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Bihar Land News: इस जिले में 22 गांव की भूमि होगी आबाद, 20 सालों से रुका हुआ है ये काम

दो दशक पहले पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के द्वारा नारायणपुर गांव के समीप पैमार नदी में बांध को बनाने की स्वीकृति दी गई थी। जिसके बाद बांध का निर्माण हुआ। उससे कई पईन की शाखा निकली। जो 22 गांव के खेतों के पटवन के लिए उपयोगी है। बांध के पास से निकली पईन तीन मुहाना बनकर उत्तर दक्षिण दिशा की ओर जाती है।

By himanshu gautam Edited By: Rajat Mourya Updated: Fri, 26 Apr 2024 04:15 PM (IST)
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इस जिले में 22 गांव की भूमि होगी आबाद, 20 सालों से रुका हुआ है ये काम

संवाद सूत्र, फतेहपुर। टनकुप्पा प्रखंड के सबसे पुरानी सिंचाई व्यवस्था नारायणपुर बांध नवीनीकरण के अभाव में मृत हो गई है। बांध के नवीनीकरण एवं पईन की सफाई के लिए क्षेत्रीय किसान एवं समाजसेवी 20 वर्षों से विभाग का दरवाजा खटखटा रहे हैं।

क्षेत्र की जनता कई बार मुख्यमंत्री से लेकर लघु सिंचाई मंत्री से बांध की मरम्मत के लिए गुहार लगा चुके हैं। बांध से लाभांवित होने वाले 22 गांव की जमीन सिंचाई के अभाव में बंजर होकर हरियाली विहीन हो गई है।

मांझी ने उठाया था ये कदम

दो दशक पहले पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के द्वारा नारायणपुर गांव के समीप पैमार नदी में बांध को बनाने की स्वीकृति दी गई थी। जिसके बाद बांध का निर्माण हुआ। उससे कई पईन की शाखा निकली। जो 22 गांव के खेतों के पटवन के लिए उपयोगी है।

टनकुप्पा में जर्जर नारायणपुर बांध। फोटो- जागरण

बांध के पास से निकली पईन तीन मुहाना बनकर उत्तर, दक्षिण दिशा की ओर जाती है। बांध एवं पईन का नवीनीकरण नहीं होने के कारण मृत होकर उसकी पहचान सिमटती जा रही है। पईन का अतिक्रमण कर लिया गया है।

सिंचाई संसाधन के अभाव में क्षेत्र की खेती मानसून पर निर्भर होकर रह गई है। वर्षा हुई तो खरीफ एवं रबी फसल की उपज हो पाती है। अन्यथा फसल सिंचाई के अभाव में मृत हो जाती है। प्रखंड की सभी पंचायतों में सिंचाई का साधन उपलब्ध नहीं है।

बांध से पटवन होने वाले गांव

सलारपुर, पीपरा, नारायणपुर, ठेकही, मखदुमपुर, करिहारा, जेहलीबीघा, खरौना, त्रिलोकिचक, इचोय, भदान, सगरचट्टा, उतलीबारा, बरसौना आदि गांव है।

क्या कहते हैं किसान?

किसान संजीव सिंह, शंभु शरण सिंह, शिवकुमार सिंह, कैलाश यादव, विजय यादव, झलक सिंह ने बताया कि 20 वर्षों से बांध टूटने की वजह से सिंचाई का कार्य प्रभावित है। उक्त साधन से क्षेत्र के एक हजार एकड़ खेतों का पटवन होता था। अब सिंचाई के अभाव में खेती मानसून पर निर्भर करती है। अगर बांध का नवीनीकरण होता है तो एक बार फिर से क्षेत्र के खेतों में हरियाली छा जाएगी। किसान खुशहाल हो जाएंगे।

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