बेहतर फसल उत्पादन के लिए जिले के किसान अब ड्रोन का उपयोग कर सकेंगे। आनेवाले दिनों में खेती-किसानी में ड्रोन दोस्त की भूमिका में दिखने लगेगा। खेती में ड्रोन के उपयोग व लाभ से किसानों को अवगत कराने का काम शुरू कर दिया गया है। अन्य प्रखंडों के किसानों को दूसरी कड़ी में ड्रोन चलाने के तौर तरीकों से अवगत कराया जाएगा।
जागरण संवाददाता, मोतिहारी। बेहतर फसल उत्पादन के लिए जिले के किसान अब ड्रोन का उपयोग कर सकेंगे। आनेवाले दिनों में खेती-किसानी में ड्रोन
दोस्त
की भूमिका में दिखने लगेगा। खेती में ड्रोन के उपयोग व लाभ से किसानों को अवगत कराने का काम शुरू कर दिया गया है।
इसके प्रथम चरण में जिले के रामगढ़वा व तेतरिया प्रखंड का चयन कर लगभग 15 एकड़ की खेती पर ड्रोन के इस्तेमाल के तौर-तरिके किसानों से साझा किए जा रहे है। अन्य प्रखंडों के किसानों को दूसरी कड़ी में ड्रोन चलाने के तौर तरीकों से अवगत कराया जाएगा।
जल्द ही गन्ना समेत अन्य फसलों के लिए होगा उपयोग
कृषि विज्ञान केंद्र पीपराकोठी की वैज्ञानिक पौधा सरंक्षण डा. गायत्री कुमारी ने बताया कि डेमो के दौरान किसानों को ड्रोन की मदद से उर्वरकों व कीटनाशकों के छिड़काव, फसल स्वास्थ्य की निगरानी व बोआई में मदद लेने की जानकारी दी जा सकती है।
बताया कि अभी किसानों को गेहूं, सरसों व मटर की फसल पर उर्वरक व कीटनाशक के छिड़काव की जानकारी दी जा रही है। आने वाले दिनों में इसका उपयोग गन्ना सहित अन्य फसलों पर भी किया जाएगा।
तीन फसलों पर किसानों को दिया जा रहा डेमो
जिले के रामगढ़वा व तेतरिया प्रखंड में किसानों के बीच सरसो, मटर व गेहूं के फसल की निगरानी के साथ उर्वरक व कीटनाशक के छिड़काव का डेमो किसानों के बीच दिया जा रहा है।
10-12 मिनट में एक एकड़ खेत में होगा छिड़काव
विज्ञानी डा. पाढ़ी ने बताया कि 10 से 12 मिनट में ड्रोन की मदद से किसान एक एकड़ में लगी फसल की बोआई, उर्वरक व कीटनाशक का छिड़काव कर सकेंगे। इससे समय व श्रम की बचत होगी और फसल उत्पादन में किसानों की लागत कम होगी।
बताया कि ड्रोन के माध्यम से फसलों पर कीटनाशकों का छिड़काव कर किसान हानिकारक रसायनों के संपर्क में नहीं आएंगे। आरजीबी सेंसर और मल्टीस्पेक्ट्रल सेंसर वाले ड्रोन समस्याग्रस्त क्षेत्रों की सटीक पहचान और उपचार कर सकते हैं।
अन्य तरीकों की तुलना में ड्रोन से हवाई छिड़काव पांच गुना तेज होता है।
आसान होगी फसल स्वास्थ्य की निगरानी
किसानों को फसलों में बैक्टीरिया आदि के शुरुआती जानकारी का पता लगाना मुश्किल हो जाता था। जब बीमारी फैलने लगती है तब किसान उसके उपचार के लिए काम करते थे।
अब कृषि ड्रोन से यह आसान हो गया है। ड्रोन यहां तक देख सकता है कि खेत के किस भाग के फसल में कीट का प्रभाव है। किसान यह देख सकते है कि कौन से पौधे अलग-अलग मात्रा में ग्रीन लाइट प्रदर्शित करते हैं। यह डाटा फसल स्वास्थ्य को ट्रैक करने के लिए मल्टीस्पेक्ट्रल इमेज बनाने में मदद करता है।
इसके बाद लगातार निगरानी से फसलों को बचाने में मदद मिल सकेगी।
25 किलोग्राम होता है ड्रोन का औसत वजन
कृषि कार्य में उपयोग किए जाने वाले ड्रोन की औसत वजन भार के साथ 25 किलोग्राम हो जाता है। हालांकि बिना भार के इसका वजन 15 किलोग्राम के करीब होता है।
एक बार में ड्रोन दस लीटर उर्वरक या कीटनाशक का छिड़काव कर सकता है। विज्ञानी डा. पाढ़ी ने बताया कि फसलों की निगरानी एक चार्ज में ड्रोन 30 से 35 मिनट कर सकता है, लेकिन छिड़काव व बोआई के दौरान भार बढ़ने से ड्रोन 15 मिनट में एक एकड़ खेता की बुआई व फसल पर छिड़काव कर सकता है।
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