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खेती का तरीका बदल मालामाल हो रहे मुजफ्फरपुर के किसान, मखाना व मशरूम की आधुनिक फार्मिंग कर लाखों कमा रहीं महिलाएं

खेती को घाटे का सौदा मानने वालों के लिए जिले के कई किसान नजीर हैं। जिले के हजारों किसानों ने खेती के परंपरागत तरीकों को छोड़कर नए तरकीबों को अपनाया है। नई तकनीक और ज्ञान का उपयोग कर खेतों में पसीना बहाया तो उनके लिए खेती मुनाफे का सौदा बन गया। आज सभी व्यावसायिक खेती से अच्छी आमदनी कर रहे हैं।

By Mrityunjay Bhardwaj Edited By: Mohit Tripathi Updated: Sat, 23 Dec 2023 06:45 PM (IST)
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मखाना व मशरूम की आधुनिक फार्मिंग कर लाखों कमा रहीं महिलाएं।
जागरण संवाददाता, दरभंगा। खेती को घाटे का सौदा मानने वालों के लिए जिले के कई किसान नजीर हैं। जिले के हजारों किसानों ने खेती के परंपरागत तरीकों को छोड़कर नए तरकीबों को अपनाया है। नई तकनीक और ज्ञान का उपयोग कर खेतों में पसीना बहाया तो उनके लिए खेती मुनाफे का सौदा बन गया।

आज सभी व्यावसायिक खेती से अच्छी आमदनी कर रहे हैं। जिन खेतों में हाड़तोड़ मेहनत के बाद भी उनके लिए लागत निकालना मुश्किल होता था अब वहीं से कई गुना आमदनी हो रही है।

कोई बागवानी की खेती कर लाभ कमा रहा है तो कोई मखाना, मशरूम, पोली हाउस में शिमला मिर्च आदि की खेती को तरक्की का जरिया बनाया है। इन किसानों का कहना है कि मुनाफे के लिए बस तरीका बदलना होगा। फिर अच्छी आमदनी खेतों से मिलेगी।

2010 से मशरूम की खेती कर रहीं पुष्पा झा

शहरी क्षेत्र के बलभद्रपुर मोहल्ले की निवासी पुष्पा झा वर्ष 2010 से मशरूम की खेती कर रहीं हैं। वह प्रतिदिन दस किलो मशरूम का उत्पादन करती है। इन्हें वह 100 से 150 रुपये प्रति किलो की दर से बेचती है। उन्होंने बताया कि प्रत्येक दिन एक से दो हजार रुपये तक कमा लेती है।

आत्मनिर्भरता की कहानी लिख रही अर्चना कुमारी

इसी प्रकार से बेनीपुर प्रखंड के पोहद्दी गांव के अर्चना कुमारी आत्मनिर्भर बनी है। कोरोना महामारी के कारण वर्ष 2020 में जब देशभर में लॉकडाउन लगा, तब वह परदेस से गांव आ गई।

कृषि विभाग की मदद से महिला खाद्य समूह बनाकर एक किसान उत्पाद कंपनी बनाई। इसमें कंपनी और सहकारी संगठन, दोनों के गुण है।

अर्चना ने मखाना बेनीपुर फूड किसान प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड से कंपनी का फरवरी 2022 में रजिस्ट्रेशन कराया।

नेफेड की मदद से कुल चालीस एकड़ में मखाना की खेती कर रही हैं। इससे लगभग 335 क्विंटल गुर्री और 135 क्विंटल लावा बड़ा दाना का उत्पादन करती हैं।

इनके एफपीसी से 153 से अधिक सदस्य जुड़े हैं। वर्तमान वर्ष में मखाना के कारोबार से उनका टर्नओवर एक करोड़ 25 लाख रुपये का है।

तरबूज की खेती से असदुल्लाह ने बदली अपनी तकदीर

 अलीनगर प्रखंड के मो. हसनैन ने पाली हाउस बनाकर एक एकड़ में शिमला मिर्च और खीरा की खेती करते हैं। वहीं, केवटी प्रखंड के बाबू सलीमपुर गांव के रहने वाले प्रगतिशील किसान असदुल्लाह रहमान वर्षों तक धान-गेहूं की परंपरागत खेती ही करते रहे हैं।

उनके लिए इससे मुनाफा पाना मुश्किल होता जा रहा था। तरीका बदलते हुए उन्होंने ताईबानी तरबूज की वैज्ञानिक खेती कर अपनी किस्मत बदल ली। लगभग दो एकड़ में ताइबानी रबूज की खेती से आय इतनी बढ़ी की अब वह दूसरे किसानों की मदद करने लगे हैं। इस तरह से अब तेजी किसान नई तकनीक से खेती कर आत्मनिर्भर बनने लगे हैं।

क्या कहते हैं अधिकारी ?

परंपरागत खेती से हटकर किसान खेती करें तो निश्चित तौर पर उनकी आमदनी में वृद्धि होगी। विभाग की - तरफ से अनुदान पर संसाधन भी मुहैया कराए जाते हैं। इससे कई किसान आज लाखों की आमदनी कर रहे हैं।- नीरज कुमार झा, जिला उद्यान पदाधिकारी, दरभंगा।

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