बापूधाम मोतिहारी स्टेशन: सौ साल पहले यहां आए थे गांधी, यहां हर कदम पर उनके संदेश
चंपारण सत्याग्रह शताब्दी वर्ष में बापूधाम मोतिहारी स्टेशन नए लुक में नजर आ रहा है। यहां कदम-कदम पर गांधी ही नजर आ रहे हैं।
पूर्वी चंपारण [संजय उपाध्याय]। बापूधाम मोतिहारी स्टेशन। इस परिसर में प्रवेश करने के साथ बाएं हाथ में बजरंगबली विराजमान हैं। उनके बगल साईं मंदिर। स्टेशन के प्रवेश द्वार की खूबसूरती बता रही है कि यहां कुछ नया हो रहा है। जैसे ही कदम आगे बढ़े, टिकट खिड़की के पास दीवार पर गांधीजी साफ नजर आए। यहां लगी उनकी तस्वीर बता रही है कि वे ट्रेन से मोतिहारी कब और कैसे उतरे थे। नजर पीछे की दीवार पर गई तो उस पर बापू अपने साथियों और उन ग्रामीणों के बीच नजर आ रहे हैं, जिनपर सौ साल पहले अंग्रेजी कहर बरपा था और वे उन्हें गुलामी से मुक्ति दिलाने पहुंचे थे। यह बापूधाम मोतिहारी रेलवे स्टेशन है। यहां सौ साल पहले बापू के कदम पड़े थे। यहां हर कदम पर गांधी का संदेश दिख रहा है।
स्टेशन पर चिलचिलाती धूप में ट्रेन के इंतजार में बैठे यात्रियों को इस बात का गुमान है कि अब चंपारण बदल रहा है। यहीं पर नरकटियागंज की संगीता अपने मासूम बच्चे को समझा रही थीं, 'बेटा खाकर यहां गंदा नहीं करना। वहां डिब्बे में डालना।' हम पहुंचे तो महिला ने समझाया, 'बाबू! देखी ना, इ मोतिहारी स्टेशन पहले से बदल गइल बा। हर तरफ सफाई होता। जाके देखीं सीढ़ी से लेकर दीवार तक सफाई के संदेश लिखल बा। गांधी के संदेश लिखल बा।' प्लेटफार्म नंबर एक पर बापू की याद में आर्ट गैलरी तैयार है।
बापू 15 अप्रैल 1917 को जब मोतिहारी स्टेशन पर उतरे थे तो यह स्टेशन मात्र एक कमरे का था। गांधीवादी बताते हैं कि उस जमाने में एक ही कमरे में टिकट काउंटर, स्टेशन मास्टर कक्ष और सिग्नल का काम होता था। आज जब सत्याग्रह आंदोलन के सौ साल पूरे हो रहे हैं तो इसकी भव्यता ऐसी हो चली है कि बिहार में यह स्टेशन खूबसूरती और स्वच्छता में नजीर हो सकता है।
पूरी तरह नए लुक में स्टेशन
शताब्दी वर्ष में बापूधाम मोतिहारी स्टेशन नए लुक में नजर आ रहा है। यहां प्लेटफार्म नंबर एक के दो प्रवेश द्वार व प्लेटफार्म नंबर-दो के एक प्रवेश द्वार को सजाया जा रहा है। प्रवेश द्वार पर गांधीजी की एक प्रतिमा लगाई जा रही है। लिफ्ट व एक्सक्लेटर लगाया जा रहा है। आर्ट गैलरी बन रही है।
गांधी संग्रहालय समिति (पूर्वी चंपारण) के पूर्व सचिव चंद्रभूषण पांडेय कहते हैं कि बापूधाम मोतिहारी स्टेशन देश का चुनिंदा स्टेशन बनने की ओर है। यहां की भव्यता देखते बनेगी। लेकिन, जरूरी है कि आम आदमी उस भव्यता को कायम रखने का संकल्प ले। तभी सत्याग्रह के 100वें साल में हम स्वच्छता के सपने को साकार कर पाएंगे।