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गरीबों के हक पर डाका? राशन माफिया कर रहे हेराफेरी! इस तरह खपाते सरकारी अनाज

Rashan card Holder राशनकार्ड धारी को हर महीने वाले 5 किलो अनाज में से एक किलो अनाज की कटौती की जाती है। इससे प्रत्येक माह लाखों रुपये काली कमाई की जाती है। काली कमाई अलग-अलग प्रखंडों में खाद्यान्न के आवंटन पर निर्भर है। गुरारू प्रखंड में लगभग 23429 राशनकार्ड धारी है। राशन कार्ड में 82377 व्यक्ति लाभार्थी के रूप में नामित है।

By Ashish kumar Edited By: Shashank Shekhar Published: Sun, 19 May 2024 05:07 PM (IST)Updated: Sun, 19 May 2024 05:07 PM (IST)
गरीबों के हक पर डाका? राशन माफिया कर रहे हेराफेरी! इस तरह खपाते सरकारी अनाज (प्रतीकात्मक तस्वीर)

संवाद सूत्र, गुरारू (गया)। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत राशनकार्ड धारी को प्रतिमाह प्रति व्यक्ति मिलने वाले 5 किलो अनाज में से एक किलो अनाज की कटौती कर प्रत्येक माह लाखों रुपये काली कमाई की जाती है।

काली कमाई अलग-अलग प्रखंडों में खाद्यान्न के आवंटन पर निर्भर है। गुरारू प्रखंड में लगभग 23429 राशनकार्ड धारी है। राशन कार्ड में 82377 व्यक्ति लाभार्थी के रूप में नामित है। इन व्यक्तियों से ही जन वितरण प्रणाली की दुकानों पर एक किलो चावल अथवा एक किलो गेहूं की कटौती की जाती है।

ऐसे में यहां 82377 किलोग्राम चावल या गेहूं कटौती कर खुले बाजार में बेच दिए जाने की संभावना बनती है। कटौती चावल का करना है अथवा गेहूं का विक्रेता खुले बाजार में अधिक कीमत देखकर यह तय करते है।

इस समय बाजार में गेहूं की कीमत लगभग 23 रुपये प्रति किलोग्राम व चावल की कीमत 27 से 30 रुपए प्रति किलोग्राम है। इस प्रकार सरकार से मुफ्त मिलने वाला चावल या गेहूं को खुले बाजार में बेच कर हर महीने लगभग 15 से 20 लाख रुपये की कमाई होने की संभावना बनती है ।

सरकारी बोरे को बदल कर बाजार में आता है अनाज

जन वितरण प्रणाली की दुकानों पर सरकारी बोर में भरकर आने वाला अनाज सरकारी बोरा बदलकर खुले बाजार में पहुंचाया जाता है। जन वितरण प्रणाली के दुकानदार कटौती किया गया अनाज दुकान में बचा रहने के कारण अगले महीने आवंटित अनाज सीधे एसएफसी के खाद्यान्न गोदाम से डोर स्टेप डिलीवरी के ठेकेदार के हाथों बेच देते हैं।

ठेकेदार मथुरापुर की तरफ अवैध गोदाम में सरकारी बोरा बदल अनाज खुले बाजार में बेच देते है। दबंग टाइप के जन वितरण प्रणाली के दुकानदार स्वयं अपने दुकान से रात के अंधेरे में बोरा बदलकर अनाज को गुरारू बाजार के स्टेशन रोड में स्थित खाद्यान्न मंडी में बेच देते हैं। कुछ माह पहले ऐसे ही मामले में इसमाइलपुर क्षेत्र में ग्रामीणों ने हंगामा भी किया था।

कम अनाज मिलने पर क्यों चुप रह जाते हैं लाभुक 

राशनकार्ड धारक कम अनाज मिलने जाने भी चुप रह जाते हैं। इसके पीछे का कारण काफी रोचक है। काफी संख्या में सक्षम व दबंग लोगों ने राशन कार्ड बनवा लिया है। सक्षम व दबंग माने जाने वाले लोग अनाज की कटौती किए जाने पर चुप रह जाते हैं। यह देखकर गरीब लाभुक कटौती का विरोध करने की हिम्मत नहीं जुटा पाते हैं। राशन कार्ड बनवाने के लिए 15 बिंदुओं पर सर्वेक्षण होता है। गलत सर्वेक्षण से बड़ी संख्या में अपात्र लोगों का भी राशनकार्ड बन गया है।

कहते हैं अधिकारी

प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी चंदन कुमार कहते हैं कि गड़बड़ी की जांच की जाती है। हाल ही में दो दुकानों के विरुद्ध दंडात्मक कार्रवाई के अनुशंसा की गई है।

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