Bodh Gaya News: बुद्ध के आंगन में तर्पण व पिंडदान की अनोखी परंपरा, कालांतर से चली आ रही परंपरा
Pitru Paksha 2023भगवान बुद्ध का आंगन कहे जाने वाले महबोधि मंदिर परिसर में भी कालांतर से पिंडदान करने का विधान चला आ रहा है। 80 के दशक के पहले जब निरंजना नदी पर पुल नही बना था तो धर्मारण्य मातंगवापी वेदी पर पिंडदान का विधान और सरस्वती में तर्पण के विधान को निरंजना नदी में पूर्ण पर महाबोधि मंदिर में पिंडदान करते थे।
महाबोधि मंदिर में भी होता है पिंडदान
90 के दशक में पिंडदान का हुआ था विरोध
अखिल भारतीय महाबोधि महाविहार मुक्ति आंदोलन समिति द्वारा महाबोधि मंदिर परिसर में पिंडदान का विराेध कर रोक लगाने की मांग की गई थी। लेकिन तत्कालीन सचिव डा. काली चरण सिंह यादव ने इसे नजरअंदाज कर पिंडदान की प्रक्रिया को जारी रखा था।विदेशी मंदिरों का खुला रहता पट
पितृपक्ष के दौरान बोधगया स्थित विभिन्न विदेशी बौद्ध मंदिरों का पट दिन भर खुला रहता है। वैसे अन्य दिनों में दोपहर में मंदिर का पट दो घंटे के लिए बंद कर दिया जाता है। लेकिन पितृपक्ष में आगत सनातनी श्रद्धालु भगवान बुद्ध व मंदिर का परिभ्रमण कर सके। इसके लिए मंदिर का पट दिन भर खुला रहता है।सभी धर्मों के लोगों का आदर करना चाहिए। यही भगवान बुद्ध को संदेश भी है। महाबोधि मंदिर में पहले से चली आ रही परंपरा निर्वहण आज भी हो रहा है प्रशंसनीय है। महाबोधि मंदिर में संस्कृति का समागम दिखता है। यही भारत की विशेषता है। पूर्व की भांति इस वर्ष भी सनातनी पिंडदानियों की सुविधा का भरपूर ख्याल रखा जाएगा।
डॉ. महाश्वेता महारथी, सचिव, बीटीएमसी, बोधगया।
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डॉ. राधाकृष्ण मिश्र उर्फ भोला मिश्र, वरिष्ठ भाजपा नेता सह बीटीएमसी के पूर्व सदस्य