गया तो पुलिस की शक यकीन में बदल गया। सख्ती से पूछताछ में उसने घटना में शामिल होने की बात से इंकार कर दिया। लेकिन, उसने कुछ अन्य लोगों का नाम बताया। इसके बाद पुलिस मुजफ्फरपुर जिले के कटरा, बोचहा, गायघाट और अहियापुर के शेखपुर में छापेमारी की। कुछ खाश फीडबैक नहीं मिलने पर एसआईटी की टीम पुन: सीतामढ़ी जिले पहुंचकर मुखिया नीरज कुमार ¨सह के घर पर छापेमारी। वहां से मुखिया के छोटे भाई राजीव कुमार ¨सह को दबोच लिया। इसके बाद उसके घर से स्कार्पियो को जब्त कर चालक गुड्डू झा को हिरासत में ले लिया। इसके बाद पूछातछ के बाद टीम गयघट गांव में छापेमारी की। जहां से पुलिस को बड़ी सफलता मिली। नीरज के खाश दो लोगों को वहां से दबोचा गया। कृष्ण कन्हैया और पैसू रंजन की गिरफ्तारी से पुलिस को अनुसंधान में गति मिली। साथ ही पैसू रंजन के घर से पुलिस ने दिल्ली नंबर चोरी की एक इंडिका कार भी बरामद किया है। इसके बाद पुलिस ने सभी को लेकर दरभंगा पुहंच गई। पूछातछ से जो बातें सामने आई है वह काफी चौंकाने वाला है। बहरहाल, गिरफ्त में आया चारों में से घटना में कोई शामिल नहीं था। लेकिन, पुलिस को यकीन है कि घटना में जिस स्कार्पियो और कार इस्तेमाल करने की बात कही जा रही है वह यही दोनों है। बहरहाल, पुलिस आगे की तैयारी में है।

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शाही से नीरज को था खतरा :

सूत्रों के अनुसार, पूछताछ और अभी तक के अनुसंधान से जो तथ्य सामने आया है वह चौंकाने वाला है। दरअसल, कुशेश्वर प्रसाद शाही उर्फ गोरे शाही से नीरज को खतरा था। यही कारण था कि नीरज अपने दोस्तों और शराब कारोबार के पार्टनर को हमेशा यह बात कहता था कि उसे शाही जान से मार देगा। उसकी हत्या के लिए सुपारी दिया गया है। हमेशा अपने दोस्तों से मदद की गुहार लगाता था। बताया जाता है कि इसी के तहत नीरज ने शाही की हत्या करने के लिए मुजफ्फरपुर के एक सुपारी किलर को सात लाख रुपये दे दिया। संयोग था कि वह किलर शाही का बहुत ही करीबी था और नाम जानते ही सुपारी लेने से इंकार ही नहीं किया बल्कि, रुपये भी वापस कर दिया। इसकी जानकारी शाही को दी गई। इसके बाद से अदावत अंदर ही अंदर तेज होता चली गई।

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मुजफ्फरपुर में मारने का था इरादा :

ठेकेदार कुशेश्वर प्रसाद शाही उर्फ गोरे शाही की हत्या की साजिश रचने के बाद मुजफ्फरपुर के बैरिया में शूटर घटना को अंजाम देने की तैयारी में था। लेकिन, इसकी भनक शाही को लग गई। इसके बाद शाही ने मुजफ्फरपुर जाना बंद कर दिया। पटना जाने की स्थिति में वह जंदाहा रोड का इस्तेमाल करते थे। शाही अलर्ट हो गए हैं इसकी जानकारी शूटरों को मिल गई। इसके बाद शूटर उनके घर में घुस कर मारने का प्लान बनाया। लेकिन, शाही को यह यकीन नहीं था कि उसे कोई घर में मार सकता है।

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