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Bihar News: 'मेरी मां के इलाज से ही मैं ठीक हो जाता था', बोधगया में बोले राज्यपाल, अमृत काल को लेकर भी दिया बयान

Bihar Governor आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति विश्व भर में आगे बढ़ रहा है और इसकी मान्यता भी बढ़ती जा रही है। तन के साथ मन का विचार भी आयुर्वेद में किया गया है। लेकिन बदलते दौर में इस चिकित्सा पद्धति को वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति मानते हैं। आयुर्वेद के क्षेत्र में हजारों सालों से जो शोध या अनुसंधान किया गया है आज वह हमारे समक्ष है।

By vinay mishra Edited By: Sanjeev KumarUpdated: Sat, 10 Feb 2024 02:29 PM (IST)
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बिहार के राज्यपाल राजेंद्र आर्लेकर ने बोधगया में दिया संबोधन (जागरण)

जागरण संवाददाता, बोधगया। Bihar News Today: आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति विश्व भर में आगे बढ़ रहा है और इसकी मान्यता भी बढ़ती जा रही है। तन के साथ मन का विचार भी आयुर्वेद में किया गया है। लेकिन बदलते दौर में इस चिकित्सा पद्धति को वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति मानते हैं।

आयुर्वेद के क्षेत्र में हजारों सालों से जो शोध या अनुसंधान किया गया है, आज वह हमारे समक्ष है। लेकिन हम आधुनिक चिकित्सा पद्धति को मूलभूत मानते हैं, यह उचित नहीं है।

हमारी जीवन पद्धति आयुर्वेद से जुड़ा है। उक्त बातें शनिवार को सूबे के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने महाबोधि सांस्कृतिक केंद्र में विश्व आयुर्वेद परिषद बिहार इकाई द्वारा आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि हर घर के रसोई में आयुर्वेद की दवा उपलब्ध है।

मेरी मां मेरा इलाज आयुर्वेद पद्धति से करती थी

उन्होंने अपने जीवन से जुड़े कई बातों को रखते हुए कहा कि मेरी मां मुझे रसोई घर से ही सामग्री लेकर आयुर्वेद पद्धति से इलाज करती थी और मैं ठीक हो जाता था। इस पद्धति को अलग नहीं कर सकते। इसे आगे लेकर जाने की आवश्यकता है। इसे अपनाने की जरूरत है। मानव विचार को एक साथ लेकर चलना ही हमारी संस्कृति है।विश्व में भारत का नाम आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति के कारण भी हो रहा है। जिसमें योग भी शामिल है।

यह भारत का अमृत काल: राज्यपाल

राज्यपाल ने कहा कि यह भारत का अमृत काल है। अमृत काल के लिए हम कितने तैयार हैं, यह सोचना होगा। विकसित भारत में हमारा क्या योगदान होगा। इस पर विचार करना होगा। भारत मेरे कारण विकसित बन रहा है, इस बात का हमें गर्व होना चाहिए।

हम स्वतंत्रता के शताब्दी वर्ष की ओर बढ़ रहे हैं।आप सभी विकसित दृष्टिकोण और उद्देश्य के साथ ज्ञान की भूमि पर जुटे हैं। आप सभी आयुर्वेद परंपरा से जुड़े हैं। इसलिए आप भाग्यशाली हैं। क्योंकि हजारों वर्षों से यह पद्धति विकसित रहने के कारण आज भी टिकी हुई है।

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