गाड़ी के किराया में मानों लग गई है आग
बाराचट्टी। वाहनों पर सवार होकर दिल्ली से कोलकाता की सफर हो या फिर बाराचटटी प्रखंड के धनगाई या बिदा तक आटो से जाना हो इसके लिए कोई निर्धारित किराया नहीं है। चालक तथा वाहन मालिकों को जो इच्छा होगा उतना भाड़ा लेकर ही रहेंगे क्योंकि पेट्रोल-डीजल की कीमत में काफी बढ़ोतरी हुई है।
By JagranEdited By: Updated: Sun, 12 Sep 2021 05:44 PM (IST)
बाराचट्टी। वाहनों पर सवार होकर दिल्ली से कोलकाता की सफर हो या फिर बाराचटटी प्रखंड के धनगाई या बिदा तक आटो से जाना हो, इसके लिए कोई निर्धारित किराया नहीं है। चालक तथा वाहन मालिकों को जो इच्छा होगा उतना भाड़ा लेकर ही रहेंगे, क्योंकि पेट्रोल-डीजल की कीमत में काफी बढ़ोतरी हुई है। आम लोगों की स्थिति यह है कि जो सक्षम है वे किराए देते हैं। परंतु जो गरीब और हर दिन कमाने खाने वाले हैं उसके लिए किराया देना बूते के बस में नहीं है।
जानकारी हो कि बाराचट्टी प्रखंड के ग्रामीण क्षेत्रों का मुख्य पथ राष्ट्रीय राज मार्ग संख्या 2 यानी जीटी रोड से जुड़ा है। यहां से देश के कोने-कोने को जाने के लिए वाहनों का परिचालन होता है। प्रदेश में काम करने वाले बेरोजगार युवक सूद पर कर्ज लेकर प्रदेश जा रहे हैं। भलुआ गांव के सुरेश सिंह भोक्ता प्रदेश जाने के लिए जीटी रोड के किनारे लाइन होटल पर बैठे थे। उसने बताया कि यहां से कोई ट्रक पर बैठकर कानपुर जाएंगे। किराया कम लगेगा। वैसे यहां से गया जाने में 90 रुपया देना पड़ता है। ट्रक चालक को हथजोड़ी करके दो सौ रुपया में पहुंच जाएंगे। सोभ बुटू पान दुकान के निकट कोलकता, रांची, धनबाद, रामगढ़ जाने के यात्री बस रुकती है रांची जा रहे बिदा गांव के राजेश कुमार कहते है कि पहले 150 रुपया रांची का किराया देते थे अब तो 300 से कम नहीं लेते है। लाटकुटा के सुदमियां देवी ऑटो पर बैठकर सोभ पहुंची। वह कहती है कि हम ब्लाक जा रहे हैं राशन कार्ड नहीं बना है। वह बताती है कि गांव के दुकानदार से कर्जा पैसा लेकर आए हैं। गाड़ी के किराया भाड़ा में आग लग गयी है। पहले तीस रुपया में बाराचट्टी ब्लाक आने जाने में खर्च होता था। परंतु अब सीधे अस्सी रुपया का खर्च गिरता है। इसके चलते कहीं जाने का भी मन नहीं करता है। भाड़ा कम देने पर आटो चालक काफी भला बुरा कहते हैं। ग्रामीण आटो चालक अखिलेश प्रसाद कहते हैं कि हमारा रोजगार यही है हम सोभ से चौवारी बाराचटटी होकर जाते है जिसमें दूरी अधिक पड़ता है। सरमा होकर सीधा आधा दूरी कम हो जाता है लेकिन सड़क काफी जर्जर है ऊपर से तेल की महंगाई है। अधिक दूरी के कारण हमलोग किराया ज्यादा लेते है ऊपर से पुलिस का कहर भी यदाकदा आता रहता है। प्रखंड के स्टैंड में मौजूद एजेंट कहते हैं कि हमलोग कुछ नहीं कर सकते हैं कि क्यों कि बस यात्री पहले के जैसा अब नहीं जाते है मालिक द्वारा तय किराया से कम ले नहीं सकते है। हमलोग अपनी मर्जी से अगर किराया लेंगे तो पेट पर लात मरा जाएगा। गौरतलब हो कि मनमानी किराया पर अंकुश लगे इसके लिए सरकार या जिला स्तर पर पदाधिकारियों और वाहन मालिकों को वार्ता कर किराया तय करने से आम आवाम को बड़ी राहत मिल सकती है। कहां का कितना किराया पूर्व में किराया-वर्तमान में किराया कोलकता- 300-500 रांची-150 -300 धनबाद -200 -300 गया - 040 - 070 डोभी- 020- 030 सोभ- 005- 010 चौवारी- 015- 025 धनगांई - 030 - 080 शेरघाटी - 025- 060आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।