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भभुआ: छह माह से 59 माह तक के बच्चों को दीजिए आयरन सिरप, जानिए ये जरुरी बात

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 (2015-16) के अनुसार कैमूर जिले में 6 माह से 59 माह तक के 71.4 प्रतिशत बच्चे रक्त की कमी से ग्रसित हैं। जानिए लक्षण कारण और बचाव।एनीमिया मुक्त भारत कार्यक्रम के तहत बच्चों को सप्ताह में दो बार आयरन सिरप की खुराक निशुल्क दी जाती है।

By Sumita JaiswalEdited By: Updated: Tue, 06 Jul 2021 12:02 PM (IST)
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प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर आयरन सिरप की खुराक बच्‍चों को निशुल्‍क दी जाती, सांकेतिक तस्‍वीर ।
भभुआ, जागरण संवाददाता। आधुनिकता की दौर का असर खान-पान पर भी गहरा पड़ा है। आज के बच्चों को जंक व पैक्ड फूड काफी पसंद आ रहा है। लेकिन, इस प्रकार की खाद्य सामग्रियों से उनकी सेहत पर प्रतिकूल असर पड़ता है। जिसके कारण धीरे-धीरे बच्चों में जरूरी पोषक तत्वों की कमी देखी जाती है। जंक व पैक्ड फूड से बच्चों में खून की भी कमी होती है। जिससे वह एनिमिया से ग्रसित हो जाते हैं। जब खून व जरूरी पोषक तत्वों की कमी के कारण बीमार होने लगते हैं, तब माता-पिता को इसकी जानकारी होती है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 (2015-16) के अनुसार जिले में 6 से 59 महीने आयु वर्ग के 71.4 प्रतिशत बच्चे रक्त अल्पता के शिकार हैं तथा इसपर तुरंत ध्यान देने की जरुरत है।

जंक फूड के कारण शरीर में होती है हीमोग्लोबिन की कमी :

सिविल सर्जन डॉ. मीना कुमारी ने बताया कि आज के बच्चों में जंक फूड के कारण शरीर में हीमोग्लोबिन कम यानि रक्त की कमी हो जाती है। जिसके अभाव में बच्चे शारीरिक व मानसिक दोनों तौर पर कमजोर हो रहे हैं। यदि बच्चा सुस्त व बीमार रह रहा है, पढ़ाई में ध्यान नहीं लगा पा रहा है और उसकी स्मरण शक्ति बेहद कमजोर हो रही है तो माता-पिता को नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र या समुदाय में इसका उपचार कराना चाहिए। इस क्रम में स्वास्थ्य विभाग द्वारा एनीमिया मुक्त भारत कार्यक्रम चला रहा है। जिसके तहत 6 माह से 59 माह तक के बच्चों को सप्ताह में दो बार आयरन सिरप की खुराक नि:शुल्क दी जाती है।

पीएचसी को उपलब्ध कराए जाते हैं आयरन सिरप :

सिविल सर्जन ने बताया कि एनिमिया से ग्रसित बच्चों का जिले में विशेष ध्यान रखा जाता है। इसके लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को आयरन सिरप मुहैया कराए जाते हैं। प्रथम दो सप्ताह में आशा स्वयं बच्चों को दवा पिलाकर मां को सिखाने का प्रयास करती हैं। प्रथम दो सप्ताह के बाद का खुराक मां द्वारा स्वयं पिलाने तथा अनुपूरण कार्ड में निशान लगाया जाता है। उन्होंने बताया एक खुराक में एक मिलीलीटर यानि 8-10 खुराक प्रति माह बच्चे को देना होता है। सभी आशा को स्थानीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से सिरप की 50 मिलीलीटर की बोतलें आवश्यक मात्रा में दी जाती है।

अस्पताल जाने के दौरान कोविड-19 के नियमों का करें पालन :

आयरन सिरप के लिए जन्म के प्रथम दो सप्ताह बच्चों को अस्पताल में ले जाना पड़ता है। लेकिन, इस दौरान कोरोनाकाल में संक्रमण से बचने के लिए माता-पिता को जागरूक रहना भी जरूरी है। शिशुओं को आयरन की खुराक दिलाते समय शारीरिक दूरी का पालन करना बेहद जरूरी है। साथ ही, माता-पिता को बिना मास्क के घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए। वहीं, पीएचसी प्रबंधन को भी कोविड-19 के नियमों का पालन करने का निर्देश दिया गया है।

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