पुरखों का पिंडदान करना है तो आइए गया, यहां रहने के आइए आनलाइन बुकिंग शुरू, मिलेंगी ये सुविधाएं
Pirtupaksha Mela Gaya 2022 बिहार के गया में पिंडदान का खास महत्व है। यहां खासकर पितृपक्ष में लोग अपने पितरों को तृप्त करने आते हैं। गया में उन्हें मिलने वाली सुविधाओं व आनलाइन बुकिंग के बारे में जानिए इस खबर में।
By Prashant Kumar PandeyEdited By: Updated: Mon, 25 Jul 2022 01:37 PM (IST)
संजय कुमार, गया : सनातन आस्था एवं परंपरा में पितरों के प्रति श्रद्धा अर्पित करने का तर्पण-अर्पण का कर्मकांड नौ सितंबर से शुरू होकर 26 सितंबर तक चलेगा। इस पितृपक्ष मेला में देश-विदेश से लाखों की संख्या में तीर्थयात्री पिंडदान के लिए मोक्षभूमि गयाजी आते है। इस बार भी मेला की तैयारी शुरू कर दी गई है। आवासन के लिए बुकिंग आनलाइन एवं आफलाइन शुरू है। एक पखवारे तक चलने वाले मेला में लगभग दस लाख तीर्थयात्री आने की संभावना है।
इतने दिवसीय होता है पिंडदान
पिंडदानी एक दिवसीय, पांच दिपसीय, 15 दिवसीय और 17 दिवसीय विधान के अनुसार पितरों को तृप्त करते हैं। 17 दिन के पिंडदान को त्रिपाक्षिक श्राद्ध कहलाता है, जिसके तरह गयाजी की 54 पिंडवेदियों पर पिंडदान और तर्पण का विधान है। पांच दिन, 15 दिन एवं 17 दिनों तक कर्मकांड करने वाले पिंडदानियों को आवासन की व्यवस्था करनी पड़ती है। इसके लिए मेला क्षेत्र में निजी मकान, धर्मशाला, पंडा जी के आवास में ठिकाना ढूंढते हैं। साथ ही तीर्थयात्रियों को आवासन के लिए सरकारी स्तर पर प्रबंध किया जाता है। जहां यात्री विश्राम कर सके। पितृपक्ष मेला में आवासन को लेकर तैयारी शुरू हो गया है। जिसके लिए जिला प्रशासन द्वारा कई बैठक हुई है।
सरकारी भवनों व स्कूल में आवासन
पितृपक्ष मेला में अभी करीब डेढ़ महीना का समय बाकी है। ऐसे में तीर्थयात्रियों को आवासन को लेकर जिला प्रशासन ने तैयारी शुरू कर दिया है। संवास सदन समिति से जानकारी के अनुसार तीर्थयात्रियों के आवासन विष्णुपद क्षेत्र स्थित अशोक अतिथि निवास, अहिल्याबाई गेस्ट हाउस एवं सरकारी विद्यालय में होगा। जिसके लिए विद्यालय का जिला प्रशासन द्वारा जायजा लिया जा रहा है। वहीं केंदुई एवं पालिटेक्निक कालेज के पास फल्गु नदी के किनारे टेंट सिटी का निर्माण किया जाएगा। जहां पिंडदानियों को ठहरने की पूरी व्यवस्था होगी।धर्मशाला में चल रहा सफाई कार्य
पितृपक्ष को लेकर धर्मशाला की साफ-सफाई का काम चल रहा है। क्योंकि बड़ी संख्या में तीर्थयात्री धर्मशाला को अपना ठिकाना बनाते है। शहर स्थित टिल्हा धर्मशाला, पंजाबी धर्मशाला, बीकानेरी धर्मशाला, नेपाली धर्मशाला, जयपुर वाले धर्मशाला, जैन भवन, अग्रसेन भवन, मारवाड़ी पंचायती धर्मशाला, रामचंद्र राम धर्मशला, चौक धर्मशाला एवं माहुरी मंडल भवन में तीर्थयात्रियों के लिए आवासन को लेकर तैयारी चल रही है।
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15 एवं 17 दिनों को कर्मकांड करने वाले पिंडदानी सर्वप्रथम आवासन की व्यवस्था करते हैं। इसके लिए मेला क्षेत्र में निजी मकान, धर्मशाला आदि खोजते है नहीं मिलने पर पंड़ा जी के घरों को ठिकाना बनाते हैं। तीर्थयात्रियों को आवासन को लेकर घरों का रंग-रोगन का काम चल रहा है। घरों में तीर्थयात्रियों को ठहराने के लिए जिला प्रशासन द्वारा पास दिया जाता है। उसके बाद ही पंडा जी अपने घरों में तीर्थयात्रियों को ठहरा सकते है।