छोटे बच्चों में इन लक्षणों के दिखते ही तुरंत करें डाक्टर से संपर्क, इग्नोर करने से बढ़ सकती है बीमारी
भीषण गर्मी के बीच नवजात और छोटे बच्चों का विशेष ध्यान रखने की जरूरत है। गर्मी का मौसम शिशुओं को जल्दी प्रभावित करता है। डिहाइड्रेशन की समस्या गर्मी के दिनों में ज्यादा देखने को मिलती है। बच्चों में डायरिया के लक्षणों को लेकर सतर्कता बरतें।
जासं, भभुआ। नवजात और छोटे बच्चों का शरीर बदलते मौसम को लेकर सबसे ज्यादा संवेदनशील होता है। जिले में गर्मी का प्रचंड प्रकोप लगातार जारी है। बेहिसाब गर्मी वाला मौसम शिशुओं को जल्दी प्रभावित करता है। इस स्थिति में डायरिया की समस्या आसानी से हो सकती है। जिसका ससमय प्रबंधन और ख्याल न रखा जाए तो यह ज्यादा गंभीर हो सकता है। कोरोना संक्रमण के मद्देनजर अभी किसी का भी ज्यादा बीमार पड़ना उचित नहीं है। इसलिए बच्चों में डायरिया के लक्षणों के प्रति सतर्क रहें। उन्हें डिहाइड्रेशन से बचा कर एवं सही समय पर उचित प्रबंधन कर डायरिया से सुरक्षित रखें।
स्तनपान से शिशु का डायरिया से होता है बचाव
अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डा. जे. एन. सिंह ने बताया कि लगातार दस्त होने से बच्चों के शरीर में पानी की कमी हो जाती है। इसलिए पानी की कमी दूर करने और डायरिया से बचाने के लिए शिशुओं को अधिक से अधिक स्तनपान करवाएं। छह माह तक नियमित स्तनपान कराने से शिशु का डायरिया एवं निमोनिया जैसे गंभीर रोगों से बचाव होता है। इसलिए बाहर का कुछ भी नहीं पिलाएं केवल स्तनपान कराएं।
महिलाएं इन लक्षणों के प्रति रहें सतर्क
डायरिया के शुरुआती लक्षणों का ध्यान रख महिलाएं इसकी आसानी से पहचान कर सकती हैं। इससे केवल नवजातों को ही नहीं बल्कि बड़े बच्चों को भी डायरिया से बचाया जा सकता है। इसमें लगातार पतले दस्त आना, बार-बार दस्त के साथ उल्टी का होना, प्यास बढ़ जाना, भूख का कम जाना या खाना नहीं खाना, दस्त के साथ हल्के बुखार का आना, कभी कभी स्थिति गंभीर हो जाने पर दस्त में खून भी आने लगता है ।
बड़े बच्चों को दें ओआरएस और जिंक का घोल
दस्त के कारण शरीर से पानी के साथ जरूरी तत्व या एल्क्ट्रोलाइट्स जैसे सोडियम, पोटैशियम क्लोराइड एवं बाईकार्बोनेट भी कम हो जाता है। इसलिए उसकी कमी दूर करने के लिए बच्चों को ओरल रीहाइड्रेशन सोल्युशन (ओआरएस) और जिंक का घोल दें। जिससे डिहाइड्रेशन में कमी और डायरिया से बचाव होगा। लेकिन यदि लगातार ओआरएस का घोल देने के बाद भी राहत न मिले तो बिना विलंब किए तुरंत नजदीकी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र या चिकित्सक के पास जाएं। ताकि शीघ्र इलाज की समुचित व्यवस्था हो सके।
ऐसी स्थिति ज्यादा देर होने से बच्चे को अन्य गंभीर रोगों जैसे एक्यूट ब्लडी डायरिया आंत में संक्रमण, अतिकुपोषण जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। स्वास्थ्य केंद्रों पर ओआरएस के पैकेट नि:शुल्क उपलब्ध हैं, इन्हें आसानी से घरों में भी बनाया जा सकता है। लेकिन इन्हें बनाते समय स्वच्छता का ख्याल रखना आवश्यक है। घोल बनाने के लिए साफ पानी और बर्तन का इस्तेमाल करें। घोल बनाने का पानी उबाल कर ठंडा कर इस्तेमाल में लाएं तथा एक बार में उतना घोल ही बनाएं जितना आपका बच्चा पी सके। ज्यादा देर पहले बने ओआरएस का घोल ना पिलाएं।