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Darbhanga AIIMS पर राजनीति जारी, 3 साल में नहीं रखी जा सकी नींव, निर्माण कार्य टालने से किसे मिल रहा लाभ?

Darbhanga AIIMS News पहले डीएमसीएच की जमीन एम्स के लिए चिन्हित की गई तो कई तकनीकी कारणों से बिहार सरकार ने एम्स के निर्माण को लेकर डीएमसीएच के बजाय बहादुरपुर के शोभन में जमीन आवंटित की गई जिसे केंद्रीय टीम ने अनुपयुक्त बता दिया।

By Jagran NewsEdited By: Deepti MishraUpdated: Thu, 15 Jun 2023 12:49 PM (IST)
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जमीन के पेच में तीन वर्षों से फंसा है दरभंगा एम्स का निर्माण। तस्‍वीर- प्रतीकात्‍मक
 जागरण संवाददाता, दरभंगा : जिले में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) का निर्माण करीब तीन साल से जमीन के पेंच में फंसा हुआ है। इसके लिए बिहार से लेकर दिल्ली तक माथापच्ची चल रही है। पहले डीएमसीएच की जमीन एम्स के लिए चिन्हित की गई तो कई तकनीकी कारणों से बिहार सरकार ने एम्स के निर्माण को लेकर डीएमसीएच के बजाय बहादुरपुर के शोभन में जमीन आवंटित की गई।

जानकारी के मुताबिक,  शोभन में निर्माण कार्य के लिए मिट्टी भराई समेत अन्य कार्य शुरू करने के लिए टेंडर हो गया। तब केंद्रीय टीम ने शोभन की जमीन को एम्‍स के लिए अनुपयुक्त बता दिया। इस चक्कर में एम्स का निर्माण का कार्य टल रहा है।

बिहार सरकार का क्‍या है फैसला?

बिहार सरकार शोभन में एम्स की 189.7 एकड़ जमीन पर मिट्टी भराई के लिए तीन अरब नौ करोड़ से अधिक राशि की स्वीकृति दे चुकी है। साथ ही एम्स की जमीन की मिट्टी भराई जुलाई तक संपन्न कर लेने को कहा गया है। 150 एकड़ जमीन को छोड़कर शेष 25 एकड़ जमीन पर भूस्वामियों को मुआवजा देने के लिए टेंडर निकाला जा चुका है।

इधर, केंद्रीय स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव राजेश भूषण ने शोभन की तय जमीन पर एम्स के निर्माण का काम अनुपयुक्त बताया है। इसके पहले एम्स के निर्माण को लेकर डीएमसीएच की भूमि चिह्नित की गई थी। यहां पहले चरण में 13 करोड़ की लागत से मिट्टी भराई का काम चालू किया गया था।

 मिट्टी भराई का काम 80 प्रतिशत हो गया था। पहले चरण में निर्माण को लेकर डीएमसीएच की 81.6 एकड़ जमीन का भी हस्तांतरण कर दिया गया था। इस बीच बिहार सरकार ने शोभन में एम्स की जमीन चिह्नित कर दिया।

केंद्र सरकार एम्स के निर्माण के लिए पहले ही 1254 करोड़ राशि स्वीकृत कर चुकी है। 15 सितंबर, 2020 को केंद्रीय कैबिनेट ने इसकी मंजूरी दी थी। दरभंगा में एम्स के निर्माण कार्य को 2024 तक पूरा करना था। दरभंगा एम्स को लेकर चल रही खींचतान का अंदाजा अन्य जगहों से लगाया जा सकता है।

एम्स की भूमि संबंधी प्रस्ताव के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है और न ही इस संबंध में कोई पत्र उन्हें प्राप्त हुआ है।

-डा. माधवानंद कार, निदेशक, एम्स।

किन शहरों में बनाए जा रहे हैं एम्स?

जानकारों के अनुसार, दरभंगा के साथ हरियाणा के राजकोट, बिलासपुर, गुवाहाटी, मदुरैई में एम्स को केंद्रीय कैबिनेट से मंजूरी मिली। इसमें मदुरैई का काम चल रहा है, जबकि अन्य जगहों पर काम पूरा हो चुका है। दरभंगा एम्स में मरीजों के 750 बेड के लिए एमबीबीएस की 100 और बीएससी-नर्सिंग की 50 सीटें निर्धारित की गई हैं।

एम्स के निर्माण के लिए पहले से ही एम्स निदेशक के पद पर डॉ. माधवानंद कार करीब तीन वर्षों से पदस्थापित हैं। कार्यकारी निदेशक की बहाली छह जून, 2022 को हुई थी। 15 अगस्त को उन्होंने पदभार ग्रहण किया। इनकी बहाली 2032 तक के लिए है।

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