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    Bihar Election 2025: बिहार में दिलचस्प हुआ चुनाव, BJP विधायक के भाई पर ओवैसी ने लगाया दांव

    Updated: Thu, 16 Oct 2025 05:18 PM (IST)

    बिहार में 2025 के विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक माहौल गरमा गया है। असदुद्दीन ओवैसी ने बीजेपी विधायक के भाई को अपनी पार्टी में शामिल कर चुनाव में उतारने का फैसला किया है। ओवैसी के इस कदम से बिहार की राजनीति में नए समीकरण बनने की संभावना है। यह देखना दिलचस्प होगा कि 'बिहार इलेक्शन 2025' में ओवैसी का यह दांव कितना सफल होता है।

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    एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी।

    शशिरंजन सिंह, पकड़ीदयाल। बिहार सरकार में मंत्री रहे शिवहर के पूर्व सांसद स्व. सीताराम सिंह के दो पुत्रों ने इस बार के विधानसभा चुनाव में दो धाराओं की राजनीति कर जिले के दो विधानसभा मधुबन व ढाका में चुनावी जंग को दिलचस्प बना दिया है। बड़े पुत्र ई. राणा रणधीर सिंह मधुबन से भारतीय जनता पार्टी के विधायक हैं। इस बार भी वो इसी सीट पर भाजपा के ही टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं।

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    लगातार दो बार चुनाव जीत चुके रणधीर तीसरी बार चुनावी मैदान में हैं। रणधीर की भाजपा में मजबूत पकड़ है। वो राज्य सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं।

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    राणा रंजीत सिंह। फाइल फोटो

    ऐसे में एआईएमआईएम के प्रमुख ओवैसी ने उनके छोटे भाई को अपने पाले में लेकर ढाका से भाजपा के खिलाफ उतारकर दो विधानसभा क्षेत्रों की लड़ाई को दिलचस्प बना दिया है, जबकि उनके छोटे भाई राणा रंजीत सिंह पहली बार ढाका विधान सभा से असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के टिकट पर चुनाव लड़ रहे है।

    इन्होंने अपना नामांकन कर दिया है। एआईएमआईएम के टिकट पर चुनावी अखाड़े में उतर चुके राणा रंजीत गुरुवार को नामांकन दाखिल करने पहुंचे तो माथे पर तिलक, सिर पर सफेद टोपी और गले में लाल गमछा पहनकर सबको साथ लेकर चलने की बात कही।

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    ई. राणा रंधीर सिंह, भाजपा विधायक, मधुबन। फाइल फोटो

    पिछले लोकसभा चुनाव में राणा रंजीत सिंह ने शिवहर संसदीय सीट से एआईएमआईएम उम्मीदवार के रूप में अपनी किस्मत आजमाई थी। हालांकि उन्हें सफलता नहीं मिली। उस बार वो एनडीए की ओर से जदयू की प्रत्याशी लवली आनंद से लड़े थे। इस बार ढाका में भाजपा के विधायक पवन जायसवाल के सामने वो खड़े हैं।

    लोकसभा चुनाव के वक्त अलग हुई थी राजनीति की राह

    राजनीति के जानकार बताते हैं कि एक दौर में दोनों भाई एक-दूसरे के साथ राजनीतिक मंच साझा करते थे। पिछले लोकसभा चुनाव में स्थिति बदल गई। राणा रणधीर सिंह ने जदयू उम्मीदवार लवली आनंद के समर्थन में खुलकर प्रचार किया था, जबकि अपने छोटे भाई के पक्ष में प्रचार से दूरी बना ली थी। इसके बाद से दोनों भाइयों की राजनीतिक राह अलग हो गई।

    पिता से विरासत में मिली है राजनीति

    बता दें कि मधुबन के बंजरिया गांव निवासी स्वर्गीय सीताराम सिंह राष्ट्रीय जनता दल के कद्दावर नेता रहे। 1985 से 2004 तक लगातार मधुबन विधानसभा के विधायक रहे। बिहार सरकार में कई बार मंत्री पद संभाला। वर्ष 2004 में शिवहर लोकसभा सीट से चुनाव जीतकर सांसद बने।

    उनके निधन के बाद बड़े पुत्र ई. राणा रणधीर ने आगे चलकर भाजपा का दामन थाम लिया और विधायक बने। आगे चलकर छोटे पुत्र ने भी राजनीति की राह चुनी और भाई की राजनीति से अलग अपनी अलग राजनीति कर रहे हैं।