प्रदूषित हवा के बीच ध्वनि प्रदूषण ने बनाया बहरा, चिकित्सक की भी श्रवण शक्ति हो गई कमजोर; अब आम जनता तो भगवान भरोसे
noise pollution अभी तक बिहार में वायु प्रदूषण के प्रभाव से लोग परेशान थे। अब ध्वनि प्रदूषण के प्रभाव के मामले सामने आने लगे हैं। सदर अस्पताल के एक चिकित्सक को हाल ही में जब श्रवण शक्ति की कमी महसूस हुई तो वे चिकित्सक के पास पहुंचे। जांच में पता चला कि ध्वनि प्रदूषण के कारण उनकी श्रवण शक्ति में कमी आ गई है।
संवाद सहयोगी, मोतिहारी (पूर्वी चंपारण)। वायु प्रदूषण के कारण विभिन्न तरह के रोगों से कराह रहे शहर में अब ध्वनि प्रदूषण ने खतरनाक रूप ले लिया है। शहर के कई इलाकों में ध्वनि प्रदूषण का स्तर 65 डेसिबल से ज्यादा हो गया है। नतीजतन अब लोग अब ध्वनि प्रदूषण की चपेट में आकर बीमार होने लगे हैं।
बताते हैं कि किसी भी इलाके में निर्धारित सीमा से अधिक शोरगुल होने के कारण पैदा होनेवाले ध्वनि प्रदूषण का सीधा असर लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ता है। तेज धुन से बजने वाले डीजे, तेज हार्न, वाहनों का शोर और ईयर फोन लगाकर घंटों गाना या बात करने से सुनने की क्षमता प्रभावित होती है।
सामान्य रूप से 65 डेसिबल से ज्यादा का शोर कानों को नुकसान पहुंचाने लगता है। शहर के मीना बाजार, अस्पताल रोड, बलुआ सहित अधिकांश इलाकों में यह इस मानक से ज्यादा बताया जा रहा है। इस प्रदूषण के कारण सबसे ज्यादा परेशानी बच्चों व बुजुर्गों को होती है।
यह हाल तब है जब पहले से ही लोग वायु प्रदूषण के कारण सांस, साइनोसाइटिस और आंखों में जलन आदि बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। बढ़ते ध्वनि प्रदूषण के कारण अब लोगों के सुनने की क्षमता पर भी असर पड़ रहा है। वहीं शहर में रोज लगने वाले जाम के कारण भी इस समस्या को और बढ़ा रहा है।
चिकित्सक हो गए बीमार
सदर अस्पताल के एक चिकित्सक को हाल ही में जब श्रवण शक्ति की कमी महसूस हुई तो वे चिकित्सक के पास पहुंचे। जांच में पता चला कि ध्वनि प्रदूषण के कारण उनकी श्रवण शक्ति में कमी आ गई है। चिकित्सक की माने तो सदर अस्पताल ओपीडी ठीक अस्पताल रोड से लगी है। ऐसे में सड़क का शोर लगातार उनके कानों तक आते रहता है।
इससे अब उन्हें इस परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बताते हैं कि सदर अस्पताल सहित शहर के विभिन्न निजी अस्पतालों में ध्वनि प्रदूषण के कारण बीमार हुए लोगो की संख्या में काफी इजाफा हुआ है। खासकर बच्चों व बुजुर्गों में यह समस्या ज्यादा देखने को मिल रही है। सिर्फ सदर अस्पताल में पिछले तीन महीनों में ऐसे कम से कम चार दर्जन रोगियों का इलाज किया गया है।
मानसिक स्वास्थ्य को भी नुकसान
सदर अस्पताल की इएनटी विशेषज्ञ डॉ. तृप्ति कुमारी बताती हैं कि ध्वनि प्रदूषण से ना सिर्फ सुनने की क्षमता बाधित होती है वरन चिंता, बेचैनी, बातचीत करने में समस्या, बोलने में व्यवधान आदि समस्याएं भी आती हैं।
ध्वनि प्रदूषण रात के समय होने से सोने के समय व्यवधान होता है जिससे थकान, सिरदर्द, चिड़चिड़ापन, घबराहट, कमजोरी, ध्वनि की संवेदन शीलता में कमी आ जाती है। धीरे धीरे आदमी मानसिक रोग की चपेट में आ जाता है। जरूरी है कि शहर में ध्वनि प्रदूषण को कम करने को कारगर कदम उठाए जाएं।
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