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जागरण विशेष: मोतिहारी में युवाओं की अनोखी मुहिम, बेसहारा पशुओं को अपने पैसों से लगा रहे रिफ्लेक्टिव कॉलर

Motihari News पूर्वी चंपारण के जिला मुख्यालय मोतिहारी शहर के युवा विभिन्न सड़कों पर घूमने वाले पशुओं को रिफ्लेक्टिव कॉलर लगा रहे हैं। इसकी शुरुआत स्नातक के छात्र अंजनी कुमार के नेतृत्व में दिसंबर 2022 से हुई है।

By Dhiraj Kumar SanuEdited By: Prateek JainUpdated: Fri, 27 Jan 2023 05:52 PM (IST)
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पशु को रिफ्लेक्टिव कॉलर लगाते मुहिम में शामिल युवा
मोतिहारी, धीरज श्रीवास्तव ‘शानू’: पूर्वी चंपारण के जिला मुख्यालय मोतिहारी शहर के युवा विभिन्न सड़कों पर घूमने वाले पशुओं को रिफ्लेक्टिव कॉलर लगा रहे हैं। इसकी शुरुआत स्नातक के छात्र अंजनी कुमार के नेतृत्व में दिसंबर 2022 से हुई है। करीब 200 पशुओं की गर्दन में वाटर प्रूफ रिफ्लेक्टिव कॉलर लगाए जा चुके हैं। इनमें गाय, सांड व कुत्ते आदि शामिल हैं। रात के अंधेरे में वाहनों की रोशनी पड़ते ही पशुओं के गले में लगे ये कॉलर चमकते हैं। इसका उद्देश्य पशुओं की रक्षा के साथ सवारी की सुरक्षा भी है।

कॉलर चमकने के साथ वाहन चालक सतर्क हो जाते हैं और दुर्घटना की संभावना कम हो जाती है। अंजनी की मुहिम से करीब दो दर्जन युवा जुड़े हैं और सभी स्नातक के छात्र हैं। एक कॉलर पर करीब 40 रुपये खर्च आता है, जिसमें पैसे की व्यवस्था युवा अपनी पॉकेट मनी से करते हैं। युवा रिफ्लेक्टर भी खुद ही बनाते हैं। इसे बनाने के लिए प्लास्टिक का फीता, रिफ्लेक्टिव टेप, प्लास्टिक के बकल्स आदि दिल्ली से ऑनलाइन मंगाते हैं। इनका दावा है कि जानवरों की वजह से होने हादसे में कमी आई है।

आंख के सामने देखा गाय का दर्द तो शुरू किया अभियान

मुहिम का नेतृत्व कर रहे लक्ष्मी नारायण दुबे महाविद्यालय के स्नातक के छात्र अंजनी बताते हैं कि इंटर की पढ़ाई के दौरान एक दिन ट्यूशन के लिए शहर के चांदमारी जा रहा था। इसी बीच चांदमारी चौक के समीप मेरी आंखों के सामने ही चारपहिया वाहन की ठोकर से एक गाय बुरी तरह घायल हो गई। जख्मी गाय की तड़पन ने मुझे काफी उद्वेलित किया। इसके बाद काफी दिनों तक चिंतन-मनन किया फिर रिफ्लेक्टिव कॉलर वाला आइडिया ढूंढा। इसके बाद दिसंबर -2022 से अपने साथियों के साथ इस मुहिम को चला रहे हैं। मेरे इस कार्य में राज गौरव सिन्हा, आयुष कुमार, अनुराग सिन्हा, प्रभात कुमार, अनंत राज, अनुज वर्मा, निखिल कुमार, अमन कुमार, शिवम कुमार सहित दर्जनों युवाओं का सहयोग मिल रहा है।

युवाओं की यह मुहिम आम लोगों के साथ ही बेसहारा पशुओं के लिए भी कारगर है। प्रशासन को भी इस मुहिम में सहभागी बनना चाहिए, ताकि इस काम को वृहत पैमाने पर किया जा सके। - सुशील कुमार, केबीसी सीजन पांच के विजेता सह समाजसेवी

युवाओं की इस मुहिम से काफी हद तक फर्क पड़ा है। पहले की अपेक्षा अब शहर में पशुओं के दुर्घटना में घायल होने के मामलों में भी कमी आई है। - डा प्रवीण कुमार सिंह, जिला पशुपालन पदाधिकारी।

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