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Income Tax: पशु आहार व्यवसायी समूह के कई ठिकानों से मिले लाखों के आभूषण और दो करोड़ कैश, बैंक से मंगाई गई मशीन

आयकर विभाग ने दरभंगा के पशु आहार व्यवसायी समूह पर दूसरे दिन मंगलवार को छापेमारी की। कार्रवाई के दायरे को बढ़ाते हुए 11 की जगह 14 ठिकानों को टीम ने खंगाला। इस दौरान कई ठिकानों से मिले दो करोड़ नकद और बैंक लॉकर से भारी मात्रा में आभूषण मिले। नकद की गिनती के लिए आयकर विभाग को बैंक से मशीन भी मंगानी पड़ी।

By Jagran NewsEdited By: Mukul KumarUpdated: Wed, 27 Sep 2023 12:14 PM (IST)
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प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर
जागरण संवाददाता, दरभंगा : आयकर विभाग, पटना की इन्वेस्टिगेशन यूनिट ने दरभंगा के अशोक कैटल फीड (पशु आहार) के समूह पर दूसरे दिन मंगलवार को छापेमारी की। कार्रवाई के दायरे को बढ़ाते हुए 11 की जगह 14 ठिकानों को टीम ने खंगाला।

इसमें अशोक कैटल फीड समूह के तीनों भाई अशोक महनसरिया, आनंद महनसरिया और राज कुमार महनसरिया के शहर के गुल्लोवाड़ा बसंतगंज स्थित आवास, दोनार औद्योगिक क्षेत्र स्थित फैक्ट्री, गोदाम सहित विभिन्न जगहों पर सात कार्यालयों में देर शाम तक अधिकारी डटे रहे।

वहीं गुवाहाटी और कोलकाता में एक-एक, पुणे में दो ठिकानों पर कार्रवाई जारी रही। हालांकि, इस दौरान कोलकाता का दफ्तर दूसरे दिन भी बंद पाया गया। इस कारण वहां टीम को कोई सफलता नहीं मिली। उधर, आवास से दो करोड़ रुपये से अधिक नकद राशि मिलने की बात कही गई है।

रात में बैंक से नोट गिनने की मशीन मंगाई गई। आयकर अधिकारी नोट गिनने में जुट गए हैं। वहीं शहर के तीन अलग-अलग बैंक के लाकर से कई डिपॉजिट पेपर सहित भारी मात्रा में आभूषण मिले हैं। एक्सपर्ट के माध्यम से इसकी वास्तविक कीमत पता करने में टीम जुटी हुई है।

लाखों में सभी आभूषणों की कीमत

सभी आभूषणों की कीमत लाखों में होने का अनुमान लगाया गया है। बैंक अकाउंट से भी काफी रुपये मिलने की बात कही गई। छापेमारी में पुणे के औद्योगिक क्षेत्र में बड़ा भूखंड मिला है।

आयकर टीम यह पता करने में जुटी है कि जब फर्म के नाम से दरभंगा में भूमि है तो दूसरे जगह भूखंड रखने का क्या औचित्य है, इसकी कोई जानकारी न तो संबंधित विभाग को दी गई है और ना ही रिटर्न में इसका उल्लेख है। इसके अतिरिक्त कई भूखंडों के दस्तावेज मिले हैं।

इसमें बिचौलिए सहित कई लोगों को नकदी भुगतान करने की जानकारी मिली है। उधर, साइबर एक्सपर्ट व फोरेंसिक टीम ने जब्त कंप्यूटर, लैपटाप और मोबाइल से मिले डेटा को सुरक्षित कर लिया है। पांच साल के डुप्लीकेट रजिस्टर को स्कैन किया गया है।

बताया जाता है कि साइबर एक्सपर्ट व फोरेंसिक टीम पूरी कार्रवाई के बाद वापस हो गई है। हालांकि, आयकर अधिकारी सभी जगहों पर डटे हैं। बुधवार को भी सभी जगहों पर कार्रवाई जारी रहने की बात कही गई है। सभी ठिकानों से करोड़ों के अनधिकृत लेन-देन के दस्तावेज भी मिले है।

व्यवसायी पशु आहार के निर्माण और बिक्री के अलावा आटा मिल चलाते हैं, जो जीएसटी के अधीन नहीं है। हालांकि, रिटर्न दाखिल करना आवश्यक है, जो पांच सालों से नहीं किया गया है।

आयकर विभाग का कहना है कि समूह ने बिक्री का सही हिसाब नहीं देकर बेहिसाब आय प्राप्त की है। इसे लेकर संपत्ति की खोज और जब्ती अभियान चलाया जा रहा है।

शहर के एक रिश्तेदार से भी हुई पूछताछ 

आयकर टीम को कई डुप्लिकेट रजिस्टर और दस्तावेजों से करोड़ों रुपये के नकदी लेन-देन का जो साक्ष्य मिला है उसमें सबसे अधिक लहेररियासराय स्थित एक बड़े व्यवसायी का नाम सामने आया है। इसे देखते हुए टीम ने उससे काफी देर तक पूछताछ की है।

उसके अलग-अलग दो प्रतिष्ठानों के आय की जानकारी भी जुटाई जा रही है। उधर, टीम 50 अन्य लोगों से भी पूछताछ करेगी। दरअसल, इन सभी के नाम से करोड़ों रुपये का नकदी लेन-देन का साक्ष्य मिला है। ऐसी स्थिति में टीम यह पता करने में जुटी है कि ऐसे लोगों की आमदनी का जरिया क्या है।

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होटल में पकड़ा गया समस्तीपुर का व्यवसायी, 15 लाख बरामद

आयकर विभाग, पटना की इन्वेस्टिगेशन यूनिट ने दरभंगा के अशोक कैटल फीड (पशु आहार) के समूह के 14 ठिकानों के अतिरिक्त समस्तीपुर जिले में पोल्ट्री व्यवसायी प्रकाश अनुपम उर्फ दिलीप साह के तीन जगहों पर दूसरे दिन भी छापेमारी की।

इसमें समस्तीपुर के ताजपुर रोड के धर्मपुर मोहल्ला और कोठिया गांव सहित पटना स्थित सीए के घर पर मंगलवार की देर शाम तक छापेमारी जारी रही। बताया गया है कि सोमवार को छापेमारी दौरान व्यवसायी प्रकाश अनुपम उर्फ दिलीप साह टीम को चकमा देकर फरार हो गया था।

उसे मंगलवार को तकनीकी सेल की मदद से टीम ने समस्तीपुर शहर के एक होटल से पकड़ लिया। इसके बाद उससे काफी देर तक पूछताछ की गई। टीम ने उसके समस्तीपुर के दोनों ठिकानों से 15 लाख रुपये नकदी बरामद की है। साथ ही कई कच्चे कागजात को जब्त किया गया है।

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मुर्गी आहार सहित लेयर फार्मिंग का कारोबार करने वाले व्यवसायी प्रकाश अनुपम उर्फ दिलीप साह के पास लेन-देन का कोई वैधानिक कागजात नहीं मिला है। पूरे कारोबार को मौखिक रूप से चलाने का साक्ष्य मिला है।

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