'बड़े लोग हैं..' : राहुल गांधी की 'भारत जोड़ो यात्रा' पर बोले पीके, कहा- सच्चा भक्त कोई समझौता नहीं करता
बिहार में पदयात्रा कर रहे प्रशांत किशोर ने शनिवार को मोतिहारी में मीडिया से संवाद किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि हमारा जन सुराज अभियान महात्मा गांधी वाली कांग्रेस को पुनर्जीवित करने का अभियान है। इसमें जनता तय करेगी कि हमें पार्टी बनानी चाहिए या नहीं।
By Jagran NewsEdited By: Yogesh SahuUpdated: Sun, 08 Jan 2023 12:44 PM (IST)
पीटीआई/संस, मोतिहारी (बिहार)। राजनीतिक रणनीतिकार से राजनेता बने प्रशांत किशोर ने शनिवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी की 'भारत जोड़ो यात्रा' पर व्यंग्यात्मक बयान दिया है। अपने गृह राज्य बिहार में पदयात्रा कर रहे प्रशांत किशोर से पत्रकारों ने मोतिहारी में सवाल किए तो उन्होंने अपने स्वयं के प्रयास और गांधी के मैराथन मार्च का उल्लेख करते हुए दोनों के बीच समानता होने की बात कही।
किशोर ने कहा कि बड़े लोग हैं (वे बड़े लोग हैं)। उनकी तुलना में, मैं कुछ भी नहीं हूं। बता दें कि प्रशांत किशोर एक समय कांग्रेस पार्टी में शामिल होकर उसे फिर से राष्ट्रीय फलक पर उभारना चाहते थे, परंतु उनकी यह मंशा अधूरी रह गई। दरअसल, कांग्रेस में शामिल होने को लेकर पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से बात करने और उनके अन्य तमाम प्रयास सफल नहीं हो सके थे।
किशोर ने टिप्पणी करते हुए कहा कि राहुल गांधी 3,500 किलोमीटर लंबी यात्रा पर हैं। मेरे लिए किलोमीटर मायने नहीं रखता। मैं अक्टूबर से बिना रुके चल रहा हूं। उन्होंने चुटकी लेने के अंदाज में कहा कि लेकिन मैं इसे अपनी शारीरिक फिटनेस के सबूत के रूप में नहीं दिखाना चाहता।
बिहार में मुख्यधारा के राजनीतिज्ञों ने किशोर को एक 'अवसरवादी' करार दिया है, वहीं प्रशांत ने जोर देकर कहा कि उन्होंने अपने अभियान में 'इरादे की पवित्रता' को बरकरार रखा है। उन्होंने शनिवार को कहा कि यह छठ (त्योहार) की तपस्या की तरह है। कोई पानी का घूंट ले सकता है। लेकिन सच्चे भक्त ऐसा कोई समझौता नहीं करते हैं और 36 घंटे का उपवास पूरा करते हैं।
किशोर ने स्पष्ट रूप से कांग्रेस नेता पर कटाक्ष करते हुए कहा कि नए साल के दौरान मेरे लिए कोई ब्रेक या मेरे घर जाने के लिए समय नहीं। बता दें कि 2014 के लोकसभा चुनावों में नरेंद्र मोदी के शानदार सफल अभियान को संभालने के बाद किशोर पहली बार सुर्खियों में आए थे। उन्हें पश्चिम बंगाल में 2021 के विधानसभा चुनावों के बाद एक पेशेवर रणनीतिकार के रूप जाना जाने लगा, जब उन्होंने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को सबसे बड़ी जीत दर्ज करने में मदद की थी।
इस बीच, IPAC संस्थापक ने नीतीश कुमार, उद्धव ठाकरे, एमके स्टालिन, अरविंद केजरीवाल, अमरिंदर सिंह, जगन मोहन रेड्डी और के चंद्रशेखर राव जैसे विविध राजनीतिक नेताओं के साथ उनकी पार्टी की जीत के लिए चुनावी अभियान तैयार किए और चलाए।
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