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Motihari News: शहर की हवा में जहर घोल रही अव्यवस्था, कैसे कचरा फैला रहा प्रदूषण... जानकर होश उड़ जाएंगे

Motihari Pollution मोतिहारी की हवा पिछले कुछ दिनों से काफी खराब हो गई है। क्या आपको पता है कि प्रदूषण की वजह कचरा भी है? शहर में कचरा निस्तारण प्रणाली फेल है। सड़कें कूड़ेदान बनी हैं। कचरा वाहनों के पहिये तले दबकर छोटे कण के रूप में हवा में जाकर मिल रहा है। नतीजतन अव्यवस्था के कारण शहर की हवा में जहर घुल रहा है।

By Sanjay PariharEdited By: Aysha SheikhUpdated: Tue, 28 Nov 2023 01:00 PM (IST)
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Motihari News: शहर की हवा में जहर घोल रही अव्यवस्था, कैसे कचरा फैला रहा प्रदूषण... जानकर होश उड़ जाएंगे

संजय परिहार, मोतिहारी। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से जारी वायु गुणवत्ता सूचकांक के मुताबिक मोतिहारी की हवा ''खराब'' और ''बेहद खराब'' स्थिति में रहती है। यह इसलिए कि शहर में कचरा निस्तारण प्रणाली फेल है। सड़कें कूड़ेदान बनी हैं।

सड़क किनारे जमा कचरा वाहनों के पहिये तले दबकर छोटे कण के रूप में हवा में मिलकर उसे विषाक्त बना रहा है। नगर निगम की ओर से प्रदूषण नियंत्रित करने के लिए व्यवस्था की बात तो दूर 46 वार्डों से निकलने वाले कचरे के निस्तारण के लिए लगी कचरा प्रसंस्करण इकाई की क्षमता भी कम है।

नगर निगम के आंकड़ों के मुताबिक शहर के 46 वार्डों से प्रतिदिन 107 टन कचरा निकलता है। इसके निस्तारण के लिए निगम की ओर लगी कचरा प्रसंस्करण इकाई की क्षमता (20टन) कम है। शहर की सड़कों को कचरा से मुक्त करनेवाली व्यवस्था ही नियोजित तरीके से काम कर रही है। नतीजतन अव्यवस्था के कारण शहर की हवा में जहर घुल रहा है।

कचरा डंप करने की समुचित व्यवस्था नहीं

निगम के पास कचरा डंप करने की समुचित व्यवस्था नहीं रहने के कारण शहर से निकलने वाले कचरे को राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-28 ए के किनारे छतौनी से बेतिया की राह में खाली जमीन में फेंका जा रहा है।

इसके अतिरिक्त बीच शहर में को-आपरेटिव बैंक के सामने, मधुबन छावनी चौक, चांदमारी चौक व उमग पांडेय कालेज के सामने की सड़क के अलावा कई अन्य जगहों पर अघोषित कचरा प्वाइंट बनाया गया है।

यहां लोग घर व होटल आदि का कचरा जमा करते हैं। हद तो यह कि कचरा उठाने का समय भी पीक आवर में रखा गया है। शहर में दो शिफ्ट में कचरा का उठाव होता है। एक सुबह छह बजे से 10 बजे तक डोर-टू-डोर कचरा का उठाव किया जाता है।

जब डोर-टू-डोर के कर्मी कचरा उठाव कर शहर में बने कचरा प्वाइंट पर रख देते हैं तो सुबह 10 बजे से दोपहर एक बजे तक निगम के कर्मी कुछ कचरा प्रोसेसिंग प्लांट में रखते हैं। शेष नेशनल हाइवे के किनारे गड्ढों में डाल देते हैं।

प्रतिमाह सफाई पर करीब 85 लाख का खर्च

निगम सूत्रों के मुताबिक शहर को स्वच्छ रखने के लिए निगम प्रति माह करीब 85 लाख रुपये खर्च करता है। केवल सफाई एजेंसी (एनजीओ) को प्रतिमाह 45 लाख का भुगतान होता है। वहीं नगर निगम अपने सफाई व कर्मचारियों पर प्रतिमाह तकरीबन 35 से 40 लाख रुपये खर्च करती है। वाहन के ईंधन पर पांच से छह लाख रुपये खर्च किए जाते हैं। बावजूद इसके शहर की हवा में जहर घुल रहा है।

वायु गुणवत्ता सूचकांक का खराब होना चिंता का विषय है। इस दिशा में काम किया जा रहा है। इसे और प्रभावी बनाने के लिए वरीय अधिकारियों के साथ मंत्रणा कर योजना बनाकर बेहतर काम किए जाएंगे। - अमित सहाय, नगर प्रबंधक, नगर निगम

सड़क किनारे का कचरा मानव जीवन को कर रहा प्रभावित 

शहर के चर्म रोग विशेषज्ञ सुबोध कुमार सिंह का कहना है कि शहर में सड़क के किनारे का कचरा कई तरह से मानव जीवन को प्रभावित करता है। कचरा के सड़ने के बाद उसमें से हानिकारक केमिकल निकलता है। इससे कि चमड़े की ऊपरी परत पर एग्जिमा या वायरल रोग हो सकता है।

कचरा सड़ने पर कार्बन डाइआक्साइड व कार्बन मोनोआक्साइड मिथेन गैस निकलता है। इस कारण संक्रामक बीमारी फैलने का खतरा बढ़ता है। वहीं कचरा जलाने पर शहर का एयर इंडेक्स खराब होता है। इससे सांस से संबंधित बीमारी होने का खतरा बना रहता है। जबकि कचरे में फेंके गए सड़े खाद्य पदार्थ के खाने से बेसहारा पशु बीमार होते हैं।

गीला कचरा से मच्छर का प्रकोप फैलता है। इस कारण चिकनगुनिया व डेंगू होने का खतरा बना रहता है। वहीं लंबे समय तक सड़क पर जमा कचरा आक्सीजन को हानिकारक नाइट्रोजन में बदल देता है, इसका मानव जीवन पर बहुत ही खराब प्रभाव होता है।

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