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इतिहास के सुनहरे पन्नों की सैर कराते हैं बौद्ध धर्म से जुड़े ये स्थल, देखने आते हैं दुनियाभर से पर्यटक

चंपारण में बौद्ध धर्म से जुड़े कई ऐसे स्थल हैं जिसकी सैर आप कर सकते हैं। पूर्वी चंपारण के केसरिया प्रखंड मुख्यालय स्थित बौद्ध स्तूप 104 फीट ऊंचा है। इस स्तूप का आधार करीब 1400 वर्ग फीट में फैला है। चीनी यात्री फाह्यान अपनी यात्रा के दौरान यहां आया था।

By Jagran NewsEdited By: Sonu GuptaUpdated: Fri, 05 May 2023 06:24 PM (IST)
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पूर्वी चंपारण के केसरिया प्रखंड मुख्यालय स्थित बौद्ध स्तूप। फोटो- जागरण।
संजय उपाध्याय, पूर्वी चंपारण। सत्य और अहिंसा की धरती बिहार के चंपारण को सिर्फ महात्मा गांधी से नहीं पहचाना जाता। यहां बौद्ध धर्म से जुड़े कई ऐसे स्थल हैं, जिसकी सैर आप कर सकते हैं। इसके गौरवशाली इतिहास से रूबरू हो सकते हैं। सबसे ऊंचे बौद्ध स्तूप केसरिया के अलावा इससे कुछ दूर कोल्हुआ, लौरिया व रमपुरवा के अशोक स्तंभ और नंदनगढ़ का स्तूप घूमने की अच्छी जगह हैं।

1400 वर्ग फीट में फैला है 104 फीट ऊंचा बौद्ध स्तूप का आधार

पूर्वी चंपारण के केसरिया प्रखंड मुख्यालय स्थित बौद्ध स्तूप 104 फीट ऊंचा है। इस स्तूप का आधार करीब 1400 वर्ग फीट में फैला है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) ने इस परिसर की करीब 23.5 एकड़ जमीन को संरक्षित किया है। एएसआइ इस स्थान पर उत्खनन करा रहा है। अभी यहां के बहुत से हिस्से की खोदाई नहीं हो पाई है।

दुनिया का सबसे ऊंचा है स्तूप

लक्ष्मी नारायण दुबे महाविद्यालय, मोतिहारी में इतिहास विभाग के अध्यक्ष डा. सुबोध कुमार बताते हैं कि वर्ष 1998 में एएसआइ पटना अंचल के तत्कालीन अधीक्षण पुरातत्वविद् मोहम्मद केके की देखरेख में शुरू हुए उत्खनन में यह स्पष्ट हुआ कि यह दुनिया का सबसे ऊंचा स्तूप है।

भगवान बुद्ध किए थे यहां विश्राम

चीनी यात्री फाह्यान अपनी यात्रा के दौरान यहां आया था। भगवान बुद्ध अपने महापरिनिर्वाण से ठीक पहले वैशाली से कुशीनगर जाते समय एक रात यहां विश्राम किए थे। वैशाली से साथ आए भिक्षुओं को अपना भिक्षा पात्र देकर कुशीनगर के लिए प्रस्थान कर गए थे। इसकी याद में सम्राट अशोक ने यहां स्तूप का निर्माण करवाया था। सर्वेक्षण से पहले इस स्थल को प्राचीनकाल का शिव मंदिर माना जाता था। स्थानीय लोग इसे राजा वेन का गढ़ या देउरा के नाम से जानते थे।

जनकपुर से विवाह के बाद लौटते समय भगवान राम ने की थी सोमेश्वरनाथ मंदिर में पूजा

केसरिया बौद्ध स्तूप से करीब एक किलोमीटर दूर थाई मंदिर है। वहीं दो किलोमीटर की दूरी पर महादेव का प्राचीन केशरनाथ मंदिर है। वर्ष 1970 में नहर की खोदाई के दौरान मंदिर के भग्नावशेष के साथ शिवलिंग सामने आया था। स्तूप से करीब 40 किलोमीटर दूर अरेराज के सोमेश्वरनाथ मंदिर को बिहार का काशी कहा जाता है। कहा जाता है कि जनकपुर से विवाह के बाद लौटते समय मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने इस मंदिर में पूजा की थी।

मुजफ्फरपुर में बौद्ध धर्म से संबंधित मिले हैं कई लेख

केसरिया से करीब 60 किमी दूर मुजफ्फरपुर के सरैया प्रखंड के कोल्हुआ में प्रसिद्ध बौद्ध स्थल है। यहां अशोक स्तंभ है। यहां खोदाई से बौद्ध धर्म से संबंधित कई लेख मिले हैं। स्तंभ लाल बलुआ पत्थर का बना है। यहां से तीन किलोमीटर दूर बौद्ध स्तूप है। यहां एक छोटा सा सरोवर है।

भारत दर्शन कराती ‘चलो इंडिया’ पुस्तक

कई पर्यटन स्थल देश में हैं जो अति मनोरम और आस्था व विरासत को सहेजे होने के बावजूद कम लोकप्रिय हैं। इसी प्रकार के स्थलों के साथ पूरे देश के प्रमुख पर्यटन स्थलों की जानकारी ‘चलो इंडिया’ काफी टेबल बुक में सचित्र उपलब्ध है जिसे हाल ही में लांच किया गया है।

कई पर्यटन स्थलों के बारे में दी गई है विस्तार से जानकारी

पुस्तक की संकल्पना करने वाले एडसिंडिकेट के सीईओ यूडी आचार्य के अनुसार चलो इंडिया वेबसाइट पर भी मध्य प्रदेश के बटेश्वर मंदिर और अमरकंटक, छत्तीसगढ़ में शिखर पर विराजे ढोलकल गणेश, उत्तर प्रदेश का समृद्ध पीलीभीत टाइगर रिजर्व और चूका रिसोर्ट जैसे अनगिनत पर्यटन स्थलों की जानकारी उपलब्ध है। साथ ही ख्यात पर्यटन स्थलों के बारे में भी विस्तार से सूचना दी गई है।

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