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Bihar News: फतेहपुर में मुहर्रम पर हिंदू परिवार निकालते हैं जुलूस, 167 में से 60 लाइसेंस इनके नाम; मुस्लिम मनाते हैं छठ

Latest Gaya Hindi News फतेहपुर प्रखंड के एक-दो नहीं 60 गांवों में जाति धर्म की संकीर्णता को पीछे छोड़ हिंदू परिवार आस्था के साथ कई पीढ़ियों से मोहर्रम मनाते आ रहे हैं। नमाज एवं फातिहा के लिए मौलाना को बुलाया जाता है। कई हिंदू गांवों में ताजिया का निर्माण मुस्लिम कारीगरों से कराया जाता है। कहीं ताजिया स्वयं बनाते हैं।

By himanshu gautam Edited By: Prateek Jain Updated: Sat, 20 Jul 2024 04:25 PM (IST)
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Gaya News: मुहर्रम के लिए ताजिया बनाते हिन्दू परिवार।
हिमांशु गौतम, फतेहपुर। गंगा-जमुनी संस्कृति की जड़ें गया जिले में काफी गहरी हैं। अंतर सांस्कृतिक भावभूमि पर एक ओर मुसलमान छठ मनाते हैं, वहीं हिंदू मोहर्रम पर ताजिया निकाल श्रद्धा व्यक्त करते हैं।

फतेहपुर प्रखंड के एक-दो नहीं, 60 गांवों में जाति, धर्म की संकीर्णता को पीछे छोड़ हिंदू परिवार आस्था के साथ कई पीढ़ियों से मोहर्रम मनाते आ रहे हैं। नमाज एवं फातिहा के लिए मौलाना को बुलाया जाता है।

हिंदुओं की ओर से आयोजित मोहर्रम की तैयारियों में दूसरे गांव के मुस्लिम हाथ बंटाते हैं। जिन गांवों में दोनों धर्म के लोग हैं, वहां मिलकर बलिदान का पर्व मनाते हैं। कई हिंदू गांवों में ताजिया का निर्माण मुस्लिम कारीगरों से कराया जाता है। कहीं ताजिया स्वयं बनाते हैं।

नए युग के युवा रेडिमेड ताजिया खरीदते हैं। शासन के आंकड़े प्रमाण हैं कि इस वर्ष फतेहपुर प्रखंड में मोहर्रम का जुमनाने के लिए 167 लाइसेंस निर्गत हुए। इनमें 60 लाइसेंस हिंदुओं के नाम से जारी किए गए।

इन गांवों के हिंदुओं के नाम जारी हुए लाइसेंस

प्रखंड के गदहियाताड़ के रोहन राजवंशी, जेहलीबीघा के राम चरण चौधरी, बहेरा के योगेंद्र पासवान, मोरवे गांव के राजनंदन पंडित, मतासो के रामधनी पंडित, कोड़या के दशरथ यादव, भागीरथ प्रसाद यादव व रामदेव शर्मा, भगवानपुर के हरी चौधरी, फरका के प्रकाश चौधरी, खजूरी के सरजू चौधरी ने लाइसेंस प्राप्‍त किया।

वहीं, केंदुआ के लखन चौधरी, रक्सी के जगदीश चौधरी, मेयारी के बगुला चौधरी, सतनियां के सुखदेव राम, केवाल के रविंद्र मिस्त्री, सलैयाखुर्द के कपिल भुइयां, राजाबीघा के किशोरी सिंह, पतेया में नरेश पंडित, मतासो में रामधनी पंडित समेत 60 हिंदुओं के नाम इस वर्ष जुलूस के लाइसेंस जारी किए गए। इनके अलावा पकरिया, जसपुर, मेयरी गांव में भी हिंदू परिवारों ने भी ताजिया बनाए और जुलूस के लाइसेंस लिए।

पतेया में एक भी मुस्लिम नहीं, फिर भी इमामबाड़ा

पतेया निवासी नरेश पंडित ने बताया कि हमारी कई पीढ़ियां मोहर्रम मनाती आ रही हैं। गांव में कोई मुस्लिम परिवार नहीं है, फिर भी गांव में इमामबाड़ा है। पूर्वज इस त्योहार को मनाने के पीछे की आस्था की कहानी बताया करते थे कि एक बार क्षेत्र में महामारी फैली थी।

इससे छुटकारे के लिए इमामबाड़े में मन्नतें मांगी गई थीं। इसके बाद सभी कष्ट दूर हो गए थे। तभी से पूर्वजों ने संकल्प लिया था कि हम हर वर्ष मोहर्रम मनाएंगे। इसे हम आज तक निभाते आ रहे हैं।

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